जिलाधिकारी की अनूठी पहल: धरनार्थियों को प्रशासन पढाएगा मौलिक कर्तव्यों का पाठ

गाजियाबाद। जिला प्रशासन ने अनूठी पहल की है। जिला मुख्यालय में ज्ञापन देने के लिए आने वालों धरनार्थियों (धरना-प्रदर्शन) को अब मौलिक कर्तव्यों की भी याद दिलाई जाएगी। मौलिक कर्तव्यों का संविधान प्रदत्त पत्र भी उन्हें प्रदान किया जाएगा। जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय ने धरने को कानूनी एवं सामाजिक ढांचे से शुरू कराने का निर्णय लिया है। कलेक्ट्रेट में धरना-प्रदर्शन हेतु स्थान चिन्हित किया गया है। इस धरनास्थल पर दिन-प्रतिदिन कोई न कोई प्रभावित व्यक्ति/संगठन धरने पर आते रहते हैं। वहां वह सभा करते हैं और अपना ज्ञापन प्रशासन को सौंपते हैं। डीएम अजय शंकर पांडेय ने एक अध्ययन कराया है, जिसके मुताबिक पिछले तीन माह में 27 धरने-प्रदर्शन हुए हैं। यह धरने प्रर्दशन विभिन्न आरडब्लूए, किसानों के मुद्दों, औद्योगिक इकाईयों के मुद्दों एवं फीस को लेकर पेरेंट्स एसोसिएशन के मुद्दों इत्यादि को लेकर किए गए हैं। प्रशासन की नई पहल के तहत अब धरना स्थल पर लोगों को उनके मूल कर्तव्यों की भी याद दिलाने का निर्णय लिया गया है। इसके अतिरिक्त कलेक्ट्रेट स्थित धरना स्थल पर लोगों को उनके मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख करते हुए 2 साइन बोर्ड लगवाए गए हैं, जिसका उद्देश्य लोगों को उनके मौलिक कर्तव्यों की याद दिलाया जाना है। धरना-प्रदर्शन शांतिपूर्ण मौलिक कर्तव्यों को जोडऩे से सहजता एवं कानून का पालन करने में होगा। जिलाधिकारी कार्यालय में ज्ञापन देने वाले को जिला प्रशासन की ओर से मौलिक कर्तव्यों का संविधान प्रदत्त पत्र भी प्रदान किया जाएगा, जिसमें निम्न बातें अंकित की गई हैं। संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज, राष्ट्रगान का आदर करें। स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखें और उनका पालन करें। भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्य रखें। देश की रक्षा करें और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करें। वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें। सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखें और हिंसा से दूर रहें। व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढऩे का सतत प्रयास करें, जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि की नई ऊंचाइयों को छू लें। यदि माता-पिता या संरक्षक है, छह वर्ष से चौदह वर्ष तक की आयु वाले अपने यथास्थिति बालक या प्रतिपाल्य के लिए शिक्षा के अवसर प्रदान करें।