कृषि विभाग के खिलाफ लेखपालों ने खोला मोर्चा

किसान सम्मान निधि योजना के लाभार्थियों का तीसरी बार सर्वे कराने पर विवाद

गाजियाबाद। किसान सम्मान निधि योजना के तहत लाभार्थियों का तीसरी बार सर्वे कराने की तैयारी चल रही है। कृषि विभाग के इस निर्णय से लेखपालों में आक्रोश देखने को मिल रहा है। लेखपालों द्वारा दो बार पहले सर्वे किया जा चुका है। उन्होंने सवाल उठाया है कि दो बार सर्वे के बावजूद यदि कृषि विभाग पर लाभार्भियों का डाटा नहीं है तो किस आधार पर उन्हें किसान सम्मान निधि की धनराशि उपलब्ध कराई जा रही है। लेखपालों के पास पहले से कई जरूरी कार्यों का दायित्व है। वर्तमान स्थिति में वह पुन: सर्वे कार्य करने की स्थिति में नहीं है। इसके अलावा फील्ड सर्वे कार्य के लिए लेखपालों को केंद्र सरकार की तरफ से इंसेंटिव के तौर पर दस रुपए प्रति लाभार्थी दिए गए थे। किसान सम्मान निधि योजना के तहत जनपद में करीब 61 हजार लाभर्थियों का सर्वे किया गया था।

आरोप है कि कृषि विभाग यह रकम भी डकार गया है। अब तक किसी भी लेखपाल को इंसेंटिव नहीं मिल पाया है। केंद्र सरकार ने विगत एक फरवरी 2019 में किसान सम्मान निधि योजना प्रारंभ की थी। इसके अंतर्गत लाभार्थियों को निर्धारित राशि का खाते में भुगतान किया जाता है। जनपद गाजियाबाद में कृषि विभाग ने किसान सम्मान निधि के लाभार्थियों के सर्वे की जिम्मेदारी लेखपालों को सौंपी थी। अब तक दो बार लेखपालों द्वारा फील्ड सर्वे कार्य कर कृषि विभाग को संपूर्ण ब्यौरा उपलब्ध कराया जा चुका है। कृषि विभाग ने जिस सृची पर सब्सिडी जारी की जा रही थी, वह अत्यधिक त्रुटिपूर्ण होने के कारण लेखपालों को नए सिरे से सर्वे करके पंजीकरण कराने के लिए निर्देश दिए गए हैं।

लेखपालों ने गांवों मे जाकर किसानों से बैंक पासबुक, आधार कार्ड, नकल खतौनी आदि ब्यौरा संकलित कर कृषि विभाग को सौंपा था। तीसरी बार सर्वे कार्य के निर्देश मिलने से लेखपालों में गुस्सा है। उनका कहना है कि लेखपाल इस समय खसरा ऑनलाइन फीडिंग एवं घरौनी (स्वामित्व) योजना के व्यापक कार्य के साथ-साथ खतौनी निर्माण, अंश निर्धारण के अलावा आईजीआएसएस, समाधान दिवस, जनता दर्शन व अन्य विविध संदर्भों के निस्तारण कर रहे हैं। लेखपाल इस समय दिन में फील्ड का काम करते हैं और रात में खसरा व घरौनी कंप्यूटर पर फीडिंग कराते हैं। ऐसे में वह आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक रूप से टूट चुके हैं।

फील्ड सर्वे कार्य के लिए लेखपालों को अभी तक इंसेंटिव भी नहीं मिल पाया है। उत्तर प्रदेश के सिर्फ रायबरेली व बांदा जनपद में लेखपालों को इंसेंटिव का भुगतान किया गया है। आरोप है कि गाजियाबाद में कृषि विभाग के अधिकारी इंसेंटिव की मोटी रकम को हजम कर गए हैं। सवाल यह भी उठता है कि सरकार द्वारा खर्च मोटी रकम क्या अब तक अपात्रों के खाते में जाती रही है। यदि अपात्रों को रकम भेजी गई है तो इसके लिए कृषि विभाग ही जिम्मेदार है।