मैथिली भाषा की उपेक्षा, 6 करोड़ मैथिल भाषाभाषी आहत

शिक्षक नियुक्ति परीक्षा में मैथिली को भी शामिल करने की मांग
गुवाहाटी में ब्राह्मण महासभा के महामंत्री को सौंपा गया ज्ञापन

गुवाहाटी। देश में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आयोजित परीक्षा में मैथिली भाषा को स्थान नहीं मिल पाया है। इसके लिए अब आवाज बुलंद की गई है। मिथिला सांस्कृतिक समन्वय समिति, गुवाहाटी असम की तरफ से यह मुद्दा उठाया गया है। समन्वय समिति के प्रतिनिधिमंडल ने अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री तरुण मिश्र से मुलाकात कर भारत सरकार के शिक्षा मंत्री को संबोधित ज्ञापन उन्हें सौंपा। तरुण मिश्र ने भरोसा दिलाया कि वह जल्द शिक्षा मंत्री से भेंट कर इस मांग को उनके समक्ष उठाएंगे। कक्षा-1 से 8 तक पढ़ाने के लिए शिक्षकों की नियुक्ति से पहले परीक्षा आयोजित की जाती है।

यह परीक्षा क्वालीफाई करने पर शिक्षकों का चयन किया जाता है। शिक्षकों के चयन की इस परीक्षा में मैथिला भाषा को अब तक जगह नहीं दी गई है। इसे लेकर मिथिला सांस्कृतिक समन्वय समिति, गुवाहाटी असम ने आवाज उठाई है। संस्था के अध्यक्ष सत्य नारायण साहू, महासचिव विष्णु देव और पूर्व अध्यक्ष प्रेमकांत चौधरी ने गुवाहाटी दौर पर पहुंचे अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण महासभा के तरुण मिश्र से मुलाकात की। केंद्रीय शिक्षा मंत्री को संबोधित ज्ञापन उन्हें सौंपा गया। संस्था के प्रतिनिधियों ने कहा कि भारत सरकार द्वारा कक्षा-1 से 8 स्तर के शिक्षकों की नियुक्ति के लिए दिसंबर 2021 में सीटीईटी परीक्षा कराए जाने की अधिसूचना जारी की गई है। इसमें भारत के संविधान की अष्टम अनुसूची में शामिल भाषाओं का उल्लेख किया गया है, मगर इसी अनुसूची में शामिल मैथिली को छोड़ दिया गया है।

सरकार के इस निर्णय से 6 करोड़ मैथिली भाषाभाषी आहत हैं। वे इसे अपनी मातृभाषा का अपमान मानते हैं। संस्था के प्रतिनिधियों ने कहा कि मैथिली भारत की मधुरतम और संपन्न भाषा में से एक है। इस भाषा का अपना व्याकरण है, समृद्ध इतिहास है। जिस समय भारत में अनेकों भाषाओं में पुस्तकें नहीं लिखी गई थीं, उस समय ज्योतिरीश्वर ठाकुर ने वर्ण रत्नाकर पुस्तक लिखी थी। चौदहवीं एवं पंद्रहवीं शताब्दी के मैथिली के महाकवि विद्यापति को कौन नहीं जानता।

गोविंद दास, चंदा झा, हरिमोहन झा, सुमन, मधुप, यात्री, किरण, अमर, मणिपद्म जैसे सैकड़ों मनीषियों ने मैथिली भाषा को अपने साहित्य से संवारा है ऐसी महती भाषा को नजरअंदाज करना दु:खद है। अलबत्ता प्रस्तावित परीक्षा में मैथिली भाषा को शामिल करने के लिए अधिसूचना में संशोधन होना चाहिए। अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री तरुण मिश्र ने कहा कि मैं खुद मैथिल हूं। इसलिए मैं आपके इस अभियान में खुद को सम्मिलित पाता हूं। मैं जल्द शिक्षा मंत्री से मुलाकात कर उन्हें इस मांग से अवगत कराकर ज्ञापन सौंप दूंगा।