मुरादनगर सीट से भाजपा और सपा-रालोद गठबंधन में कड़ा मुकाबला

अजित पाल त्यागी और सुरेंद्र मुन्नी की तैयारियां कम नहीं

गाजियाबाद। मुरादनगर में विधान सभा चुनाव की सरगर्मी जोरों पर देखने को मिल रही है। मुरादनगर सीट पर कांटे की टक्कर मानी जा रही है। इस सीट पर कौन बाजी मारेगा, अभी कहना मुश्किल है, मगर भाजपा और सपा-रालोद गठबंधन की तैयारियां कम नहीं हैं। हैंडपंप और कमल को लेकर चर्चाओं का बाजार गरम है। सपा-रालोद गठबंधन के प्रत्याशी सुरेंद्र कुमार मुन्नी व भाजपा प्रत्याशी अजित पाल त्यागी में कड़ा मुकाबला होने की संभावना है। सुरेंद्र मुन्नी को जहां हर वर्ग का समर्थन मिल रहा है। वह लगातार चुनाव प्रचार में दम फूंक रहे है। गांवों में सभाओं से लेकर पैदल मार्च, डोर-टू-डोर प्रचार किया जा रहा है।

वहीं, विधायक एवं भाजपा प्रत्याशी अजित पाल त्यागी भी पीछे नहीं हैं।  इस विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा त्यागियों का दबदबा रहा। अभी तक 15 चुनाव में 9 बार त्यागी बिरादरी के ही विधायक चुने गए। प्रधान मंत्री मोदी लहर में पिछली बार पूर्व मंत्री राजपाल त्यागी के बेटे अजितपाल त्यागी विधायक बने थे। लेकिन इस बार घमासान के पूरे आसार हैं। मतदान में अब दो दिन शेष बचे हैं। लोगों के हाव-भाव, खान-पान, चाल-ढाल सभी में चुनाव की झलक दिख रही है। यही वजह है कि सियासी पारा लगातार ऊपर चढ़ता ही जा रहा है। मुरादनगर सीट के पिछले परिणामों से साफ  है कि क्षेत्र के लोगों ने निर्दलीय से लेकर सभी राजनीतिक दलों को मौका दिया।मुरादनगर सीट पर होने वाली लड़ाई दिलचस्प हो गई है। इस विधानसभा क्षेत्र में पहला चुनाव 1967 में हुआ था और निर्दलीय जीएस चौधरी मुरादनगर के पहले विधायक बने गए थे। भारतीय क्रांति दल और कांग्रेस के टिकट पर ईश्वर दयाल त्यागी दो बार और पूर्व मंत्री राजपाल त्यागी 6 बार विधायक बने।

राजपाल त्यागी 1989 में निर्दलीय व 1991 में कांग्रेस के टिकट पर जीते। 1996 में सपा और 2008 के उपचुनाव में बसपा का मुरादनगर पर खाता खुलवाया। वह भाजपा को छोड़ सभी प्रमुख दल और निर्दलीय चुनाव जीत चुके हैं। जिले की पांचों विधानसभा सीट में मुरादनगर इकलौती सीट है। जहां के मतदाताओं ने निर्दलीय प्रत्याशियों को भी खूब मौका दिया। यहां से तीन बार निर्दलीय प्रत्याशी जीते तो वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी को यहां चार बार जीत मिली। राजपाल त्यागी ने सपा और बसपा की उपस्थिति दर्ज कराई। बसपा के दूसरे विधायक के रूप में 2012 में वहाब चौधरी को जीत मिली और भारतीय क्रांति दल,लोकदल, जनता दल व जनता पार्टी के प्रत्याशी एक-एक बार विधायक चुने गए।इस क्षेत्र में जिस तरह से राजपाल त्यागी का दबदबा रहा, उसी को देखते हुए भाजपा ने अजित पाल त्यागी पर दोबारा दांव खेला है। वह मोदी व योगी लहर के साथ सुरक्षा व विकास को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं तो उनके सामने अनुभवी सुरेंद्र कुमार मुन्नी रालोद-सपा गठबंधन की दोगुनी ताकत के साथ चुनौती दे रहे हैं।

बसपा सुप्रीमो मायावती भी अपने प्रत्याशी अय्यूब को मजबूत करने के लिए बीते दिनों कविनगर रामलीला मैदान में सभा कर चुकी हैं और कांग्रेस के जिलाध्यक्ष रहे बिजेंद्र यादव भी अपना दमखम दिखा रहे हैं।आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी महेश त्यागी भी दिल्ली माडल के फायदे गिना रहे हैं। सभी प्रत्याशी भले ही अपनी जीत का दावा कर रहे हैं, लेकिन राजनीति के जानकार कह रहे हैं कि यहां घमासान होगा। फिलहाल रालोद-सपा गठबंधन प्रत्याशी सुरेंद्र कुमार मुन्नी व भाजपा प्रत्याशी अजितपाल त्यागी के बीच ही चुनावी घमासान दिख रहा है। शहर होने के साथ मुरादनगर कस्बा और गांव शामिल होने की वजह से दोनों प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है। आज यानि कि मंगलवार की शाम को चुनाव प्रचार थम जाएगा। ऐसे में मतदाताओं पर छोड़ी गई छाप का कितना असर होगा। यह आने वाली 10 फरवरी गुरूवार को होने वाले मतदान के दौरान दिखाई देगा।