हाउस टैक्स : नगर निगम से टकराने के मूड में जीडीए

गाजियाबाद। जीडीए अब नगर निगम को घेरने की तैयारी में लग गया है। जीडीए अधिकारियों की माने तो जीडीए के हाथों वर्ष-1989 का एक ऐसा शासनादेश हाथ लग गया है, जिसके अनुसार जो कॉलोनी नगर निगम अथवा नगर पालिका परिषद को हस्तांतरित नहीं, उनमें नगर निगम हाउस टैक्स की वसूली नहीं कर सकता है। यदि स्वैच्छा से हाउस टैक्स की वसूली होती है तो माना जाएगा कि संबंधित कॉलोनी निगम अथवा पालिका परिषद को हैंडओवर हो गई है। जीडीए के मुख्य वित्त नियंत्रक ने 30 दिसंबर 1989 के इस शासनादेश की प्रति तमाम अधीनस्थ अधिकारियों को जारी की है। इस शासनादेश में स्पष्ट तौर से उल्लेख किया गया कि उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद एवं प्राधिकरणों का कार्य आवासीय कालोनी विकसित करने के साथ नगर निगम एवं पालिका परिषद को हैंड ओवर कर देना है। शासनादेश में इस बात का भी उल्लेख किया गया कि शासन की जानकारी में लाया गया कि प्राधिकरण एवं आवास विकास परिषद के द्वारा विकसित कालोनियों स्थानीय निकाय को हैंडओवर किए बगैर ही आवंटियों से गृहकर की वसूली की जाती है। जबकि कॉलोनियों के रख-रखाव में नगर निगम एवं स्थानीय निकाय का दूर तक भी योगदान नहीं होता है। शासनादेश में ये भी उल्लेख किया गया कि यह स्थिति संतोष जनक नहीं है। यह भी स्पष्ट किया कि कालोनी हैंड ओवर किए बगैर यदि नगर निगम अथवा पालिका परिषद गृहकर की वसूली करती है। तो समझा जाएगा कि कालोनी संबंधित निकाय के हैंड ओवर हो गई है। बता दें कि जीडीए इंदिरापुरम को नगर निगम के हैंडओवर करने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए है, लेकिन नगर निगम कालोनी हैंडओवर करने से बच रहा है। आरडीसी भी अभी तक निगम के हैंडओवर नहीं है, जबकि आरडीसी के आवंटियों से नगर निगम के द्वारा गृहकर की वसूली की जा रही है। हाल में शिप्रा मॉल एवं इंदिरापुरम की कई संपत्तियों को नगर निगम ने सील कर दिया था।