परिवार और करोड़ों की संपत्ति बचाने के लिए जीजा बना साले की मौत का दुश्मन, ना बचा परिवार और ना बची संपत्ति

-प्लानिंग से जीजा ने भाई से कराई अधिवक्ता मनोज की हत्या, जीजा-भाई समेत तीन गिरफ्तार
-पत्नी के नाम मकान-प्लॉट व बेटी को न भेजने के कारण ही मनोज की हत्या
-पुलिस ने 24 घंटे में किया खुलासा,ब्रेजा,सेंटो कार,तमंचा व बाइक की बरामद

गाजियाबाद। सिहानी गेट थाना क्षेत्र में सदर तहसील में चैंबर-95 में घुसकर अधिवक्ता मनोज चौधरी उर्फ मोनू चौधरी (38) की हत्या एक दिन पहले ही पूरी प्लानिंग करने के बाद मृतक के अधिवक्ता जीजा ने अपने अधिवक्ता भाई से कनपटी पर तमंचा सटाकर गोली लगवाई थी। अधिवक्ता जीजा ने बुधवार की सुबह ही अपनी पत्नी को फोन कर रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाने की फोन पर भी धमकी भी दी थी। अधिवक्ता मनोज चौधरी हत्याकांड का पुलिस ने 24 घंटे में ही खुलासा करते हुए मृतक मनोज के अधिवक्ता जीजा अमित डागर, भाई अधिवक्ता नितिन डागर पुत्र मदन सिंह निवासी ए-5 सेक्टर-5 चिरंजीव विहार और इनके साथी अनुज उर्फ पालू पुत्र वेदपाल सिंह निवासी गांव दुहाई को सिहानी गेट थाना पुलिस,डीसीपी नगर स्वॉट टीम एवं क्राइम ब्रांच की टीम ने लोहियानगर स्थित हमदर्द ग्राउंड के पास से गिरफ्तार किया है। पुलिस ने इनके पास से पिता के नाम ब्रेजा कार, सेंट्रो कार, हत्या में प्रयुक्त तमंचा, दो कारतूस, खोखा बरामद किया है।

गुरूवार को पुलिस लाइन स्थित सभागार में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एडिशनल पुलिस कमिश्नर दिनेश कुमार पी ने डीसीपी नगर निपुण अग्रवाल,एसीपी नंदग्राम रवि कुमार सिंह की मौजूदगी में वकील मनोज चौधरी हत्याकांड का खुलासा किया। एडिशनल पुलिस कमिश्नर दिनेश कुमार पी ने बताया कि मनोज चौधरी उर्फ मोनू चौधरी पुत्र रंजीत सिंह निवासी हरसांव एन्क्लेव गोविंदुपरम की साजिश के तहत बुधवार को दोपहर दो बजे हत्या की गई। इस हत्या के बाद मृतक की पत्नी कविता चौधरी ने ननदोई अमित डागर, इसके भाई नितिन डागर,पिता मदन सिंह,अनुज उर्फ पालू समेत पांच के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। मगर हत्या में यह तीनों ही शामिल थे। तीनों हत्यारोपी को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने बताया कि हत्या का खुलासा करने के लिए रिपोर्ट दर्ज टीमों का गठन किया गया।पुलिस पूछताछ में इन्होंने राज खोला।

अधिवक्ता अमित डागर जो ग्रेटर नोएडा में पै्रक्टिस करता है,जबकि इसका भाई नितिन डागर सदर तहसील में चैंबर पर बैठता है।जबकि अनुज उर्फ पालू गांव दुहाई का रहने वाला है। यह दोनों भाई भी गांव दुहाई के रहने वाले है। अमित डागर, नितिन डागर और पालू ने अधिवक्ता मनोज चौधरी हत्याकांड को अंजाम दिया था। तीनों अपने पिता की ब्रेजा कार से तहसील पहुंचे थे।तहसील के बाहर की कार को खड़ी कर दी। उसके बाद तीनों नितिन के चैंबर पर पहुंचे। वहां पर अमित डागर ने नितिन को तमंचा दिया। तमंचा देकर मनोज चौधरी की हत्या करने को कहा। दोपहर करीब 1.55 बजे नितिन डागर उनके चैंबर में पहुंचा। उस वक्त अधिवक्ता मनोज चौधरी ेखाना खा रहे थे।नितिन ने चैंबर में घुसकर कनपटी से तमंचा सटाकर मनोज को गोली मार दी। गोली लगने के बाद मनोज कुर्सी पर ही लहूलुहान हो गए। आनन फानन में अन्य वकील और मौके पर पहुंची पुलिस उन्हें एमएमजी अस्पताल लेकर पहुंची। वहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था।

मकान-प्लॉट व बेटी को घर न भेजना ही बना मनोज की हत्या का कारण
एडिशनल पुलिस कमिश्नर दिनेश कुमार पी ने बताया कि पुलिस पूछताछ में अमित डागर ने बताया कि मनोज की बड़ी बहन सरिता चौधरी से वर्ष-2002 में शादी हुई थी। इनके बेटी व बेटा है। बेटी सरिता के पास मायके में रह रही है, जबकि बेटा अमित के पास ही रहता है। ग्रेटर नोएडा में इसका चैंबर है। पूछताछ में आरोपी अमित डागर ने बताया कि वह सरिता से बेटी को घर भेजने के लिए कह रहा था कि हमारे घर में रक्षाबंधन का त्योहार हो जाएगा। लेकिन सरिता नहीं मानी और अपनी बेटी को नहीं भेजा। इस पर गुस्साए अमित और नितिन ने दो दिन पहले मनोज की हत्या की साजिश रची। वहीं अमित ने सरिता के नाम दुहाई में करीब 90 लाख रुपए कीमत का मकान और चिरंजीव विहार में करीब 60 लाख रुपए कीमत का फ्लैट करीब डेढ़ करोड़ रुपए कीमत के फ्लैट व मकान खरीदें थे। अमित का कहना है कि सरिता उन्हें अपने भाई मनोज की मदद से बेचने का प्रयास कर रही थी। जिसका वह विरोध कर रहा था। सरिता भी उसके पास नहीं आ रही थीं। वह सरिता के साथ शराब पीकर मारपीट करता था। इसलिए वह जून से भाई के पास ही रह रही थीं। इससे परेशान होकर ही अमित डागर, नितिन डागर और पालू ने अधिवक्ता मनोज चौधरी हत्याकांड को अंजाम दिया था। तीनों ब्रेजा कार से तहसील पहुंचे थे। नितिन चैंबर के अंदर गया था, नितिन ने ही मनोज के गोली मारी थी। अमित और पालू चैंबर के बाहर खड़े रहे थे। इसके बाद तीनों कार से भाग गए। कार चिरंजीव विहार में अमित ने अपने घर पर खड़ी की। इसके बाद गांव दुहाई चले गए। वहां से पालू की सेंट्रो कार से अलग-अलग ठिकाने बदलते रहे।हत्या का महज 10 सेकेंड के बीच में ही अंजाम दिया गया। वकील मनोज चौधरी उर्फ मोनू की हत्या की साजिश उसके जीजा अमित डागर व उसके छोटे भाई नितिन डागर ने एक दिन पहले ही रच ली थी। बुधवार सुबह ही अमित डागर ने मृतक की पत्नी के पास फोन करके कहा था कि आज तुम्हारा रक्षाबंधन खराब कर देंगे। आरोपी ने पांच से 10 सेकेंड के बीच ही पूरी वारदात को अंजाम दिया। इसके तहत दोनों ने तमंचे का इंतजाम किया।

बुधवार सुबह ही अमित डागर अपने ग्रेटर नोएडा ऑफिस पहुंच गया और पुलिस से बचने के लिए उसने अपना मोबाइल फोन ऑफिस में ही छोड़ दिया।वह साले के चैंबर के पड़ोस में अपने भाई नितिन डागर के चैंबर पर पहुंचा और नितिन को तमंचा देकर मनोज चौधरी को गोली मारने के लिए कहा। इसके बाद दोनों ने मुंह पर नकाब बांधा और बेधड़क चैंबर में घुसकर मनोज की कनपटी पर तमंचा सटाकर गोली मार दी। इस घटनाक्रम को दोनों ने इतनी जल्दी अंजाम दिया कि न तो मनोज चौधरी अपना बचाव कर सके और न ही चैंबर में मौजूद तीन अन्य लोग समझ पाए कि यह क्या हो गया।बहन सरिता का कहना है कि उन्होंने अपने बेटे से बात की थी तो उसने बताया था कि पापा ऑफिस में मोबाइल छोड़कर सुबह से ही निकले हुए हैं।कविता का कहना है कि बुधवार सुबह ही अमित डागर ने उनके पास फोन किया था और कहा था कि आज तुम्हारा रक्षाबंधन खराब कर देंगे। कविता इस बात को नहीं समझ सकी और उन्होंने अपने पति को फोन नहीं किया। उन्हें नहीं पता था कि उनका ननदोई अमित इस वारदात को अंजाम दे देगा। मृतक की बहन सरिता डागर का कहना है कि पति आए दिन शराब पीकर उनके साथ मारपीट करता था। वह बच्चों के साथ भी मारपीट करता था। इसके चलते वह जून माह में अपने मायके आकर रहने लगी थीं। इसके बाद से अमित व नितिन दोनों भाई मनोज को फोन पर जान से मारने की धमकी देते थे, लेकिन मनोज बहन का परिवार बसाने के लिए उनकी धमकी व गाली-गलौज सुनता रहता था। उन्होंने जीजा व उसके भाई को कभी भी पलट कर जवाब नहीं दिया।

अमित डागर ने 15 जनवरी को शराब के नशे में परिवार पर लाइसेंसी रिवाल्वर से फायरिंग की थी। उसने परिजनों पर करीब 15 राउंड फायर किए थे। जिसमें एक गोली उसकी मां ओमवती डागर के हाथ में लग गई थी और बाकी परिजन बाल-बाल बचे थे। बाद में आरोपित दरवाजा बंद कर छत पर चढ़ गया था। वह कनपटी पर रिवाल्वर लगाकर आत्महत्या की धमकी देने लगा। मौके पर पहुंची पुलिस ने बमुश्किल मान-मनौव्वल उसे नीचे उतारा था और रिपोर्ट दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया था। बाद में पुलिस ने उसके लाइसेंस निरस्तीकरण की रिपोर्ट भेजकर उसका लाइसेंस निरस्त करा दिया था। इसके अलावा भी अमित पर अन्य थानों में मारपीट समेत अन्य मामले दर्ज हैं। अमित के खिलाफ दहेज अधिनियम आम्र्स एक्ट,हत्या के चार मुकदमे व भाई नितिन के खिलाफ तीन मुकदमे व पालू के खिलाफ सिहानी गेट व मधुबन बापूधाम में पाबंद का मुकदमा दर्ज है। पालू इस पूरी साजिश में शामिल रहा है। अधिवक्ता मनोज चौधरी चार बहनों का अकेला भाई था। इनकी बहन सरिता व छोटी तीन बहनें सपना, कल्पना व ज्योति है। मनोज की हत्या के बाद घर में कोई नहीं बचा है। पिता रंजीत सिंह यूपी पुलिस से रिटायर्ड सब इंस्पेक्टर थे। उनकी आठ साल पहले मौत हो गई थी।