लोन मोरेटोरियम : हलफनामे से संतुष्ट नहीं सुप्रीम कोर्ट

केंद्र और आरबीआई पुन: दाखिल करेंगे जबाव

उदय भूमि ब्यूरो
नई दिल्ली। लोन मोरेटोरियम प्रकरण में सोमवार को नया मोड़ आ गया। चक्रवृद्धि ब्याज माफी पर केंद्र सरकार द्वारा दाखिल हलफनामे से सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट नहीं है। केंद्र और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) को सप्ताहभर के भीतर पुन: हलफनामा दाखिल करना होगा। इस केस की अगली सुनवाई 13 अक्तूबर को होगी। लोन मोरेटोरियम मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। केंद्र सरकार ने पहले दाखिल हलफनामे में 2 करोड़ रुपए तक के कर्ज पर ब्याज पर ब्याज माफ करने की बात कही थी। इसका भार खुद सरकार उठाएगी। यह व्यय भार 5 से 7 हजार करोड़ रुपए अनुमानित है। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को फिर लोन मोरेटोरियम केस पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने सरकार से कहा कि वह रियल एस्टेट और बिजली उत्पादकों को भी इसके दायरे में लाए। कोर्ट ने कहा कि फैसले की घोषणा के बाद केंद्र सरकार या आरबीआई की ओर से कोई परिणामी आदेश या सर्कुलर जारी नहीं किया गया। सनद रहे कि रियल एस्टेट डेवलपर्स ने भी सरकार के प्लान के तहत ब्याज पर ब्याज माफी की मांग की थी। केंद्र सरकार ने गत 2 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर बताया था कि वह छोटे कारोबार, शिक्षा, हाउसिंग और क्रेडिट कार्ड समेत कुछ लोन्स के लिए मोरेटोरियम की अविध के दरम्यान लगने वाले ब्याज पर ब्याज को माफ करेगी। उधर, क्रेडाई की ओर से अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार के हलफनामे में कई तथ्य एवं आंकड़े निराधार हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को अपना पक्ष रखने हेतु कुछ समय दिया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 13 अक्तूबर को होगी। कोर्ट के निर्णायक फैसले का कर्जदारों को बेसब्री से इंतजार है।