फॉर्मूला वन : लौटेगी रौनक, दिखेगा जोश और जुनून

भूखंड आवंटन की बहाली की संभावना बढ़ी
यमुना प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में आएगा प्रस्ताव

ग्रेटर नोएडा। विश्व प्रसिद्ध फॉर्मूला वन की रौनक जल्द लौटने की उम्मीद है। ऐसे में तूफानी कार रेस के शौकीनों की इच्छा भी पूरी हो सकेगी। फॉर्मूला वन रेसिंग सर्किट पर लंबे समय से मंडराए संकट के बादल अब दूर होते दिखाई दे रहे हैं। दरअसल फॉर्मूला वन के भूखंड का आवंटन बहाल होने की संभावना बढ़ गई है। यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण इस मुद्दे पर यथाशीघ्र ठोस फैसला ले सकता है। ऐसा होने पर कुछ आवासीय योजनाएं भी गुलजार हो सकेंगी। यमुना प्राधिकरण ने 2 साल पहले फॉर्मूला वन के भूखंड का आवंटन निरस्त कर दिया था। इसके पीछे का कारण बकाया राशि का भुगतान न होना था। भूखंड को विभाग ने अपने कब्जे में ले लिया था। इस कार्रवाई की वजह से कुछ आवासीय योजनाएं भी खटाई में पड़ गई थीं। इसके बाद से फॉर्मूला वन में सन्नाटा पसरा है। वहां अंतरराष्ट्रीय स्तर की कोई प्रतियोगिता इस अवधि में आयोजित नहीं की गई है। भूखंड निरस्त होने के बाद जेपी समूह ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। अब हाईकोर्ट के निर्देश पर यमुना प्राधिकरण जेपी समूह के प्रत्यावेदन पर सुनवाई करने को राजी हो गया है। प्राधिकरण की अगली बोर्ड बैठक में इसका प्रस्ताव रखा जाएगा। बता दें कि फॉर्मूला वन के लिए यमुना प्राधिकरण ने 2008 में योजना लॉन्च की थी। तदुपरांत वर्ष-2009 में जेपी समूह की जेपीएसके स्पोर्ट्स कंपनी को एक हजार हेक्टेयर भूमि का आवंटन किया गया था। जेपी समूह ने वहां अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित फॉर्मला वन रेस ट्रैक, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के अलावा कुछ आवासीय योजनाएं निकाली थीं। बुद्धा अंतरराष्ट्रीय फॉर्मूला वन रेस ट्रैक का लोकार्पण विगत 18 अक्तूबर 2011 में किया गया था। जहां 30 अक्तूबर 2011 को पहले फॉर्मूला वन भारतीय ग्रांड प्रिक्स का आयोजन किया गया था। इस रेस ट्रैक के निर्माण पर लगभग 2 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए थे। उधर, जेपी समूह ने आवंटित भूखंड की मूल किस्तों का समय से भुगतान नहीं किया था। इसके चलते बकाया राशि बढ़कर 943 करोड़ हो गई थी। इस राशि का भुगतान न होने पर यमुना प्राधिकरण ने बोर्ड बैठक में भूखंड का आवंटन निरस्त करने का निर्णय ले लिया था। प्राधिकरण के फैसले को जेपी समूह ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के लिए शर्त निर्धारित की थी। शर्त यह थी कि जेपी समूह पहले 100 करोड़ रुपये का भुगतान करे। इसके बाद मार्च-2020 में 55 करोड़ और मार्च-2021 में 52 करोड़ रुपये जमा कराए गए। ऐसे में हाईकोर्ट ने याचिका पर आवंटी के प्रत्यावेदन को सुनने के लिए यमुना प्राधिकरण को निर्देश दिए थे।