रेमडेसिविर इंजेक्शन का नही मिला ब्यौरा, मंत्री जी खफा

-स्वास्थ्य राज्यमंत्री ने डीएम को पत्र भेजकर मांगी जानकारी

गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश सरकार के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्य मंत्री अतुल गर्ग नाराज हैं। कोरोना संक्रमण काल में जनपद के संबंधित अधिकारियों ने उन्हें रेमडेसिविर इंजेक्शन का विवरण उपलब्ध नहीं कराया है। स्वास्थ्य राज्य मंत्री अतुल गर्ग ने अब जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय को पत्र भेजकर इंजेक्शन का विवरण मांगा हैं। अधिकारियों की उदासीनता पर सवाल उठ रहे हैं। राज्यमंत्री का आरोप है कि जिस समय कोरोना संक्रमण चरम पर था, उस समय रेमडेसिविर की जमकर कालाबाजारी हुई। उन्होंने डीएम से उन मरीजों को विस्तृत ब्योरा मांगा है, जिन्हें रेमडेसिविर इंजेक्शन मुहैया कराया गया। ऑक्सीजन,चिकित्सा उपकरण और रेमडेसिविर 10-12 गुना दामों पर बेचा जा रहा है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, परिवार कल्याण मातृ एवं शिशु कल्याण राज्यमंत्री अतुल गर्ग द्वारा भेजे गए पत्र भी इस कालाबाजारी को उजागर कर रहा है। पत्र लिख कर कहा कि वह एक माह में चार बार रेमडेसिविर के मिले स्टाक और खपत की जानकारी मांग चुके हैं। मगर अभी तक जानकारी नहीं दी गई। ऐसे में सवाल उठता है कि जब प्रशासन राज्यमंत्री को सूचना नहीं दे पा रहा है तो लोगों को रेमडेसिविर कैसे दी होगी। स्वास्थ्य राज्यमंत्री अतुल गर्ग ने सवाल खड़े किए हैं कि प्रशासन और अधिकारी दावा करते रहे कि रेमडेसिविर की सप्लाई को लेकर समुचित व्यवस्था बनाई गई। मरीज को जरूरत होने पर अस्पताल की मांग पर इंजेक्शन उपलब्ध कराए गए लेकिन सच्चाई ये है कि उसी वक्त लाचार और मजबूर पीडि़त परिजन अपने मरीज की जान बचाने के लिए ब्लैक में इंजेक्शन खरीद रहे थे। जरूरतमंदों को प्रशासन की तरफ से रेमडेसिविर नहीं दिया गया। डीएम को लिखे पत्र में स्वास्थ्य मंत्री ने लिखा है कि 15 अप्रैल से 5 मई तक कोरोना संक्रमण चरम था और लोगों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा था। इस दौरान मरीजों की जान बचाने के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन की बेहद आवश्यकता था लेकिन इस दौरान मेरे संज्ञान में आया कि काफी जरूरतमंदों को कहने के बाद भी इंजेक्शन नहीं मिल पाए। जबकि उन्हें ब्लैक में बाजार से इंजेक्शन खरीदने पड़े। ब्लैक में इंजेक्शन खरीदे जाने की शिकायत पर प्रशासन एवं औषधि निरीक्षण को चार बार पत्र लिखकर ब्योरा मांगा गया। उन चारों पत्रों को भी साथ में संलग्न किया गया है जिसमें लिखा गया था कि विभिन्न अस्पतालों में भर्ती मरीज पूछ रहे है कि उन्हें इंजेक्शन क्यों नहीं मिल रहा है। जबकि अस्पताल ब्लैक में इंजेक्शन देने को तैयार है। डीएम को लिखे पत्र में 18, 23, 24 अप्रैल और नौ मई को अधिकारियों को रेमडेसिविर इंजेक्शन से जुड़े मरीजों का ब्योरा मुहैया कराने के संबंध में लिखे पत्रों को भी संलग्न किया गया।राज्यमंत्री ने डीएम को लिखे पत्र में कहा कि वह उन मरीजों के नाम, मोबाइल नंबर, आधार व इत्यादि विवरण चार से पांच कार्य दिवसों में मुहैया कराएं, जिससे कि कालाबाजारी की जांच हो सके। साथ में हवाला दिया है कि मुख्यमंत्री का स्पष्ट आदेश है कि कालाबाजारी की जांच की जानी चाहिए, जिससे की उन पर कठोर कारज़्वाई की जा सके। उनका कहना है कि ब्योरा नहीं देने के पीछे कालाबाजारी लग रही हैं। इसे खेल में शामिल अधिकारियों व अन्य लोगों पर कार्रवाई करवाना मेरी पहली प्राथमिकता है।