नगर निगम के जेई शातिर या फिर लापरवाह? नगरायुक्त ने कसे पेंच, चीफ इंजीनियर ने चलाया हंटर

-विजय नगर जोन में सड़क निर्माण में डेंस की एक लेयर पी गया ठेकेदार, चीफ इंजीनियर ने पकड़ा मामला, होगी कड़ी कार्रवाई। इस मामले में ठेकेदार के साथ-साथ जोन में तैनात जूनियर इंजीनियर गणेशी लाल भी संदेह के घेरे में हैं। शातिर और लापरवाह इंजीनियरों की अक्ल ठिकाने लगाने का नगरायुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने इंतजाम कर दिया है।

उदय भूमि ब्यूरो
गाजियाबाद। गाजियाबाद नगर निगम में तैनात जूनियर इंजीनियर (जेई) या तो शातिर हैं या फिर काम को लेकर घोर लापरवाह। लेकिन ऐसे शातिर और लापरवाह इंजीनियरों की अक्ल ठिकाने लगाने का नगरायुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने इंतजाम कर दिया है। नगरायुक्त ने फाइलों की जांच के साथ-साथ कार्यों के भौतिक सत्यापन का सख्त निर्देश जारी किया है। नगरायुक्त की इस सख्ती का असर भी दिखाई देने लगा है। पिछले दिनों चीफ इंजीनियर एनके चौधरी ने दो ऐसे मामले पकड़े जिसमें जेई और ठेकेदार के बीच गठजोड़ दिखाई दे रहा है। दोनों ही मामलों में ना सिर्फ कार्रवाई हुई बल्कि लापरवाह जेई के पेंच भी कस दिये गये हैं। इसके साथ ही सहायक अभियंता (एई) और अधिशासी अभियंता (एक्सईएन) की भी जिम्मेदारी तय कर दी गई है। चीफ इंजीनियर ने सभी एक्सईएन को साफ शब्दों में निर्देशित किया है कि लापरवाह और शातिर किस्म के जेई के कार्यों पर विशेष नजर रखें और गड़बड़ी मिलते ही तत्काल कार्रवाई करें। ऐसा नहीं करने पर एक्सईएन को भी कसूरवार माना जाएगा।

ताजा मामला नगर निगम के विजय नगर और वसुंधर जोन में पकड़ा गया है। पिछले सप्ताह चीफ इंजीनियर निर्माण विभाग के कार्यों की जांच कर रहे थे। जांच के दौरान कुछ फाइलें संदिग्ध लगीं। जिसके बाद मामला पकड़ में आया। विजय नगर जोन में सड़क निर्माण को लेकर जानकारी मिली थी कि ठेकेदार ने डेंस की सड़क बनाते समय उसमें बीएम लेयर (बड़े पत्थर और तारकोल  मिक्स) नहीं डाली और सीधे एसडीबीसी (सेमी डेंस बिटुमिनियस कंक्रीट) डालकर सड़क का निर्माण कर दिया। चीफ इंजीनियर ने जब इसकी जांच-पड़ताल की तो शिकायत सही पाई गई। प्रारंभिक जांच में यह तथ्य सामने आया कि विजय नगर जोन के वार्ड-55 में सम्राट चौक से गोल्डन पब्लिक स्कूल तक सड़क निर्माण का ठेका बालाजी इंफ्रास्ट्रक्चर इंजी. प्रा.लि. नाम की फर्म को मिला था। लगभग 1 करोड़ 13 लाख रुपये की लागत से बनने वाली इस सड़क में बीएम और एसडीबीसी दोनों लेयर डालकर सड़क का निर्माण होना था। लेकिन ठेकेदार ने बीएम की लेयर नहीं डाली। जबकि एस्टीमेट में बीएम लेयर डालने का प्रावधान था। ठेकेदार ने कुछ स्थानों पर सिर्फ दिखाने के लिए बड़े पत्थर डाले और बाद में एसडीबीसी की सिर्फ एक परत डालकर सड़क निर्माण पूरा कर दिया। इस मामले में ठेकेदार के साथ-साथ जोन में तैनात जूनियर इंजीनियर गणेशी लाल भी संदेह के घेरे में हैं। हालांकि अब इस मामले में ठेकेदार को नोटिस जारी कर दिया गया है। लेकिन सवाल उठता है कि सड़क निर्माण के समय जूनियर इंजीनियर क्यों गहरी निंद्रा में सो रहे थे ? नियम है कि सड़क निर्माण के समय जेई साइट पर मौजूद रहेंगे और काम की गुणवत्ता पर नजर रखेंगे। वसुंधरा जोन में तैनाती के दौरान भी काम में लापरवाही को लेकर गणेशी लाल विवादों में रहे थे और अब विजय नगर जोन में भी वह विवादों में फंस गये हैं। विदित हो कि कुछ माह पूर्व जेई द्वारा लापरवाही बरतने और मौके पर मौजूद नहीं होने के कारण बड़ी दुर्घटना घटित हो गई थी। फिर भी जेई सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। जानकार इस तरह के मामलों को जेई और ठेकेदार के भ्रष्ट गठजोड़ से जोड़कर देखते हैं। हालांकि इस मामले में फंसने के बाद जेई ने ठेकेदार को नोटिस जारी कर दिया है। बावजूद इसके वह खुद भी आरोपों के घेरे में हैं और उनसे भी स्पष्टीकरण मांगा गया है।

जेई की लापरवाही का दूसरा मामला वसुंधरा नगर जोन से जुड़ा है। नगर निगम के वार्ड-36 के प्रहलादगढ़ी की जाटव वाली गली में बल्लेराम से राजकुमार के मकान तक नाली और इंटरलॉकिंग टाइल्स लगाने का ठेका भारत इंटरप्राइजेज नाम की फर्म को दिया था। इस फर्म ने काम पूरा भी कर दिया, लेकिन बिल में मैसर्स प्रधान कंस्ट्रक्शन का नाम अंकित था। चीफ इंजीनियर एनके चौधरी ने इस मामले में भी स्पष्टीकरण मांगा है। हालांकि इस मामले में कंप्यूटर ऑपरेटर द्वारा फाइल में भूलवश भुगतान के कॉलम में प्रधान कंस्ट्रक्शन का नाम अंकित होने की बात सामने आई है। क्योंकि पूरी फाइल भारत इंटरप्राइजेज के नाम से ही बनी है और फाइल भी भारत इंटरप्राइजेज के मालिक के पास ही थी। लेकिन सवाल उठता है कि यदि कंप्यूटर ऑपरेटर ने कोई गलती की तो क्या यह जेई की जिम्मेदारी नहीं है कि वह फाइल की जांच करें।
बहरहाल इन दोनों ही मामलों को नगरायुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने काफी गंभीरता से लिया है और कार्रवाई के निर्देश दे दिए हैं। चीफ इंजीनियर एनके चौधरी ने जेई और ठेकेदार पर हंटर चलाने के साथ-साथ संबंधित जोन के एई और एक्सईएन को भी कार्यों पर नजर रखने के साथ जिम्मेदारी तय करने को कहा है। अब आगे देखना होगा कि नगरायुक्त और चीफ इंजीनियर की सख्ती के बाद भी जूनियर इंजीनियर सुधरते हैं या नहीं या फिर वह इसी तरह से भ्रष्टाचार के गोते लगाते रहते हैं।