भारत की अध्यक्षता में जी 20 की बैठक…कोलकाता में वित्तिय समावेशन तो तिरुवनंतपुरम में स्वास्थ्य प्राथमिकताओं पर होगी चर्चा

भारत की जी-20 देशों की अध्यक्षता सौंपे जाने के बाद पहली बैठक आज से कोलकाता में हो रही है। यह बैठक कोलकाता के न्यूटाउन स्थित विश्व बांग्ला कन्वेंशन सेंटर में हो रही है। 11 जनवरी तक चलने वाली इस बैठक में विभिन्न देशों के प्रतिनिधि वित्तीय समावेशन पर वैश्विक साझेदारी (GPFI) को लेकर मंथन कर रहे हैं। वैसे तो यह बैठक वित्तीय समावेशन पर साझेदारी को लेकर हो रही है और इस बैठक में सदस्य देशों के वित्तीय प्रणाली के बुनियादी ढांचे में सुधार, नई तकनीकों के इस्तेमाल, फंड ट्रांसफर को आसान बनाने, वित्तीय साक्षरता और डिजिटल वित्तीय साक्षरता बढ़ाने तथा सदस्य देशों के बीच डिजिटल खाई को पाटने जैसे अहम मुद्दों पर विचार होगा।
जीपीएफआई पर बैठक में जी-20 से जुड़े कई देशों के प्रतिनिधियों के अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष, वित्त मंत्रालय, नाबार्ड व विभिन्न बैंकों व वित्त संस्थानों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।
G20 का हेल्थ ट्रैक और भारत की स्वास्थ्य संबंधी प्राथमिकताएं

भारत की अध्यक्षता में जी 20 हेल्थ ट्रैक में चार स्वास्थ्य कार्य समूह (एचडब्लूजी) की बैठक और एक स्वास्थ्य मंत्रिस्तरीय बैठक (एचएमएम) शामिल होंगी। भारत ने G20 चर्चाओं को समृद्ध, पूरक और समर्थन करने के लिए एचडब्लूजी बैठकों के साथ-साथ विभिन्न स्थानों पर चार साइड इवेंट्स की मेजबानी करने की योजना बनाई है। इनमें मेडिकल वैल्यू ट्रैवल और डिजिटल हेल्थ आदि पर पूरक कार्यक्रम भी शामिल हैं। इससे जुड़ी बैठकें देश भर में विभिन्न स्थानों पर आयोजित की जाएंगी। भारत की समृद्ध और विविध संस्कृतियों को प्रदर्शित करने के लिए संबंधी प्रधानमंत्री के आह्वान को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य कार्य समूह की पहली बैठक 18-20 जनवरी 2023 को तिरुवनंतपुरम में आयोजित की जाएगी।
अध्यक्षता मिलने पर क्या कहा था प्रधानमंत्री ने
भारत 1 दिसंबर, 2022 से 30 नवंबर, 2023 तक भारत G20 की अध्यक्षता ग्रहण करेगा। जी 20 की अध्यक्षता भारत को सौंपे जाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत ही प्रखर तरीके से अपनी बात दुनिया के सामने रखी है। उन्होंने कहा है कि देश की आजादी के 75वें वर्ष में गौरव की बात है और देश के लिए एक महान अवसर है। यह सभी भारतीयों के लिए गर्व की बात है, यह सभी भारतीयों के लिए और अधिक गौरव लाएगा। इतना ही नहीं ‘जी-20 का ये लोगो केवल एक प्रतीक चिन्ह नहीं है.. ये एक संदेश है, ये एक भावना है, जो हमारी रगों में है। ये एक संकल्प है जो हमारी सोच में शामिल रहा है। इस लोगो और थीम के जरिए हमने एक संदेश दिया है। उन्‍होंने कहा कि ‘युद्ध से मुक्ति के लिए बुद्ध के जो संदेश हैं हिंसा के प्रतिरोध में महात्मा गांधी के जो समाधान हैं। जी 20 के जरिए भारत उनकी वैश्विक प्रतिष्ठा को नई ऊर्जा दे रहा है। इतना ही नहीं उन्होंने अपने संबोधन में भारत की विकास यात्रा को रेखांकित किया और कहा कि स्वतंत्रता के बाद भारत को आगे ले जाने में सभी सरकारों और लोगों ने अपने-अपने तरीके से योगदान किया। भारत दुनिया को दिखा सकता है कि जब लोकतंत्र संस्कृति बन जाता है तो संघर्ष का दायरा खत्म हो सकता है।
इतना ही नहीं खुद प्रधानमंत्री जी प्रकृति के संरक्षण और भविष्य के प्रति अपनी और संगठन की दृष्टि को भी साझा करते हुए साफ शब्दों में कहा है कि सतत विकास पर जोर देते हुए प्रगति और प्रकृति एक साथ चल सकती हैं।
बड़ा अवसर, बड़ा दायित्व
स्वाभाविक है जी 20 की अध्यक्षता हमारे लिए एक अवसर के रूप में सामने आया है और जब अवसर सामने आता है तो उसके साथ दायित्व भी जुड़े होते हैं। इन्हीं अवसरों और दायित्वों के बीच जी 20 में भारत की अध्यक्षता के मायने को समझा जा सकता है। सबसे पहले बात अवसर से शुरू करते हैं। जी 20, यानी ग्रुप ऑफ़ ट्वेंटी, अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का मंच है, जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार के 75 प्रतिशत से अधिक और विश्व की आबादी के लगभग दो-तिहाई का प्रतिनिधित्व करता है। इनमें ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं।
शुरूआत से ही रहा है जी 20 का हिस्सा
भारत जी 20 की स्थापना के बाद से इसका हिस्सा रहा है। भारत को अध्यक्षता मिलना ना सिर्फ़ बड़ी बात है बल्कि अपनी सोच को सामने रखने का बड़ा अवसर भी है। भारत इस समय दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है दुनिया में सबसे तेज़ी से आगे बढ़ने वाले देशों में शामिल है। इस लिहाज से जी 20 भारत को अंतर्राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर वैश्विक एजेंडे में योगदान करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है। साथ ही इस पूरे परिप्रेक्ष्य में भारत को इन बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के साथ जुड़कर पहले अपने राष्ट्रहित को आगे बढ़ाने का मौका मिलेगा। इसके साथ पूरे विश्व में वित्तीय सोच और वित्तीय तालमेल को किस तरह से बनाकर रखा जा सकता है उस दिशा में भी पहल करने का अवसर भारत के समक्ष है। चाहे पर्यावरण को लेकर हो, ऊर्जा को लेकर हो, उनको कैसे सुलझाया जा सकता है, उस पर अपनी सोच सामने रखने और इन सभी अर्थव्यवस्थाओं को एक दिशानिर्देश देने का अच्छा अवसर भारत के पास होगा।
ये होंगी प्राथमिकताए
इसके साथ ही अध्यक्ष के रूप में भारत की जी 20 प्राथमिकताएं समावेशी, न्यायसंगत और सतत विकास, महिला सशक्तिकरण, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा, और तकनीक-सक्षम विकास, जलवायु वित्तपोषण, वैश्विक खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा, आदि भी होंगी। जलवायु वित्तपोषण एक अन्य क्षेत्र है जिस पर भारत को संपन्न देशों के साथ काम करना है। मध्यम और निम्न आय वाले देशों को स्वच्छ प्रौद्योगिकियों और नवीकरणीय ऊर्जा के हस्तांतरण के लिए विकसित देशों को प्रोत्साहित करना होगा। ऐसा करते हुए भारत को अपने असाधारण सौर ऊर्जा रिकॉर्ड का प्रदर्शन करना चाहिए।

क्या है चुनौती

ये बात सही है कि भारत के संबंध विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रभाव रूस, यूक्रेन सहित दुनिया के सभी देशों पर है। बावजूद इसके भारत पर एक ऐसा एजेंडा तैयार करने का दायित्व होगा जिसमें सभी सदस्यों की एकमत हो। आंतरिक शासन सुधार समय की मांग है और भारत को समग्रता और एकता पर जोर देना होगा। इससे आम सहमति बनाने में मदद मिलेगी जो जी 20 फोरम के लिए एक व्यावहारिक, ठोस एजेंडा तय करने में मदद करेगी। अब तक भारत के रिकार्ड और प्रधानमंत्री के रूप में नरेद्र मोदी के ट्रैक रिकार्ड को देखते हुए शायद ही किसी को इस बात पर संशय हो हम जी 20 के अध्यक्ष के रूप में विश्व बंधुत्व और वसुधैव कुटुम्बकम की अपने मूल भाव और चरित्र के साथ जी 20 के सदस्य देशों को एकजुट रखने और समावेशी विकास की दिशा में दुनिया को आगे ले जाने में कामयाब होंगे और भारत की अध्यक्षता में जी 20 अपनी प्रभावकारी भूमिका का निर्वहण करेगा जिसकी शुरूआत आज कोलकाता से हो गई है।