क्रिश्चयन समुदाय को नगर निगम से बड़ी राहत

-अर्थला में कब्रिस्तान के लिए भूमि का चयन

गाजियाबाद। नगर निगम ने क्रिश्चयन समुदाय की बड़ी टेंशन को दूर कर दिया है। इस समुदाय के नागरिकों को शव दफनाने के लिए अब दिल्ली जाने की जरूरत नहीं है। नगर निगम ने क्रिश्चयन समुदाय को कब्रिस्तान के लिए भूमि देने की मांग पूरी कर दी है। उन्हें अर्थला में 3790 वर्ग मीटर भूमि कब्रिस्तान के लिए उपलब्ध कराई जाएगी। इस भूमि को चयनित कर क्रिश्चयन समुदाय की संस्था गाजियाबाद क्रिश्चियन लीडर्स फेलोशिप को पत्र भेजा है। संस्था ने अर्थला में चयनित भूमि पर कब्रिस्तान बनाने के लिए सहमति दे दी है। ईसाई समुदाय के लोग 2014 से नगर निगम अधिकारियों से कब्रिस्तान के लिए जमीन की मांग कर रहे हैं। नगर निगम ने 2019 में अर्थला में ही करीब 7000 वर्ग मीटर जमीन दी थी। इस जमीन पर निगम ने बोर्ड भी लगा दिया था,मगर बाद में प्राइवेट लोगों ने इस जमीन पर अपना मालिकाना हक बताकर कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी थी। मामला न्यायालय में विचाराधीन होने की वजह से ईसाई समुदाय ने इस जमीन के बदले दूसरी जमीन की मांग की थी। नगर निगम के संपत्ति विभाग ने अब करीब तीन साल बाद समुदाय के लोगों को दूसरे स्थान पर जमीन देने की प्रक्रिया पूरी की है।नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर के निर्देश पर नगर निगम के संपत्ति विभाग ने अर्थला के खसरा नंबर-1394 की 3790 वर्ग मीटर भूमि कब्रिस्तान के लिए देने को चयनित की है। फेलोशिप के जनरल सेके्र्रटरी पादरी मानेस्वर दास ने अर्थला में चयनित की गई जमीन पर निगम को सहमति देकर इसे समतल कराए जाने की मांग की है। उनका कहना है कि कब्रिस्तान पर आने-जाने के लिए रास्ता बन जाएगा तो इसका इस्तेमाल कर पाएंगे।कोरोना संक्रमण काल में ईसाई समुदाय के कई लोगों का निधन संक्रमण से हुआ। पादरी मानेस्वर दास ने बताया कि गाजियाबाद में ईसाई समुदाय के कब्रिस्तान भर जाने की वजह से शवों का अंतिम संस्कार करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा। अंतिम संस्कार के लिए लोगों को दिल्ली जाना पड़ा। दिल्ली आने-जाने में न सिर्फ परेशानियां झेलनी पड़ी, बल्कि मृतकों के परिजनों को शव के अंतिम संस्कार पर 25 से 30 हजार रुपए खर्च हुए। गाजियाबाद में कब्रिस्तान बनने दिक्कतेेंं खत्म हो जाएंगी।