नगर निगम ठेकेदारों का जल्द होगा भुगतान, एकाउंट विभाग का आश्वासन होली त्यौहार पर होगा भुगतान

– सुधर रहे हैं नगर निगम के आर्थिक हालात, शासन से अचानक हुई करोड़ों रुपये की कटौती के कारण बिगड़ गई थी भुगतान व्यवस्था

उदय भूमि ब्यूरो
गाजियाबाद। नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर की ठोस प्लांनिग की वजह से नगर निगम का आर्थिक संकट दूर होता हुआ दिखाई दे रहा है और ठेकेदारों के बकाये का भुगतान जल्द होने की उम्मीद जगी है। एकाउंट विभाग ने आश्वासन दिया है कि होली त्यौहार पर ठेकेदारों का भुगतान किया जाएगा। हालांकि पूरा भुगतान एक साथ संभव नहीं है फिर भी प्रयास किया जा रहा है कि ठेकेदारों को अधिक से अधिक भुगतान मिले। हालांकि कितना भुगतान होगा इस बाबत स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा रहा है। लेकिन उम्मीद है कि ठेकेदारों को सम्मानजनक भुगतान होगा। संभव है कि नगर निगम के कुछ विभागों के ठेकेदारों का भुगतान होली से पहले हो जाये और कुछ विभागों का भुगतान होली के दो-चार दिन बाद किया जाये। बरहाल नगर निगम के भुगतान संबंधित आश्वासन के बाद ठेकेदारों के चेहरे खिल गये हैं। भुगतान मिलने पर शहर से विकास संबंधित कामों में भी तेजी आएगी और अधूरे कामों को तेजी से कराया जाएगा।

विदित हो कि विगत 6 माह से नगर निगम आर्थिक परेशानियों से जूझ रहा है। इसकी वजह शासन से नगर निगम को मिलने वाली फंड में की जाने वाली कटौती रही है। अमृत योजना सहित शासन द्वारा अन्य योजनाओं के अंशदान की कटौती अचानक शुरू कर दी गई। दरअसल शासन द्वारा गाजियाबाद नगर निगम के फंड से 100 करोड़ रुपये से अधिक की कटौती की जानी थी। इसमें से अब तक 73 करोड़ रुपये का भुगतान और कटौती नगर निगम फंड से हो चुका है। अनुमानित रूप से गाजियाबाद नगर निगम को अभी शासन को लगभग 30 करोड़ रुपये का भुगतान और करना है। पिछले 6 महीने में शासन द्वारा गाजियाबाद नगर निगम फंड से 73 करोड़ रुपये की कटौती और भुगतान लिये जाने का असर नगर निगम की आर्थिक व्यवस्था पर पड़ा। ठेकेदारों को महज 20 से 25 फीसद ही भुगतान हुआ। ठेकेदारों का लगभग 75 फीसद रकम नगर निगम पर बकाया है। बकाये की वजह से ठेकेदार भी आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं और वह नगर निगम के अधूरे पड़े विकास कार्यों को पूर्ण कराने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।

नगरायुक्त की बेहतर प्लानिंग से खत्म हो रहा संकट
नगर निगम में अचानक आये आर्थिक संकट को दूर करने में नगरायुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दरअसल शासन द्वारा जिन योजनाओं के एवज में गाजियाबाद नगर निगम के खाते से कटौती की गई वह सभी कार्य 4 से 5 वर्ष पूर्व कराये गये थे। ऐसे में जो कटौती अब हुई है वह पहले ही हो जानी चाहिये थी। लेकिन पूर्व में ऐसा नहीं हुआ। ऐसे में यदि नगरायुक्त चाहते तो शासन से हो रही कटौती को अभी भी रूकवा सकते थे। लेकिन यह समस्या का तात्कालिक समाधान होता और भविष्य में समस्या और बढ़ जाती। जैसा कि अभी एकमुश्त कटौती की वजह से हुआ। ऐसे में नगरायुक्त ने एक प्लानिंग के तहत काम किया। एकाउंट ऑफिसर राजेश कुमार गौतम के साथ बैठक करके पूरी स्थिति को जाना।

भविष्य में निगम पर देनदारी ना रहे इसको ध्यान में रखते हुए शासन से होने वाली कटौती को जारी रखा लेकिन नगर निगम के फाइनैंस सिस्टम को भी कंट्रोल किया। जहां भी खर्चे में कटौती हो सकती थी उसमें कटौती की। भुगतान व्यवस्था को कंट्रोल किया। चीफ इंजीनियर एनके चौधरी के साथ बैठक करके ऐसे फंड का रिकार्ड तैयार कराया जो शासन से गाजियाबाद नगर निगम से मिलना था लेकिन नहीं मिला। इस फंड को समायोजित करने के लिए शासन को लिखा। इससे नगर निगम की देनदारी में कमी आई। उधर, मुख्य कर निर्धारण अधिकारी डॉ. संजीव कुमार सिन्हा के साथ बैठक करके टैक्स वसूली बढ़ाने पर जोर दिया। इन सभी प्रयासों का सार्थक असर होता हुआ दिखाई दे रहा है। उम्मीद है कि आने वालेे तीन से चार महीनों में ठेकेदारों के भुगतान संबंधित शिकायतें भी काफी हद तक दूर हो जाएंगी।

राजेश गौतम
एकाउंट ऑफिसर
गाजियाबाद नगर निगम

अचानक शासन से फंड में कटौती किये जाने के कारण भुगतान संबंधित दिक्कतें आई थी। नगरायुक्त के निर्देशन में फंड की कमी को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। ठेकेदारों के बकाये का जल्द भुगतान किया जाएगा। पूरा भुगतान एक साथ किया जाना संभव नहीं है। लेकिन धीरे-धीरे समस्त बकाये का भुगतान करा दिया जाएगा।
राजेश कुमार गौतम
एकाउंट ऑफिसर
गाजियाबाद नगर निगम