हैदराबाद में हद, शिष्टाचार भूले सीएम

तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर पर अहंकार और सत्ता का नशा सिर चढ़कर बोल रहा है। अहंकार के कारण वह शिष्टाचार तक भूल गए हैं। इसके लिए उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। भारत की संस्कृति में अतिथि दैवो भव: की भावना रही है। यानी घर आया मेहमान भगवान के समान होता है, मगर सीएम केसीआर ने संभवत: अतिथि दैवो भव: के पीछे की भावना से कोई सबक नहीं लिया है। मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़ा है। तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में भाजपा की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री मोदी भी हैदराबाद पहुंचे थे।

हैदराबाद आगमन से पहले पीएम ने बकायदा ट्वीट कर भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक और अपने हैदराबाद जाने की जानकारी शेयर की थी। इसके बावजूद पीएम मोदी का स्वागत करने के लिए तेलंगाना के सीएम केसीआर ने जाना जरूरी नहीं माना। पीएम का स्वागत करने के लिए हैदराबाद एयरपोर्ट पर केसीआर सरकार के एकमात्र मंत्री को भेजकर रस्म पूर्ति कर दी गई। बताया गया है कि पिछले पांच माह के भीतर यह तीसरा मौका था जब तेलंगाना में पीएम के आगमन के दौरान स्वागत करने को सीएम केसीआर ने इस प्रकार की बेरूखी दिखाई। आमतौर पर जब भी प्रधानमंत्री किसी राज्य की राजधानी में जाते हैं तो गवर्नर, मुख्यमंत्री और राज्य के अन्य मंत्री उन्हें रिसीव करने पहुंचते हैं।

यह ना सिर्फ प्रोटोकॉल में आता है बल्कि राजनीतिक शिष्टाचार भी माना जाता है, मगर सीएम केसीआर की डिक्शनरी में संभवत: शिष्टाचार नामक शब्द नहीं है। आलोचना होने के बाद सीएम केसीआर ने उलटा पीएम की आलोचना करने में देरी नहीं की। यह दर्शाता है कि एक सीएम के तौर पर केसीआर को जहां व्यवहारिक होना चाहिए था, उलटा वह अहंकार में डूबे हैं। हैदराबाद में हद तक और हो गई जब सीएम केसीआर और उनके तमाम मंत्री विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का स्वागत करने के लिए दौड़ पड़े।

यशवंत सिन्हा के स्वागत में तेलंगाना सरकार ने जिस प्रकार की गर्मजोशी दिखाई, उससे साफ है कि पीएम मोदी को नजरअंदाज कर तेलंगाना सरकार भाजपा के विरोधियों का मान बढ़ाने को आतुर है। किसी भी राज्य को विभिन्न कारणों से केंद्र सरकार के साथ की जरूरत पड़ती है। विकास योजनाओं और जन-कल्याणकारी कार्यक्रमों को अंजाम देने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों में तालमेल जितना बेहतर होगा, उसके परिणाम उतने अधिक अच्छे सामने आएंगे। तेलंगाना के सीएम केसीआर यह भूल रहे हैं कि भविष्य में उन्हें भी केंद्र की जरूरत पड़नी है।

केंद्र से छत्तीस का आंकड़ा बनाकर वह अपनी राह में खुद कांटे बोने का काम कर रहे हैं। उधर, हैदराबाद में पीएम को रिसीव करने के लिए सीएम केसीआर के ना आने पर भाजपा का भड़कना भी स्वभाविक था। बीजेपी ने इस मुद्दे को उठाकर सीएम केसीआर पर तीखा निशाना साधा है। भाजपा तेलंगाना के अध्यक्ष बंदी संजय ने कहा है कि जब बाघ आता है तो लोमड़ियां भाग जाती हैं। अब जब बाघ आया है तो वह (केसीआर) भाग रहे हैं, हम नहीं जानते कि वह ऐसा क्यों कर रहे हैं? आने वाले दिनों में यहां भगवा और कमल के झंडे फहराए जाएंगे। सीएम केसीआर के मन में पीएम मोदी के प्रति कितनी कड़वाहट है, यह उनके हालिया बयानों से सामने आ गई है।

केसीआर ने बयान दिया है कि देश में राजनीतिक परिवर्तन होगा। यहां कोई परमानेंट नहीं रहने वाला है। उन्होंने यहां तक कहा कि मोदी जी… आपसे पहले भी बहुत से प्रधानमंत्री आए। जनता जिन्हें मौका देती है, वो आते हैं और अपना काम करके चले जाते हैं। मोदी जी…मुझे लगता है कि आप भ्रम में हैं कि हम ही परमानेंट हैं। ये नेचुरल है। इस देश में लोकतंत्र है। आपको भी जाना होगा। भाजपा और पीएम मोदी को लेकर तेलंगाना के सीएम केसीआर की बौखलाहट के पीछे का कारण भी राजनीतिक माना जा रहा है। दरअसल तेलंगाना में अगले साल यानी 2023 में विधान सभा चुनाव होने हैं। जहां भाजपा का काफी ज्यादा फोकस है।

भाजपा तेजी से अपना जनाधार बढ़ा रही है। नतीजन टीआरएस के मुखिया और तेलंगाना के सीएम केसीआर राव पीएम मोदी पर इतने हमलावर हैं। यदि भाजपा यहां मजबूत होती है तो इसका सबसे ज्यादा नुकसान केसीआर को ही होगा। 2020 में हैदराबाद नगर निगम चुनाव के नतीजों ने टीआरएस की चिंता बढ़ा दी थी। तब भाजपा ने 48 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि टीआरएस के 55 प्रत्याशी जीते थे।

सिर्फ चार साल के भीतर भाजपा ने चार से 44 सीटों तक का सफर तय किया था। उधर, 2019 के लोक सभा चुनाव में भाजपा ने 17 लोकसभा सीट में से चार पर जीत हासिल की थी। इसके पहले 2014 में भाजपा को यहां से सिर्फ एक सीट पर जीत मिली थी। भाजपा के बढ़ते जनाधार से सबसे ज्यादा नुकसान केसीआर को हो रहा है। अब 2023 विधान सभा चुनाव के लिए अभी से भाजपा ने तैयारी शुरू कर दी है। इस बार भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के लिए भी हैदराबाद का चयन किया गया है।