अमेरिकी विदेश मंत्री Antony Blinken का भारत आगमन

गंभीर संकट में फंसे अफगानिस्तान में तालिबान का आक्रामक व्यवहार निरंतर बढ़ रहा है। ऐसे में चीन और पाकिस्तान मौके का भरपूर फायदा उठाने को आतुर हैं। इससे हालात और पेचिदा होने की संभावना बढ़ गई है। इस बीच अमेरिका के विदेश मंत्री Antony Blinken का भारत यात्रा पर आना कम महत्वपूर्ण नहीं है। Antony Blinken की भारत यात्रा पर विभिन्न देशों की नजरें टिकी हैं। खासकर चीन व पाकिस्तान की बेचैनी बढ़ना स्वभाविक है।

अमेरिकी विदेश मंत्री Antony Blinken भारत यात्रा के दरम्यान अह्म बिंदुओं पर विचार-विमर्श करेंगे। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल से मुलाकात की है। NSA Ajit Doval से एंटनी ब्लिंकन का मिलना खास मायने रखता है। अफगानिस्तान की भूमि से अपने सैनिकों की वापसी के बावजूद अमेरिका की चिंता कम नहीं हुई है। अफगानिस्तान में बिगड़ते हालात और भविष्य की संभावित तस्वीर को ध्यान में रखकर अमेरिका की टेंशन बढ़ी हुई है। तालिबान का आतंक रूक नहीं रहा है। पाकिस्तान के सहयोग से तालिबान अपनी ताकत को और बढ़ा रहा है।

संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट ने चिंता और बढ़ा दी है। इस रिपोर्ट में पुष्टि की गई है कि पाकिस्तान की तरफ से प्रतिदिन एक हजार आतंकवादी अफगानिस्तान में प्रवेश कर रहे हैं। वहां पहले से 6 हजार पाकिस्तान तालिबानी आतंकी मौजूद हैं। इससे साफ है कि अफगानिस्तान में तालिबान की मजबूती के लिए पाकिस्तान हरसंभव मदद कर रहा है। हिंसा, खून-खराबा और दहशत का माहौल कायम कर तालिबान काबुल की सत्ता पर काबिज होना चाहता है। कुछ समय पहले तालिबान लड़ाकों ने अफगान-पाकिस्तान सीमा की महत्वपूर्ण चौकी पर कब्जा कर लिया था। चौकी पर तैनात सुरक्षा जवान अपनी जान बचाकर भाग गए थे।

स्पिन बोल्डक क्षेत्र का नियंत्रण हाथ से चले जाने के कारण अफगान सरकार की परेशानी और बढ़ गई है। इस क्षेत्र से पाकिस्तान द्वारा लगातार आतंकवादियों को अफगानिस्तान में प्रवेश दिया जा रहा है। यदि इस क्षेत्र पर अफगान सुरक्षा बल पुन: नियंत्रण नहीं कर पाते तो निकट भविष्य में स्थिति और पेचिदा हो जाएगी। इसके इतर यदि चीन और पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में अपनी स्थिति मजबूत कर ली तो यह भारत और अमेरिका दोनों के लिए संकट पैदा करेगा। अफगान में चीन व पाकिस्तान की दिलचस्पी के अलग-अलग कारण हैं। वहां भारत की उपस्थिति नगण्य करने और तालिबान लड़ाकों की मदद से जम्मू-कश्मीर में अशांति फैलाने की मंशा से पाकिस्तान यह खेल खेल रहा है। जबकि चीन की प्लानिंग अफगानिस्तान में अपनी महत्वपूर्ण सड़क परियोजना को विस्तार देने के अलावा शिंजयांग प्रांत की सीमा को सुरक्षित रखना है। चीन की चिंता कारण यह है कि तालिबान के लड़ाके शिंजयांग प्रांत में उईगुर मुस्लिमों के असंतुष्ट धड़े से हाथ मिला सकते हैं। इससे शिंजयांग में हालात काबू से बाहर जा सकते हैं। तालिबान को साधकर बीजिंग अपने दोनों काम पूरा करना चाहता है।

अमेरिका को मालूम है कि चीन और पाकिस्तान का प्रभाव कम करने के लिए भारत का साथ बेहद जरूरी है। इसके चलते अमेरिका ने भारत के साथ जरूरी मुद्दों पर चर्चा कर भविष्य की योजनाओं को अंजाम देने की रणनीति बनाई है। अमेरिका के विदेश मंत्री Antony Blinken भारत यात्रा के दरम्यान चीन, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और तालिबान समेत कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करेंगे। इस समय भारत और अमेरिका दोनों को एक-दूसरे की आवश्यकता है। भारत को चीन से निरंतर चुनौतियां मिल रही हैं। लद्दाख क्षेत्र में बीजिंग ने सीमा विवाद पैदा कर नई दिल्ली की चिंताओं को बढ़ाया है। इसके अतिरिक्त पाकिस्तान को शह देकर जम्मू-कश्मीर में माहौल खराब कराने की कोशिश होती रही हैं।

अमेरिका और नाटो देश ने अफगान सरकार की वित्तीय मदद करने का भी फैसला लिया है। तालिबान के साथ संघर्षरत अफगान सरकार को इस समय आर्थिक सहायता की बेहद जरूरत है। इसके मद्देनजर अमेरिका और नाटो देश ने अफगान सरकार को प्रतिवर्ष 400 करोड़ डालर यानी करीब 30 हजार करोड़ रुपए की करने का ऐलान किया है। यह मदद 2024 तक उपलब्ध कराई जाएगी। इस धनराशि को अफगानिस्तान की सैन्य सुरक्षा पर व्यय किया जाएगा।

अफगानिस्तान में फिलवक्त भारत के निवेश पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। निर्माणाधीन और प्रस्तावित प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन का काम रूक गया है। काबुल पर तालिबान का शासन होने की सूरत में भारत को बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा। वर्तमान में चीन के साथ अमेरिका और भारत के संबंध बेहतर नहीं हैं। दोनों देशों को बीजिंग से चुनौती मिल रही है। अमेरिका के विदेश मंत्री Antony Blinken की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों में चीन की आक्रामक नीति को लेकर भी चर्चा होने की उम्मीद जाहिर की जा रही है। साउथ चाइना सी में चीन की ताकत में इजाफा हो रहा है। इसे लेकर अमेरिका, जापान और ताइवान चिंतित हैं। साउथ चाइना सी में चीन का प्रभुत्व रोकने को तीनों देश मिलकर काम कर रहे हैं। चीन और रूस की मित्रता से अमेरिका अवगत है। ऐसे में उसे भारत का साथ मुफीद लग रहा है।

अमेरिका-भारत के संबंधों में मजबूती आने से चीन और पाकिस्तान पर मानसिक दबाव बढ़ना तय है। चीन के राष्ट्रपति शीं जिनपिंग ने हाल ही में तिब्बत क्षेत्र का दौरा किया था। इस दौरे ने भी भारत को सतर्क कर दिया है। अमेरिका के एक सांसद ने चीनी राष्ट्रपति के तिब्बत दौरे पर चिंता जाहिर की थी। अमेरिकी सांसद ने कहा है कि भारत को चीन से ज्यादा सतर्क रहना होगा। अलबत्ता मौजूदा वक्त में भारत में अमेरिका के विदेश मंत्री Antony Blinken का आगमन दोनों देशों के हित में दिखाई देता है। इससे दोनों देशों को एक-दूसरे की चिंताओं को जानने और भविष्य में चुनौतियों से निपटने में आसानी हो सकेगी।