यूपी के IAS – PCS अफसर हेलीकॉप्टर में करते थे मौज हाईकोर्ट के आदेश पर अब सार्वजनिक होगा नाम

उत्तर प्रदेश के आईएएस पीसीएस अफसरों के लिए नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद अवैध कमाई और मौज-मस्ती के लिए स्विजरलैंड रहा है। करोड़ों की काली कमाई करने के साथ ही अफसर यहां खूब मौज-मस्ती किया करते थे। बिल्डरों द्वारा अधिकारियों को किस तरह से आव-भगत और सेवा-पानी की जाती थी इसका खुलासा ग्रेटर नोएडा की पॉश कॉलोनी में बने अवैध हेलीपैड की जांच में हुआ है। बिल्डर ने बताया कि हेलीपैड का इस्तेमाल जिले के अफसर खूब करते थे और वह यहां से अपने गंतव्य के लिए जाते थे। इस मामले हाईकोर्ट गए आरडब्ल्यू से जुड़े लोगों ने बताया कि हाईकोर्ट ने यह जवाब मांगा है कि जिन अधिकारियों द्वारा यहां से हेलीकॉप्टर की सेवाएं ली जाती थी उनके नाम बताये। इसके बाद से नोएडा, ग्रेटर नोएडा में तैनात रहे और हेलीकॉप्टर सेवा का उपभोग करने वाले आईएएस-पीसीएस अफसरों में हड़कंप मचा हुआ है। इन अधिकारियों को बदनामी का डर सता रहा है साथ ही यह भी डर लग रहा है कि हाईकोर्ट कहीं उनके खिलाफ कोई कड़ा आदेश ना कर दे।

विजय मिश्रा (उदय भूमि ब्यूरो)
ग्रेटर नोएडा। उत्तर प्रदेश के आईएएस पीसीएस अफसरों के लिए नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद अवैध कमाई और मौज-मस्ती के लिए स्विजरलैंड रहा है। करोड़ों की काली कमाई करने के साथ ही अफसर यहां खूब मौज-मस्ती किया करते थे। बिल्डरों द्वारा अधिकारियों को किस तरह से आव-भगत और सेवा-पानी की जाती थी इसका खुलासा ग्रेटर नोएडा की पॉश कॉलोनी में बने अवैध हेलीपैड की जांच में हुआ है। अवैध रूप से कॉलोनी के बीच में बने हेलीपैड का विरोध करते हुए रेजीडेंटस ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में शिकायत दर्ज कराई। रेजीडेंट्स की शिकायत का प्राधिकरण ने संज्ञान नहीं लिया। इसके बाद रेजीडेंट्स इलाहाबाद हाईकोर्ट गये। हार्ईकोर्ट ने मामले को गंभीरता से लिया और इस मामले में अब तक की कार्रवाई में कोर्ट का कड़ा रुख देखने को मिला है। कोर्ट के रुख को देखते हुए जब ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने इस मामले में हेलीपैड संचालित करने वाले बिल्डर से जवाब मांगा तो उसने बड़ा ही रोचक जवाब दिया। बिल्डर ने जवाब दिया कि सोसाइटी में बने हेलीपैड का उपयोग मैनेजमेंट के लोग और प्रशासनिक अफसर करते थे। बिल्डर ने बताया कि हेलीपैड का इस्तेमाल जिले के अफसर खूब करते थे और वह यहां से अपने गंतव्य के लिए जाते थे। हालांकि इस मामले में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने अब कार्रवाई शुरू कर दी है। लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि जब हेलीपैड अवैध था तो सरकारी अफसर इसका इस्तेमाल क्यों करते थे और बिल्डर द्वारा सरकारी अफसरों से किस प्रकार का अनैतिक लाभ प्राप्त करने के एवज में उन्हें हेलीकॉप्टर की सैर कराता था। इस मामले हाईकोर्ट गए आरडब्ल्यू से जुड़े लोगों ने बताया कि हाईकोर्ट ने यह जवाब मांगा है कि जिन अधिकारियों द्वारा यहां से हेलीकॉप्टर की सेवाएं ली जाती थी उनके नाम बताये। इसके बाद से नोएडा, ग्रेटर नोएडा में तैनात रहे और हेलीकॉप्टर सेवा का उपभोग करने वाले आईएएस-पीसीएस अफसरों में हड़कंप मचा हुआ है। इन अधिकारियों को बदनामी का डर सता रहा है साथ ही यह भी डर लग रहा है कि हाईकोर्ट कहीं उनके खिलाफ कोई कड़ा आदेश ना कर दे।
जेपी ग्रीन्स सोसाइटी में हेलीपैड और गोल्फ कोर्स को नष्ट करने वाले निर्माण को लेकर निवासियों ने 19 फरवरी 2021 ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में शिकायत की थी। शिकायत के बावजूद प्राधिकरण ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद जेपी ग्रीन्स रेजीडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन ने अगस्त 2021 में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। इसी साल 9 सितंबर को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) को निर्माण रोकने का निर्देश दिया। गत 3 नवंबर को हाईकोर्ट ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को अवैध हेलीपैड के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया। इसके बाद हेलीपैड को ध्वस्त करने की कार्रवाई हुई। साथ ही वहां चल रहे निर्माण कार्य को रुकवाया गया है। वहां चल रहे निर्माण कार्य की जांच की जा रही है। जेपी ग्रुप भी इसे अस्थाई हेलीपैड बता रहा है। स्थानीय रेजीडेंट्स ने बताया कि कॉलोनी में पिछले डेढ़ दशक से भी अधिक समय से ऐसी गतिविधि चलाई जा रही थीं। उधर, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों का भी कहना है कि इस हेलीपैड के लिए कोई अनुमति नहीं ली गई थी। फिर सवाल उठता है कि बिना अनुमति चल रही अवैध गतिविधियों के बावजूद प्राधिकरण ने कार्रवाई करने की जहमत क्यों नहीं उठाई।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा कार्रवाई नहीं किए जाने के बाद जेपी ग्रीन्स रेजीडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन हाईकोर्ट चली गई। एसोसिएशन द्वारा कॉलोनी में हेलीपैड और अवैध निर्माण को लेकर अलग-अलग याचिका दाखिल की गईं। हाईकोर्ट ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से कार्रवाई करने के लिए कहा। प्राधिकरण ने 10 नवंबर से एक हफ्ते के भीतर हेलीपैड खत्म करने के लिए कहा है। हेलीपैड की पट्टी के अलावा यहां काफी स्थाई स्ट्रक्चर का निर्माण हुआ है। रेजीडेंट्स द्वारा हाईकोर्ट में कई फोटो दिखाये गये हैं जिसमें हेलीपैड पर हेलीकॉप्टर की मौजूदगी और उसकी मरम्मत होती हुई दिखाई दे रही है। हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने वालों में शामिल शुभ गौतम ने बताया कि इस आवासीय परियोजना में हेलीपैड से व्यावसायिक गतिविधियां की जा रही हैं। इसका जिक्र याचिका में भी किया गया है। गौतम ने बताया कि कॉलोनी में ही हेलीकॉप्टर की मरम्मत और टेस्टिंग उड़ान होती थी। ऐसी गतिविधियों से लोगों में डर रहता था कि कहीं उनके घर में हेलीकॉप्टर ना घुस जाए और कोई बड़ा हादसा ना हो जाये।
जेपी ग्रीन्स से कराई जाती थी चारधाम यात्रा
शहर की पॉश सोसाइटी जेपी ग्रीन्स में बने अवैध हेलीपैड को लेकर जो साक्ष्य उपलब्ध कराये गये हैं उसमें कई चौंकाने वाली बातें सामने आई है। जांच में पता चला कि यहां से चारधाम की यात्रा कराई जाती थी। यहां पर हेलीकॉप्टर की मरम्मत भी होती थी। यह हेलीपैड सोसाइटी निर्माण के समय से चल रहा था।
कौन कौन अधिकारी लेते थे जेपी के हेलीकॉप्टर की सेवा
उत्तर प्रदेश में जेपी ग्रुप का किस तरह से बोलबाला रहा है यह बात किसी से छूपी नहीं है। लेकिन ताजुब्ब करने वाली बात यह है कि जिन सरकारी अफसरों को जेपी ने हेलीकॉप्टर से सैर करवाया अब उन्हीं अफसरों के नाम सार्वजनिक करने पर आमदा है। जेपी ग्रुप ने अपने लिखित जवाब में कहा कि सरकारी अफसर उनके हेलीपैड का उपयोग करते थे। उधर, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा इस मामले में कार्रवाई नहीं किये जाने के कारण भी इस बात को बल मिलता है कि बड़े रसूखदार अफसर जेपी के हेलीकॉप्टर से मौज-मस्ती किया करते थे। सवाल उठता है कि जिस हेलीपैड को जेपी ग्रुप इसको अस्थाई बता रहा है। उस हेलीपैड का संचालन पिछले 20 सालों से किन अधिकारियों के शह पर किया जा रहा था। कई और सवाल हैं मसलन अगर हेलीपैड अस्थाई तौर पर बनाया गया था तो क्या इस पर डीजीसीए अनुमति दे सकता है। अगर हेलीपैड अस्थाई था तो इसकी जानकारी सरकारी अफसरों को भी रही होगी। बावजूद इसके वह यहां से वह उड़ान भरते थे। सोसायटी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधीन आती है। फिर वर्षों से इस तरह की गतिविधियां चल रही थी। लेकिन प्राधिकरण ने कार्रवाई से पल्ला क्यों ­झाड़ रखा था।