नगर आयुक्त की सख्ती का असर एनडीआरएफ ने जमा कराए 2.18 करोड़ रुपए

सरकारी विभागों से टैक्स वसूली की कार्रवाई हुई तेज

गाजियाबाद। नगर निगम को देनदारियों के दबाव से मुक्त बनाने के लिए आमदनी बढ़ाने की नीति पर तेजी से काम चल रहा है। देनदारियों को खत्म करने के साथ-साथ नगर निगम को स्वावलंबी बनाने के लिए भी नगर आयुक्त ने कवायद तेज कर दी है। जिसकी कमान नगर आयुक्त ने खुद संभाली हुई है। वह प्रतिदिन टैक्स वसूली की मॉनिटरिंग कर रहे हैं और लापरवाह किस्म के अधिकारियों के पेंच भी कस रहे हैं। जिसके लिए छोटे से लेकर बड़े बकाएदारों पर भी शिकंजा कसा जा रहा है। केंद्र और प्रदेश सरकार के सरकारी विभागों पर पिछले दो साल से संपत्तिकर का बकाया चला आ रहा है। मगर इनके खिलाफ कैसे कार्रवाई और संपत्ति कर कैसे जमा कराया जाए। सरकारी विभागों पर करोड़ों का कर बकाया होने के कारण शहर के विकास कार्यों पर भी खतरा मंडराने लगा था। ऐसे में संपत्ति टैक्स की वसूली करना नगर निगम के लिए चुनौती बना हुआ है। लेकिन नगर आयुक्त के कमान संभालते ही सरकारी विभाग भी अपना बकाया कर जमा करने लगे है।

नगर निगम का सरकारी विभागों पर बकाया सर्विस चार्ज की वसूली को लेकर नोटिस जारी होने के बाद अब बकाया धनराशि जमा कराई जा रही है। नगर आयुक्त डॉ. नितिन गौड़ के नेतृत्व में सरकारी विभागों से टैक्स वसूली की कार्रवाई के चलते बुधवार को एनडीआरएफ की बटालियन की ओर से टैक्स का 2.18 करोड़ रुपए निगम कोष में जमा कराया गया। इसके अलावा जिन स्त्रोतों से राजस्व वसूली बढ़ सकती है, उस पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। संपत्ति कर से होने वाली आमदनी का नगर निगम के राजस्व में सबसे बड़ा योगदान है। ऐसे में शत-प्रतिशत टैक्स की वसूली हो, इसको लेकर संपत्ति विभाग की प्रगति रिपोर्ट की प्रतिदिन समीक्षा की जा रही है। इसका नतीजा यह है कि राजस्व वसूली में बढ़ोत्तरी हो रही है और नगर निगम स्वावलंबी बन रहा है।

नगर निगम के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी डॉ. संजीव सिन्हा ने बताया कि नगर आयुक्त के निर्देश पर केंद्र और राज्य सरकार के कार्यालय व भवनों पर बकाया टैक्स का पैसा जमा कराने के लिए प्रयास जारी है। राज्य सरकार के 66 भवन है, इनमें से 30 कार्यालयों एवं भवनों पर लगभग 107 करोड़ 93 लाख रुपए बकाया हैं। 36 भवनों से संपत्ति कर वसूला जा चुका है। जबकि केंद्र सरकार के 35कार्यालयों में से 18 भवनों पर बकाया सहित सर्विस चार्ज लगभग 104 करोड़ 57 लाख रुपए बकाया है। इनमें से 17 भवनों से टैक्स की वसूली की जा चुकी हैं।

महापौर व नगर आयुक्त के नेतृत्व में हाउस टैक्स और सर्विस चार्ज की वसूली को लेकर लगातार निगम द्वारा प्रयास किए जा रहे है। नगर आयुक्त खुद भी निगम की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। इसके लिए नगर आयुक्त ने जोनल प्रभारियों को जोनवार टैक्स वसूली का लक्ष्य निर्धारित करते हुए संपत्ति कर वसूलने के निर्देश दिए हैं। जोनल प्रभारी अपने-अपने जोन क्षेत्र से वसूली कराने में लगे हुए है। सरकारी विभागों से वसूली में तेजी लाने के लिए सभी जोनल प्रभारियों को निर्देश दिए गए है। इसके अलावा नोटिस जारी कर डिमांड भी भेजी जा रही है।