जनक प्रतिज्ञा व सीता स्वयंवर की लीला का मंचन देख झूमें भक्त

-जनक प्रतिज्ञा और सीता स्वयंवर की अवधारणा नए भारत में भी प्रासंगिक, अनुकरण कीजिए: नरेंद्र भारद्वाज
-जनक प्रतिज्ञा, धनुष यज्ञ और सीता स्वयंवर के दृश्य देख भाव-विह्वल हुए लोग

गाजियाबाद। प्राचीन संकटमोचन श्री हनुमान मंदिर धार्मिक रामलीला समिति, वसुंधरा के तत्वावधान में आयोजित रामलीला मंचन के दौरान बुधवार को जनकपुर के महाराजा जनक की प्रतिज्ञा, धनुष यज्ञ और सीता स्वयंवर का जीवंत मंचन किया गया। सर्वप्रथम रामलीला समिति के अध्यक्ष नरेंद्र भारद्वाज ने कमेटी के सदस्यों के साथ मंचस्थ प्रभु राम समेत ईश्वर लीला रचाने वाले विभिन्न स्वरूपों का पूजन किया। ततपश्चात प्रेमपूर्वक दर्शक दीर्घा में बैठकर रामलीला का अवलोकन सपरिवार किया। राजा जनक की प्रतिज्ञा, धनुष यज्ञ और सीता स्वयंवर का जीवंत नाट्य प्रदर्शन करने वाले कलाकारों ने दर्शकों को काफी सम्मोहित किया।

रामलीला समिति के अध्यक्ष नरेंद्र भारद्वाज ने बताया कि राजा जनक की प्रतिज्ञा, धनुष यज्ञ और सीता स्वयंवर का दृष्टिकोण नये भारत में भी प्रासंगिक है। यह पिता-पुत्री के बीच के वात्सल्य प्रेम और पारस्परिक उत्तरदायित्व की भावना को उद्घाटित करता है। यदि आज के समाज में हर पिता राजा जनक की तरह प्रतिज्ञाबद्ध हो जाये और सीता स्वरूपा अपनी कन्याओं को मनोनुकूल वर ढूंढने में मदद करे यानी स्वतंत्र निर्णय लेने में मदद करे, तो भारतीय समाज की कई सारी पारिवारिक विडंबनाओं का अंत स्वत: हो जाएगा। उन्होंने कहा कि राजपरिवार के पारस्परिक वैवाहिक सम्बन्धों की मर्यादाओं का कैसे अनुशीलन किया जाता है, इसका साक्षात उदाहरण भगवान राम के अयोध्या और माता सीता की जनकपुर द्वारा प्रस्तुत किये गए तत्कालीन आचरण से पता चलता है। ऐसा ही आचरण हर घर-परिवार, देश-समाज को प्रस्तुत करना चाहिए। रामलीला के मंचन का यही परम पावन उद्देश्य है। उन्होंने बताया कि सीता स्वयंवर का मंचन एक गौरवशाली पल रहा, जिसे देखकर दर्शक भी भाव विह्वल हो गए। इस दृश्य को कुंवारी कन्याओं को अवश्य देखना चाहिए, इससे उन्हें मनोनुकूल वर प्राप्ति का योग पैदा होता है। बता दें कि नवरात्र से ही शादी-विवाह की बात चलाने की शुरूआत हो जाती है।

रामलीला समिति के अध्यक्ष नरेंद्र भारद्वाज ने बताया कि सीता स्वयंवर के दौरान मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने शिव महिमा, परशुराम क्रोध और पौरुष विवेक का जो सजीव उदाहरण प्रस्तुत किया, उसे हमारे युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए। सामर्थ्य होते हुए भी समय और सभा की कद्र करना जो सीख लिए, वही इस जीवन लीला के सिकंदर बन सकते हैं। उनकी ही यश-कीर्ति हर ओर फैल सकती है। उन्होंने कहा कि हमारे नेतृत्व को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम जैसे कर्तव्य का निर्वहन करना चाहिए और हमारे पड़ोस में यदि कहीं लंका के दुर्गुण विद्यमान हों, तो हमें कदापि उसके दहन से नहीं हिचकना चाहिए। उन्होंने कहा कि रामलीला के विभिन्न पात्र हमें कुछ न कुछ सीख अवश्य देते हैं। यही वजह है कि सदियों से चली आ रही यह परंपरा आज भी निरंतर जारी है। यह सनातन संस्कृति की धरोहर है।

इस मौके पर रामलीला कमेटी में चेयरमैन नरेन्द्र भारद्वाज, उपाध्यक्ष बीना सैंगर, सुशील उपाध्याय व उमा शंकर शर्मा, महामंत्री इन्द्रपाल प्रधान व मनोज भारद्वाज, कोषाध्यक्ष मोहन सिंह राणा व सचिन भारद्वाज, सचिव अनिल शर्मा व नितिन भारद्वाज, सहसचिव संजीव भारद्वाज व नितिन यादव, मीडिया प्रभारी प्रशांत गुप्ता व कमलेश पाण्डेय, परामर्शदाता- महेश भारद्वाज, सुरेन्द्र शर्मा, सुरेन्द्र भारद्वाज, अमित किशोर व अशोक शर्मा, कार्यकारिणी सदस्य सज्जन कुमार, विनोद एम, पं. प्रभाशंकर वशिष्ठ, सचिन चौधरी, मनोज भारद्वाज, मनिन्दर सिंह बिल्ला, ब्रजमोहन मिश्रा, अशोक पण्डित, सिराजुद्दीन मेहन्दी, जय कुमार, किशोर फुलेरा, प्रभाल जाटव, इमरान सैफी, रितेश राय व वासुदेव शर्मा आदि गणमान्य लोग उपस्थित रहे और रामलीला मंचन में अपने अपने दायित्वों का कुशलता पूर्वक निर्वहन कर रहे थे।