लेखा विभाग को दुरूस्त करने में जुटा नगर निगम, पुराने सरकारी बकाये का कर रहा है भुगतान

बकाया जीएसटी जमा कराने की वजह से ठेकेदारों के भुगतान में हो सकता है विलंब। विगत सप्ताह 5 करोड़ 22 लाख रुपये जीएसटी विभाग में जमा कराया गया है। हालांकि जीएसटी की रकम कहीं अधिक है। ऐसे में एकाउंट विभाग को जीएसटी विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक करके लेनदानी और देनदारी का हिसाब क्लियर करने का निर्देश दिया गया है। जीएसटी भुगतान का असर ठेकेदारों को होने वाले भुगतान पर भी पड़ेगा। 
उदय भूमि ब्यूरो
गाजियाबाद। गाजियाबाद नगर निगम के लेखा विभाग को दुरूस्त किया जा रहा है। लेखा विभाग के पुराने लेनदारी और देनदारी का सिस्टम ठीक नहीं होने के कारण कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा है। अमृत योजना, पीएफ, जीएसटी सहित कई मदों में नगर निगम के फंड से शासन द्वारा कटौती कर ली जाती है। पीएफ विभाग में भी एकमुश्त पैसा जमा करना पड़ा था। जीएसटी को लेकर भी इसी तरह की परेशानी आ रही थी। जीएसटी भुगतान में देरी होने पर ब्याज और जुर्माना भी भरना पड़ता है। ऐसे में जीएसटी की देनदारी को प्राथमिकता पर निपटाया जा रहा है। विगत सप्ताह 5 करोड़ 22 लाख रुपये जीएसटी विभाग में जमा कराया गया है। हालांकि जीएसटी की रकम कहीं अधिक है। ऐसे में एकाउंट विभाग को जीएसटी विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक करके लेनदानी और देनदारी का हिसाब क्लियर करने का निर्देश दिया गया है। जीएसटी भुगतान का असर ठेकेदारों को होने वाले भुगतान पर भी पड़ेगा। ऐसे में यह तय है कि भुगतान के लिए ठेकेदारों को अभी और इंतजार करना पड़ेगा।
गाजियाबाद नगर निगम का बजट बढ़ता गया। काम भी बढ़ते गये। लेकिन एकाउंट विभाग की कार्यशैली पुरातन ढर्रे से ही चलती रही। डबल इंट्री सिस्टम के बजाय सिंगल इंट्री सिस्टम भी इस समस्या की एक वजह बनी है। देशी भाषा में कहें तो निगम का एकाउंट विभाग न खाता न बही केसरी चाचा जो बोले वही सही की तर्ज पर चल रहा था। लेकिन नगरायुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने अब एकाउंट विभाग को पुराना तरीका छोड़कर प्रोफेसनल तरीके से काम करने का सख्त निर्देश दिया है। एकाउंट विभाग में जो भी कमी है उसे दुरूस्त किया जाये। नगर निगम की कितनी लेनदारी और कितनी देनदारी है उसका स्पष्ट ब्यौरा अपटू डेट रहे। जीएसटी सरीखे सरकारी विभागों की जो देनदारी है उसका स्पष्ट रिकार्ड रहे। इसी कड़ी में जीएसटी का जो भी बकाया है उसे क्लीयर किया जा रहा है। जीएसटी विभाग का कहना है वर्ष 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद से विज्ञापन होर्डिंग्स से संबंधित मामलों में जीएसटी का भुगतान नहीं किया है। अब इस प्रकरण को निपटाया जा रहा है।

जीएसटी की जटिलता बनी वजह
जीएसटी को लेकर नगर निगम को एक साथ सवा 5 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ा है और अभी लगभग 10 से 12 करोड़ रुपये का और भुगतान करना है। इस बकाये के लिए जीएसटी के नियमों की जटिलता भी एक वजह है। जीएसटी के इनपुट के्रडिट सहित कई बिंदुओं पर कुछ प्वाइंट शुरूआत में क्लीयर नहीं थे। बाद में भी कई तरह के एमेंडमेंट जीएसटी को लेकर हुए। इस कारण इस तरह की परेशानी हुई। जीएसटी बकाया को लेकर सिर्फ नगर निगम के एकाउंट विभाग पर दोष नहीं म­ढ़ा जा सकता। लेकिन भविष्य में फिर से इस तरह की समस्या ना आये इसको लेकर नगर निगम के एकाउंट विभाग को दुरूस्त किया जा रहा है।

प्राधिकरण में भी है जीएसटी को लेकर विवाद
जीएसटी भुगतान का विवाद सिर्फ गाजियाबाद नगर निगम में ही नहीं बल्कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में भी है। जीएसटी के नियमों में ये विभाग भी फंसे हुए हैं और भुगतान को लेकर विवाद चल रहा है। प्राधिकरण के अलावा कई और ऐसे सरकारी विभाग हैं जिन्हें जीएसटी विभाग ने बकाया भुगतान करने का नोटिस भेजा है।