भाजपा के लिए कम नहीं मुश्किलें, पांचों सीट पर करिश्माई प्रदर्शन चुनौतीपूर्ण

किसानों की नाराजगी और बागियों से निपटना भी आसान नहीं

गाजियाबाद। विधान सभा चुनाव में जनपद गाजियाबाद में भाजपा के लिए चुनौतियां कम नहीं हैं। पांचों सीट पर इस बार विपक्ष का सूपड़ा साफ करना भाजपा के लिए इतना आसान नजर नहीं आ रहा है। पिछले 5 साल के भीतर माहौल और परिस्थितियों में काफी बदलाव आया है। प्रत्येक सीट पर भाजपा प्रत्याशी को चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। रही सही कसर बागियों ने पूरी कर दी है। इसके अलावा पार्टी की अंदररूनी कलह भी एक मुख्य फैक्टर है। 2017 के विधान सभा चुनाव में भाजपा ने करिश्माई प्रदर्शन किया था। लोनी, साहिबाबाद, गाजियाबाद सदर, मुरादनगर और मोदीनगर सीट पर पार्टी ने जीत दर्ज की थी। पांचों सीट पर प्रतिद्वंदी प्रत्याशियों को मुंह की खानी पड़ी थी। बसपा ने 5 में से 4 सीट पर भाजपा को चुनौती दी थी। 2022 के चुनाव में भाजपा ने पांचों मौजूदा विधायकों पर भरोसा जाहिर कर उन्हें पुन: मैदान में उतारा है। साहिबाबाद सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी से भाजपा को चुनौती मिली थी। पिछले चुनाव की अपेक्षा इस चुनाव में भाजपा को ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही है। भाजपा का इस बार भी पांचों सीट पर जीत का प्रबल दावा है। मगर राजनीति के जानकारों का कहना है कि इस बार पिछले चुनाव जैसी स्थिति नही है। किसानों की नाराजगी को तो अभी भाजपा पूरी तरह दूर कर ही नही पाई है, पार्टी में भितरघात का अंदेशा भी बना हुआ है। विधानसभा चुनाव 2017 में भाजपा प्रत्याशियों के मुकाबले बसपा के चार प्रत्याशी तो कांग्रेस का एक प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे थे, मगर जीत का अंतर सीट पर बड़ा था। वर्ष 1991 में पहली बार गाजियाबाद सीट से बीजेपी प्रत्याशी बालेश्वर त्यागी विजयी रहे थे। तब लोनी व साहिबाबाद विधानसभा सीटें नही थीं। ये दोनों इलााके बागपत जिले  की खेकडा विधानसभा सीट का हिस्सा थे। इसके बाद 1993 में बालेश्वर त्यागी के अलवा मोदीनगर से बीजपी प्रत्याशी नरेंद्र सिंह सिसोदिया जीते। बाद में 1996 में बालेश्वर त्यागी और नरेन्द्र सिंह सिसोदिया ने जीत को फिर दोहराया। वर्ष 2003 के चुनाव में केवल मोदीनगर सीट भाजपा जीत सकी। 2007 में गाजियाबाद सीट पर भाजपा के सुनील कुमार शर्मा ने जीत दर्ज की। लेकिन 2012 के चुनाव में बीजपी
के हिस्से में जिले की एक सीट भी नही आई। जिले की चारों विधानसभा सीट बसपा ने जीतीं और मोदीनगर की सीट रालोद के खाते में चली गई थी। फिर 2017 में भाजपा ने पांचों सीटों पर जीत का परचम लहरा दिया। राजनीतिक जानकारों का कहना है। कि 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजपी की जीत के पीछे नरेन्द्र मोदी की लहर भी थी और तत्कालीन सपा सरकार के प्रति एंटी इन्कंबैंसी  फेक्टर ने भी असर दिखाया था।

2017 में प्रत्याशियों को मिले मतों का गणित
2017 में गाजियाबाद शहर से भाजपा प्रत्याशी अतुल गर्ग ने 124201 मत हासिल कर जीत दर्ज की थी। बसपा से सुरेश बंसल 53696 मत प्राप्त हुए, मोदीनगर विधान सभा से मंजू सिवाच को 108631 मत मिले थे। मुरादनगर से बसपा के वाहब को 42049 मत, मुरादनगर से भाजपा के अजीत पाल त्यागी 140759 मत मिले थे। बसपा प्रत्याशी सुधन रावत को 51147 मत मिले थे। साहिबाबाद में भाजपा प्रत्याशी सुनील शर्मा को रिकॉर्ड 262741 मत मिले थे और कोंग्रेस के अमरपाल शर्मा को 112056 मत मिले थे। इधर लोनी से भाजपा के नंदकिशोर को 113088 मत, बसपा के जाकिर अली ने 70 हजार 275 मत हासिल किए थे।