यूएन की व्यवस्था में बदलाव की जरूरत : मोदी

रूस में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक आयोजित

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने 75 साल का सफर पूरा कर लिया है। इसके बावजूद संयुक्त राष्ट्र का मूल उद्देश्य अभी पूरा नहीं हो पाया है। यूएन की व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन की आवश्यकता है। समूचे विश्व की अपेक्षा के अनुरूप यह बदलाव लाना होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को रूस में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की वर्चुअल बैठक में भाग लिया। चीन से जारी विवाद के बीच यह पहला मौका है जब प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग आमने-सामने आए। बैठक की अध्यक्षता रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने की। बैठक को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि एससीओ में भारत के लिए यह महत्वपूर्ण साल है। इस बैठक के लिए व्यापक एजेंडा बनाया गया है। एजेंडे में आर्थिक मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत की दृष्टि के साथ आगे बढ़ा जा रहा है। उन्हें उम्मीद है कि आत्मनिर्भर भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए फोर्स मल्टीप्लायर साबित होगा। एससीओ क्षेत्र को आर्थिक गति प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि एससीओ क्षेत्र से भारत का घनिष्ठ सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध रहा है। भारत का मानना है कि कनेक्टिविटी को तरफ ज्यादा गहरा करने के लिए एक-दूसरे की संप्रभुता की मूल भावना के साथ आगे बढ़ा जाए। प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त राष्ट्र की व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन की जरूरत पर भी बल दिया। पाकिस्तान पर निशान साधकर पीएम मोदी ने कहा कि इस मंच में समय-समय पर द्विपक्षीय मुद्दों को लाने का प्रयास होता है, जो एससीओ फोरम के मूल्यों और बुनियादी बातों के खिलाफ है। हमने चीनी और रूसी भाषाओं में भारत के 10 साहित्य का अनुवाद किया है। कई योग कार्यक्रमों में भाग लिया। बता दें कि कोरोना काल में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की यह बैठक बुलाई गई है।