जीडीए पहुंची सीबीआई, पीएम आवास योजना की जांच शुरू

-भवन आवंटन में कई अधिकारियों पर गिर सकती है गाज

गाजियाबाद। प्रधानमंत्री आवास योजना में बिना पूरे दस्तावेज के आवंटित किए गये भवनों के मामलें में अब कई अधिकारियों पर गाज गिरने की संभावना है। पीएम आवास योजना के तहत आवंटित किए गए भवनों की अब सीबीआई की जांच शुरू हो गई है। अपात्र लोगों को बिना पूरे दस्तावेज के प्रधानमंत्री आवास योजना में भवन आवंटन के आरोप लगाए गए है। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) कार्यालय में पहुंचकर सीबीआई की टीम ने अधिकारियों से आवंटन की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी जुटाई है। इस मामले में जीडीए उपाध्यक्ष कृष्णा करूणेश का कहना है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पात्र और अपात्र आवेदकों का निर्णय लेना जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) विभाग का हैै। सीबीआई के अधिकारियों द्वारा जो जानकारी मांगी गर्ई थी, उन्हें वह जानकारी उपलब्ध करा दी गई है। पीएम आवास योजना के लिए आवेदकों के सभी दस्तावेजों की जांच डूडा विभाग द्वारा की जाती है। डूडा विभाग की सूची के आधार पर ही जीडीए द्वारा पात्र आवेदकों को भवन आंवटित करता हैं। सीबीआई किस मामले में जांच कर रही है, उसकी जानकारी नही है।दरअसल, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जीडीए द्वारा मधुबन-बापूधाम आवासीय योजना में 856 ईडब्ल्यूएस भवनों का निर्माण किया जा रहा है। इन भवनों का आवंटियों को फरवरी में आवंटन कर किए जा चुके हैं। इन भवनों की सूची एवं संबंधित दस्तावेज सीबीआई टीम जीडीए अधिकारियों से लेकर गई है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वर्ष- 2018 में भवनों की स्कीम लांच की गई थी। मधुबन-बापूधाम योजना में पीएम आवास योजना के 856 भवनों के लिए करीब 7003 लोगों ने जीडीए में फार्म जमा किए गए थे। डूडा विभाग ने दस्तावेजों के सत्यापन के बाद 7,003 में से 3,893 पात्र लोगों का चयन किया था। वर्ष-2020 में जीडीए ने लाटरी ड्रा कर मधुबन-बापूधाम में 856 लोगों को भवन आवंटित कर दिए थे। मगर अभी तक आवंटियों को भवनों पर कब्जा नहीं मिल पाया है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत भवनों की कीमत बढऩे के बाद अब 5.50 लाख रुपए हो गई है। इसके तहत तीन लाख सब्सिडी के रूप में दो लाख रुपए केंद्र सरकार और एक लाख रुपए प्रदेश सरकार सब्सिडी दे रही हैं। यानि कि आवंटी को मात्र ढ़ाई लाख रुपए ही जमा करना होता हैं। इसके तहत आवेदक की तीन लाख से अधिक आय नहीं होनी चाहिए। आनलाइन आने वाले आवेदन के साथ संलग्न दस्तावेजों की जांच जीडीए द्वारा डूडा से कराई जाती है। इसी सूची के आधार पर जीडीए द्वारा गठित समिति द्वारा लाटरी ड्रा के जरिए भवनों का आवंटन किया जाता हैं। भाजपा के पार्षद हिमांशु मित्तल ने हाल ही में फर्जी आय प्रमाण पत्र, बिना जाति प्रमाणपत्र व बिना मूल निवास प्रमाणपत्र के ही लोगों को पात्रता की सूची में रखे जाने के आरोप लगाए है। वहीं, वरिष्ठ नागरिक कोटे पर 25-30 साल के युवकों को भवन आवंटन करने का आरोप है। इससे पहले जून 2020 में भी भाजपा पार्षद हिमांशु मित्तल ने मामले को उठाया था। उन्होंने आवंटन प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए थे। पिछले माह लोनी के भाजपा विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने भी रोहिंग्या एवं बाहरी लोगों को भवन आवंटित करने के आरोप लगाते हुए इसकी प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री से शिकायत की थी।