ब्रिज विहार के पूर्व पार्षद ने सीट आरक्षण को लेकर उठाये सवाल

ब्रिज विहार के पूर्व पार्षद ने आरोप लगाया है कि ब्रिज विहार (वार्ड-68) की सीट सामान्य जाति की होनी चाहिए थी, लेकिन यह सीट गलत आंकड़ों के हिसाब से इस सीट को ओबीसी महिला कर दी गई है। ऐसे में इस गलत आंकड़ों पर शासन प्रशासन तुरन्त संज्ञान ले और ब्रिज विहार का सर्वे करवाकर दोबारा से इस सीट के आरक्षण को लेकर विचार करे।

उदय भूमि ब्यूरो
गाजियाबाद। ब्रिज विहार के पूर्व पार्षद और भाजपा नेता गोपाल दत्त करगेती ने नगर निगम चुनाव में सीट आरक्षण को लेकर आपत्ति की है। पूर्व पार्षद का कहना है कि समाचार पत्रों में सीट आरक्षण को लेकर जो संभावित सूची जारी की गई है उसमें ब्रिज विहार को पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित किया गया है। जबकि ब्रिज में पिछड़ा वर्ग के परिवारों की संख्या कम है। गोपाल दत्त करगेती ने कहा कि ब्रिज विहार सीट को जनरल कैटेगरी में रखा जाना चाहिये। जिससे कि सामान्य वर्ग के लोगों को चुनाव में शामिल होने का मौका मिल सके।
गोपाल दत्त करगेती ने प्रेस रिलीज जारी कर नगर निगम के वार्ड नंबर- 68 ब्रिज विहार में रहने वाले परिवारों की संख्या और मतदाताओं की संख्या का आंकड़ा दिया है। करगेती ने बताया कि वार्ड-68 में ओबीसी वर्ग के 195 परिवार रहते हैं। यदि एक परिवार में वोेटरों की औसत संख्या 4 मानी जाये तो ओवीसी वोटरों की संख्या 780 है। जबकि सामान्य वर्ग के यहां लगभग 3 हजार परिवार रहते हैं यानी सामान्य वर्ग के वोटरों की संख्या लगभग 12 हजार है। ऐसे में ब्रिज विहार सीट को जनरल कैटेगरी में रखा जाना चाहिये। पूर्व पार्षद ने बताया कि ब्रिज विहार में जाट विरादरी के लगभग 35 परिवार, गुर्जर विरादरी के लगभग 60 और ओबीसी कैटेगरी के अन्य विरादरी के लगभग 195 परिवार रहते हैं। इन सभी परिवारों के वोटरों की संख्या एक हजार से भी कम है। जबकि जनरल कैटेगरी के वोटरों की संख्या इनसे 12 गुणा अधिक है। पूर्व पार्षद ने आरोप लगाया है कि ब्रिज विहार (वार्ड-68) की सीट सामान्य जाति की होनी चाहिए थी, लेकिन यह सीट गलत आंकड़ों के हिसाब से इस सीट को ओबीसी महिला कर दी गई है। ऐसे में इस गलत आंकड़ों पर शासन प्रशासन तुरन्त संज्ञान ले और ब्रिज विहार का सर्वे करवाकर दोबारा से इस सीट के आरक्षण को लेकर विचार करे।