राहुल गांधी ने मोदी सरनेम को चोर बोलकर ओबीसी समाज का किया अपमान: के.के. शर्मा

-राहुल गांधी की सदस्यता समाप्त होने परअन्य नेताओं को मिलेगा सबक

गाजियाबाद। 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले 11 अप्रैल को कर्नाटक के कोलार में एक रैली के दौरान अपने भाषण में राहुल गांधी ने कहा था कि चोरों का सरनेम मोदी है। सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है, चाहे वह ललित मोदी हो या नीरव मोदी हो चाहे नरेन्द्र मोदी। राहुल गांधी के इस विवादित बयान से आहत गुजरात में सूरत पश्चिम के विधायक पूर्णेश मोदी ने 13 अप्रैल, 2019 को कोर्ट में मानहानि का केस दर्ज कराया। लोकसभा सचिवालय ने शुक्रवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ एक्शन लिया। मोदी सरनेम को लेकर की गई टिप्पणी के मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई गई है। हालांकि, अदालत के फैसले के बाद राहुल को तुरंत जमानत भी मिल गई। लेकिन इस फैसले की वजह से राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता चली गई।
सोशल चौकीदार के संस्थापक के.के. शर्मा ने कहा भारत की राजनीति और नेताओं के बिगड़े बोल सारी सीमाएं पर कर गए थे। कोई भी किसी को गाली दे रहा था, कोई भी किसी को अपमानित कर रहा था लेकिन राहुल गांधी की सदस्यता समाप्त होने पर उम्मीद है कि नेता अब तो कुछ सबक लेंगे और जुबान पर कंट्रोल करेंगे तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गाली देना एक फैशन बन गया था।

आशा है अब राजनीति में शालीनता वापस आएगी। उन्होंने कहा राहुल गांधी ने लंदन सेमिनार में जो बातें कही, उसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने हमारे लोकतंत्र, न्यायपालिका और देश का अपमान किया है। हमें उन लोगों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए, जो देश के खिलाफ जहर उगलते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के लिए राहुल गांधी की नफरत अब देश के लिए नफरत में बदल गई है इसलिए हर देशवासी अब यह मांग कर रहा है कि राहुल गांधी को संसद में आकर माफी मांगनी चाहिए। राहुल और कांग्रेस पार्टी अभी भी अहंकार के चलते लगातार अपने बयान पर अड़े हुए हैं और ओबीसी समाज की भावनाओं को आहत कर रहे हैं। राहुल गांधी का अहंकार बहुत बड़ा और समझ बहुत छोटी है। अपने राजनीतिक लाभ के लिए उन्होंने पूरे ओबीसी समाज का अपमान किया। उन्हें चोर कहा। समाज और कोर्ट के द्वारा बार-बार समझाने और माफी मांगने के विकल्प को भी उन्होंने नजरअंदाज किया और लगातार ओबीसी समाज की भावना को ठेस पहुंचाई।

के.के. शर्मा ने कहा दरअसल गांधीवादी विचारधारा के दो आधारभूत सिद्धांत हैं- सत्य और अहिंसा। कांग्रेस इस विचारधार का सबसे बड़ा झंडाबरदार होने और इसके बताये रास्ते पर चलने का दावा करती है। लेकिन इसके दो मूल सिद्धांतों पर अमल नहीं करती है। कांग्रेस की पूरी राजनीति सत्य और अहिंसा के विपरीत असत्य और हिंसा की मदद से चलती है। झूठे और बेबुनियाद आरोप कांग्रेस की असत्यवादी राजनीति के हथियार बन गए हैं। 2014 से पहले इस हथियार के बल पर कांग्रेस ने गैर-कांग्रेसी पार्टियों का दमन किया। उन्हें कभी एकजुट होकर लडऩे का मौका नहीं दिया। साम, दाम, दंड और भेद की नीति पर चलते हुए उन्हें आपस में ही लड़ाती रही और कमजोर विपक्ष का राजनीतिक फायदा उठाती रही। लेकिन 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद कांग्रेस का एकाधिकारवादी राजनीति का अंत हो गया। मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए कांग्रेस ने फिर असत्यवादी हथियारों का इस्तेमाल करना शुरू किया। उन्होंने कहा किसी विशेष एक समुदाय को जाति देना निंदनीय है। राहुल गांधी ने भगोड़े नीरव मोदी और राफेल डील मामले में झूठे आरोप लगाकर जनता को खूब गुमराह करने की कोशिश की। यहां तक कि नीरव मोदी की आड़ में प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधने के चक्कर में पूरे ओबीसी समाज का अपमान कर दिया।