नहीं निकला हल, अब हल क्रांति की तैयारी

सरकार के खिलाफ किसानों ने भरी हुंकार

नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन जारी है। दिल्ली में विभिन्न बॉर्डर पर शनिवार को 24वें दिन भी काफी संख्या में किसान डटे रहे। इस बीच भारतीय किसान यूनियन ने सरकार के विरोध में हल क्रांति करने का ऐलान किया है। उधर, समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने भी सरकार की आलोचना की है। कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन जारी है। केंद्र सरकार और किसानों के मध्य गतिरोध कायम है। दिल्ली के सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर के पास किसान धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने सरकार को हल क्रांति करने की धमकी दी है। यूपी गेट पर किसानों के बीच टिकैत ने कहा कि 3 नए कृषि कानून को लेकर अगर सरकार हल नहीं निकाल पाती है तो किसान खुद हल क्रांति करेंगे। सरकार को किसानों की मांगों पर विचार करना चाहिए। उधर, बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि केंद्र सरकार को किसानों के साथ हठधर्मी की बजाए सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपना कर मांगों को स्वीकार कर तीनों कानूनों को तत्काल वापस ले लेना चाहिए। इस दरम्यान सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि यदि पश्चिम बंगाल में भाजपा की रैली करने के लिए कोरोना नहीं है, तो संसद सत्र चलाने के लिए दिल्ली में क्यों है। संसद में किसानों के पक्ष में जन प्रतिनिधियों के आक्रोश से बचने को भाजपा सरकार कोरोना का बहाना बना रही है। भाजपा संसदीय-सांविधानिक परंपराओं का क़त्लेआम कर रही है। वहीं, सरकार का साफ कहना है कि कृषि कानूनों में संशोधन संभव है, मगर इन कानूनों को वापस नहीं लिया जा सकता। इसके चलते सरकार और किसानों में समझौता होता दिखाई नहीं दे रहा है। विभिन्न राजनीतिक दलों ने किसानों को समर्थन दे रखा है।