महंगाई की मार, जीएसटी ने बिगाड़ा रसोई का बजट

गाजियाबाद। जनता पहले से ही महंगाई की मार से दुखी है वहीं आम आदमी पर (18 जुलाई) से महंगाई का बोझ और बढ़ गया है। देश भर में सोमवार से दुध से बने प्रोडक्ट (मिल्क प्रोडक्ट) और कुछ अन्य चीजों के दाम में बढ़ोतरी हो गई। ये बढ़ोतरी 18 जुलाई से दुग्ध प्रोडक्टों पर लग रहे जीएसटी (जीएसटी) के कारण हुई है। जिसके कारण दही, पनीर, शहद और लस्सी के दाम बढ़ जाएंगे। इन सभी दुध के उत्पादों पर पांच फीसदी जीएसटी लगा दी गई है। व्यापारी एकता समिति संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रदीप गुप्ता ने कहा कि सोमवार से दुध के उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद बाजार में मिलने वाले पैकेट बंद दुध से बने सामान महंगे हो गए।

अगर बाजार में मिलने वाले पैकेट बंद दही की बात करें तो 200 ग्राम पैकेट वाले दही की कीमत 20 रुपए से बढ़कर 21 रुपए, 400 ग्राम पैकेट की दही की कीमत 30 रुपए से 31.50 रुपए हो गई है। वहीं 200 ग्राम पैकेट वाले पनीर की कीमत अब 80 रुपए के बदले 84 रुपए, लस्सी की 20 रुपए वाली पैकेट, बंद लस्सी अब 21 रुपए की मिलेगी। इसके अलावा एक किलो शहद की कीमत अब 450 रुपए के जगह 472 रुपए हो गई। जबकि आधा किलो शहद के दाम अब 240 रुपए से बढ़कर 262 रुपए हो गए है। वहीं 250 ग्राम शहद की कीमत 120 रुपए से बढ़कर 126 रुपए, 10 किलो वाला पैकेट बंद आटा 400 रुपए के बदले 420 रुपए गया तो पांच किलो वाला पैकेट बंद आटा अब 200 रुपए की जगह 210 रुपए का हो गया। जीएसटी में बढ़ोतरी के कारण निजी अस्पताल में पांच हजार रुपए से ज्यादा के किराए वाले कमरे पर अब पांच फीसदी जीएसटी लगेगा। 1000 रुपए से कम क़ीमत वाले होटल के कमरों पर भी अब जीएसटी देना होगा।

उन्होंने कहा कि पहले ही पेट्रोल डीजल, सीएनजी, खाद्य तेल समेत रोजमर्रा की अन्य चीजों की बढ़ती कीमतों से परेशान आम आदमी के लिए महंगाई की मार झेल रहा है और अब यह नया झटका उनका बजट बिगाड़ देगा। दूध के उत्पादों पर और अन्य चीजों पर सोमवार से लगाए जाने वाले जीएसटी के कारण आम लोगों की जेब कटनी तय है। सरकार के इस फैसले से भले ही सरकारी खजाने में आमदनी बढऩी तय है। वहीं दूसरी ओर आम लोगों का बजट बिगडऩा भी तय है। उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि सरकार को इस फैसले पर पुन: विचार करना चाहिए। जिससे आम जनता को इससे राहत मिल सकें। कोरोना काल के बाद लगातार महंगाई बढ़ रही है। इस पर नियंत्रण करने के बजाय सरकार टैक्स बढ़ाने का कार्य कर रही है। केंद्र सरकार व्यापारियों के उत्पीडऩ पर तुली है। सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं है। अनाज पर जीएसटी लगने से उपभोक्ता पर महंगाई की मार पड़ेगी।