खत्म होगा 13 साल का इंतजार, आवंटियों को मिलेगा कब्जा

गाजियाबाद। मधुबन-बापूधाम योजना में जीडीए ने विकास कार्यों की रफ्तार तेज कर दी है। ऐसे में जीडीए के प्रति आवंटियों का भरोसा बढ़ता दिखाई दे रहा है। करीब 13 साल बाद भवन एवं भूखंडों पर कब्जा देने की कवायद भी शीघ्र आरंभ कर दी जाएगी। जीडीए सचिव बृजेश कुमार ने बताया कि मधुबन-बापूधाम योजना में तेजी से विकास कार्य कराए जा रहे हैं। ऐसे में आवंटियों को कब्जा पाने के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। इसके अलावा प्राधिकरण की आय में वृद्धि के लिए भी निरंतर कोशिशें हो रही हैं। ऐसे में विभिन्न कॉलोनियों में रिक्त पड़े भवन, भूखंड, कॉमर्शियल भूखंड, पेट्रोल पंप एवं स्कूल के भूखंड आदि को बेचकर कोष में इजाफा करने के लिए प्रयास किए जा रहे है। उन्होंने बताया कि जून से शुरू हुई नीलामी में अब तक 49 संपत्तियों को बेचने के बाद करीब 124 करोड़ रुपए रिकॉर्डतोड़ आय हुई है। संपत्ति बेचकर जीडीए के कोष में इजाफा करना भी इसी कड़ी का एक हिस्सा है ताकि शहर में विकास कार्य तेजी से कराए जा सकें। इससे शहरवासियों को सहूलियत मिल सकेगी।

जीडीए की रिक्त पड़ी संपत्ति खरीदने के लिए अब नीलामी में लोग अच्छा रुझान दिखा रहे हैं। यही कारण है कि जीडीए ने चार दिन की नीलामी में रिकॉर्ड 49 संपत्ति 124 करोड़ रुपए में बेची हैं। जीडीए सभागार में प्रत्येक शुक्रवार को नीलामी का आयोजन किया जा रहा है। 24 जून से संपत्तियों को बेचने के लिए जीडीए ने नीलामी शुरू की थी। 24 जून के बाद एक जुलाई, आठ जुलाई और 15 जुलाई को अब तक चार बार नीलामी हुई। इसमें 124 करोड़ रुपए की संपत्ति नीलामी में अब तक बेची गई। जीडीए की संपत्ति खरीदने में लोगों को रुझान बढऩे का एक कारण मधुबन-बापूधाम में शुरू किए गए विकास कार्य भी है। नीलामी में काफी संख्या में मधुबन-बापूधाम के भूखंड एवं भवन भी बेचे गए। जीडीए की आय बढऩे के बाद शहर में विकास कार्यों को गति मिल सकेगी। बता दें कि जीडीए फंडिंग की कमी से जूझ रहा है। फंडिंग की कमी की वजह से जिन प्रोजेक्ट पर कार्य शुरू किया गया वह लेट होने के चलते अभी तक पूरा नहीं हो पाए। ऐसे में जीडीए की रिक्त पड़ी संपत्तियों को बेचने से जीडीए के कोष में इजाफा होगा।