जनपद की 14 ग्राम पंचायतों में पूरे हैं टीबी मुक्त होने के मानक: सीएमओ

-जिला पंचायती राज विभाग के साथ मिलकर जल्द किया जाएगा डेटा परीक्षण

गाजियाबाद। प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान को धरातल पर उतारने के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. भवतोष शंखधर ने ग्राम पंचायत स्तर से काम शुरू कर दिया है। लक्षण युक्त व्यक्तियों की जांच और उपचार पर फोकस करने के उद्देश्य से आमजन को जागरूक करने के प्रयास किए जा रहे हैं। विकसित भारत यात्रा के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रमों के दौरान टीबी के बारे में जानकारी देने के साथ ही स्क्रीनिंग की जा रही है।  उन्होंने बताया- एक हजार की आबादी पर 30 स्पुटम (बलगम) जांच करने पर रिपोर्ट निगेटिव प्राप्त होने से उस आबादी को टीबी मुक्त घोषित किया जाएगा। जिले की 14 ग्राम पंचायत इस मानक को पूरा कर रही हैं। उनकी सूची तैयार कराई गई है। जल्द ही जिला पंचायती राज विभाग के साथ मिलकर इन ग्राम पंचायतों का डेटा परीक्षण कराया जाएगा। इसी तरह अन्य ग्राम पंचायत भी मानक को पूरा करेंगी तो जिला टीबी मुक्त हो जाएगा और जिला टीबी मुक्त होगा तो भारत टीबी मुक्त होगा।

सीएमओ डा. भवतोष शंखधर ने बताया शासन से मिले मानकों के आधार पर जिले में रजापुर ब्लॉक की ग्राम पंचायत मथुरापुर और बहादुरपुर, मुरानगर ब्लॉक की ग्राम पंचायत बांदीपुर, आरिफपुर, भदौली, काकड़ा, खिमावती, खुर्रमपुर, मटौर, मोहम्मदपुर, पुर्सी और रावली कलां, लोनी ब्लॉक की ग्राम पंचायत कोतवालपुर और भोजपुर ब्लॉक की ग्राम पंचायत शामली टीबी मुक्त ग्राम पंचायत के सभी मानकों को पूरा करती हैं। जिला स्तरीय वेलीडेशन टीम के डेटा परीक्षण करने के बाद स्टेट टीम और फिर सेंट्रल टीम डेटा परीक्षण करेगी। उसके बाद जिलाधिकारी की ओर से संबंधित ग्राम पंचायत को टीबी मुक्त होने का प्रमाण – पत्र जारी किया जाएगा। जिला क्षय रोग अधिकारी डा. अमित विक्रम ने बताया टीबी मुक्त पंचायत का दावा करने के लिए शासन से मानदंड निर्धारित किये गये हैं।

दावा करने के लिए उस गांव की आबादी की तीन प्रतिशत की टीबी जांच होना जरूरी है, यानि एक हजार की आबादी पर 30 लोगों की जांच होनी जरूरी है। एक हजार की आबादी में एक से ज्यादा टीबी पॉजिटिव नहीं होना चाहिए। जो भी मरीज है उसको निक्षय पोषण योजना के तहत डीबीटी के माध्यम से कम से कम एक किस्त का भुगतान हो चुका हो। इसके साथ ही उसका यूनिवर्सल ड्रग ससेप्टिबिलिटी टेस्ट ( यूडीएसटी) होना भी जरूरी है। उन्होंने बताया टीबी मुक्त पंचायत का दावा जिला पंचायती राज अधिकारी (डीपीआरओ) की ओर से किया जाएगा।