ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में बिल्डर-बायर्स को लेकर हो सकता है कोई ठोस निर्णय 12 अगस्त को होने वाली बैठक में कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर लग सकती है मुहर

विगत कुछ वर्षों में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की कार्यशैली सुप्तावस्था ( निष्क्रियता ) वाली रही है। इन वर्षों में ना तो शहरवासी और किसानों की समस्याओं के निस्तारण को लेकर कोई ठोस काम किया गया और ना ही प्राधिकरण की स्थिति को मजबूत बनाने पर कोई ध्यान दिया गया। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर हजारों करोड़ रुपये का कर्ज है। कई वर्षों की निष्क्रियता का परिणाम है कि आज ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में समस्याओं का अंबार है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पीड़ित होम बायर्स को राहत देने के लिए बनी अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों को लेकर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण 12 अगस्त को प्रस्तुतिकरण देगा। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का बिल्डरों पर लगभग 5 हजार करोड़ रुपया बकाया है। बकाया की रिकवरी के साथ ही होम बायर्स को फ्लैट पर कब्जा व रजिस्ट्री किस तरह से करवाई की जाये। इसको लेकर मंथन होगा।

विजय मिश्रा (उदय भूमि ब्यूरो)
ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण की 12 अगस्त को होने वाली बोर्ड बैठक में इंडस्ट्रियल प्लॉट आवंटन नीति, वन टाइम सेटलमेंट स्कीम (ओटीएस) सहित कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर मुहर लग सकती है। लेकिन बैठक में सबसे अधिक नजर बिल्डर-बायर्स वाले प्रस्ताव पर होगी। दरअसल बिल्डरों द्वारा ठगे गये हजारों होम बायर्स को राहत पहुंचाने के साथ ही ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के बकाये हजारों करोड़ रुपये की रिकवरी करना भी एक बड़ा मुद्दा है। विगत कुछ वर्षों में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की कार्यशैली सुप्तावस्था ( निष्क्रियता ) वाली रही है। इन वर्षों में ना तो शहरवासी और किसानों की समस्याओं के निस्तारण को लेकर कोई ठोस काम किया गया और ना ही प्राधिकरण की स्थिति को मजबूत बनाने पर कोई ध्यान दिया गया। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर हजारों करोड़ रुपये का कर्ज है। कई वर्षों की निष्क्रियता का परिणाम है कि आज ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में समस्याओं का अंबार है।

अधिकारियों को पीड़ितों की समस्याओं को सुनने और उसके निस्तारण में सबसे अधिक समय लग रहा है। नवनियुक्त मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रवि कुमार एनजी ने किसानों और पीड़ितों को अपनी प्राथमिकता में रखा है। इसका परिणाम भी दिखाई दे रहा है। अभी तक जिन किसानों और पीड़ितों को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण कार्यालय में प्रवेश नहीं मिलता था, अब उनमें उम्मीद जगी है कि उनकी समस्याओं का समाधान होगा। व्यक्तिगत स्तर पर लोगों की शिकायतों के निस्तारण के साथ ही प्लानिंग, प्रोजेक्ट और डेवलपमेंट लेवल पर भी कुछ ठोस पहल किये जाने की जरूरत है। इसी पर फोकस करते हुए सीईओ द्वारा इन बड़ी समस्याओं के निस्तारण को लेकर भी बैठकें की जा रही है और हर संभावित उपायों पर चर्चा की जा रही है। इन्हीं बड़ी समस्याओं में एक बड़ा मुद्दा बिल्डर-बायर्स का है।

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पीड़ित होम बायर्स को राहत देने के लिए बनी अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों को लेकर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण 12 अगस्त को प्रस्तुतिकरण देगा। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का बिल्डरों पर लगभग 5 हजार करोड़ रुपया बकाया है। बकाया की रिकवरी के साथ ही होम बायर्स को फ्लैट पर कब्जा व रजिस्ट्री किस तरह से करवाई की जाये। इसको लेकर मंथन होगा। अमिताभ कांत समिति ने बिल्डर और खरीदारों की समस्याओं को खत्म करने के लिए कई सिफारिशें की हैं। लेकिन इन सिफारिशों को पूरी तरह से अमल करने की राह में कई कठिनाइयां भी हैं। ऐसे में प्राधिकरण सिफारिशों को लागू करने से पहले इसके नफा-नुकसान का आकलन कर रहा है। आगामी बोर्ड बैठक में प्राधिकरण इन सिफारिशों को लागू करने में होने वाली दिक्कतों और फायदों को बताएगा। बोर्ड की मुहर के बाद इस पर आगामी कार्रवाई की जाएगी। औद्योगिक भूखंडों के आवंटन में नीलामी प्रक्रिया बंद पर इंटरव्यू के जरिये भूखंडों के आवंटन से संबंधित प्रस्ताव पर भी मुहर लग सकती है।