IIA ग्रेटर नोएडा चैप्टर ने की उद्यमियों की बात कहा बिजली मिलती नहीं जनरेटर चलाने पर लगाते हैं दंड प्रदूषण नीति की आड़ में होता है उद्यमियों का शोषण

औद्योगिक इकाइयों को पर्याप्त विद्युत मिले तो नही चलेगा डीजल जेनरेटर: जितेंद्र सिंह राणा

ग्रेटर नोएडा। एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबन्धन आयोग (सीएक्यूएम) द्वारा विगत दो माह में अनेक निर्देश जारी किये है। जिसके अन्तर्गत 1 अक्टूबर से एनसीआर क्षेत्र में एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से अधिक होने पर डीजल जेनरटिंग सेट्स चलाने पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया है। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आईआईए) ग्रेटर नोएडा चैप्टर ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआई) के जिलों में 1 अक्टूबर से उद्योगों में डीजल जेनरटिंग सेट्स के इस्तेमाल पर लगाए के प्रतिंबध का विरोध करते हुए सरकार से राहत की मांग की है। शुक्रवार को ग्रेटर नोएडा आईआईए कार्यालय में बैठक आयोजित की गई। बैठक में चेयरमैन जितेंद्र सिंह राणा, डिविजनल चेयरमैन बाबू राम भाटी, पूर्व चेयरमैन विशारद गौतम, वाइस चेयरमैन जेड रहमान, सरबजीत सिंह, राकेश बंसल, हिमांशु पांडे, सोमेश, राकेश कुमार, राजीव सूद, जामी आदि पदाधिकारी उपस्थित रहे।

बैठक की अध्यक्षता करते हुए चेयरमैन जितेंद्र सिंह राणा ने कहा औद्योगिक इकाइयों में डीजल जनरेटर तभी चलाया जाता है, जब बिजली नहीं आती है। यदि सरकार 24 घंटे अबाधित बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करे तो जनरेटर का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। बिजली के अभाव में जनरेटर नहीं चलाने से उद्योगों का भारी नुकसान होगा। क्योंकि बिजली की सापेक्ष जेनरेटर काफी मंहगा है। इसके अलावा एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से नीचे होने की स्थिति में डीजल जेनरेटर सेटस का संचालन करने की अनुमति भी मांगी गई है। सीएक्यूएम के निर्देशानुसार एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से अधिक होने पर एनसीआर क्षेत्र में केवल पीएनजी आधारित जेनरेटर चलाये जा सकते है। जबकि पीएनजी की उपलब्धता अभी तक कुछ ही क्षेत्रो में है। सामान्यत: अधिकत्म सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों में 5 केवीए से लेकर 85 केवीए तक के डीजी सेट उपयोग हो रहे हैं। जिनको पीएनजी में परिवर्तित करने की कोई तकनीकी उपलब्ध नहीं है। अत: जहां पीएनजी उपलब्ध भी है, वहां के लघु उद्योगों को पीएनजी में जनरेटर सेट का बदलना संभव नही है।

जनरेटर सेट स्टेन्डवाई के रूप में तभी उपयोग होते है जब विभागीय बिजली सप्लाई बाधित होती है। जनरेटर सेट को पीएनजी में परिवर्तित करने के लिये लगने वाली रेट्रोफिटेड इमिशन कंट्रोल डिवाइस (आरईसीडी) आयतित उपकरण है, जिसकी तकनीक अभी तक केन्द्रीय प्रदूषण कन्ट्रोल बोर्ड द्वारा प्रमाणित नही की गयी है। जनरेटर सेट को पीएनजी में परिवर्तित करने की लागत बहुत अधिक है तथा एनसीआर में पीएनजी की कीमतें भी पारम्परिक ईधन की तुलना में बहुत अधिक है, जिससे उद्योगों के उत्पादों की लागत अधिक होने से उन्हे प्रतिस्पर्धा में बने रहना बहुत कठिन होगा। एनसीआर के अनेक क्षेत्रों में आये दिन विद्युत कटौती होती रहती है। जिसके चलते यदि जेनरटेर सेट चलाना प्रतिबन्धित हो जाएगा, तो उद्योग जगत बंद होने की कगार पर पहुंचा जाएगा। उपरोक्त समस्याओं के अतिरिक्त सीएक्यूएम की फलाईग स्क्वाड एवं उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड द्वारा जारी किये किए गये नोटिस से उद्यमी परेशान है। उन्होंने कहा औद्योगिक इकाईयों को बिना कारण बताओ नोटिस दिये तत्काल प्रभाव से बंद करने के आदेश और अर्थदण्ड लगा दिया जाता है। अप्रदूषणकारी उद्योगों जिनको अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने की आवश्यकता नही है, उन उद्योगों में भी निरीक्षण कर उन्हें प्रताडि़त करने की सूचना आईआईए को प्राप्त हुई है। यदि अनापत्ति प्रमाण पत्र का नवीनीकरण करने में थोड़ी बहुत देर हो जाती है, तब भी उद्योगो को बंद कर दिया जाता है तथा भारी पर्यावरण क्षतिपूर्ति प्रश्मन शुल्क आरोपित कर दिया जाता है।

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1-दिल्ली एवं एनसीआर में जब तक ग्रेप लागू है, तब तक उद्योगों को निर्बाध विद्युत आपूर्ति सप्लाई कराई जाए। जिससे जेनरेटर सेट का उपयोग कम से कम करना पड़े और वायु प्रदूषण नियंत्रण में रहे।
2- आज सरकार उद्योगों को 24 घंटे निर्बाध विद्युत आपूर्ति देने की बात करती है, अगर बिजली कटौती होती है तो उद्योगों को जेनरेटर मजबूरी में चलाना पड़ता है। जबकि जेनरेटर की यूनिट ग्रीड की यूनिट से 3 से 4 गुणा महंगी पड़ती है, अगर जेनरेटर नहीं चलाया तो उत्पाद सहित मशीन खराब हो जाएगी। अगर ऐसे में बिना पूर्व सूचना के विद्युत आपूर्ति बाधित होती है, तो उस विद्युत कंपनी के अधिकारी की भी जिम्मेदार ठहराया जाए।
3-एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से ऊपर जाने पर उद्योगों को अपने जेनरेटर डिस्कनेक्ट करने और इन्डेक्स 300 से नीचे आने पर कनेक्ट करने की अनुमति प्रदान की जाये।
4-उद्योगों में किसी भी विभाग द्वारा निरीक्षण के समय स्थानीय औद्योगिक संघो का एक प्रतिनिधि अवश्य शामिल किया जाये, जिससे उद्यमियों का अनावश्यक शोषण रोका जा सके।
5-किसी भी उद्योग को बंद करने का नोटिस देने से पूर्व एक सुनवाई का मौका व उचित समय जरूर दिया जाए। लॉ ऑफ नेचुरल जस्टिस के सिद्वांत का भी अनुपालन होगा।
6-एयर क्वालिटी इंडेक्स स्थानीय स्तर पर भी मोनिटर किया जाये, जिससे घनी आबादी में विद्यमान एयर क्वालिटी इंडेक्स के आधार पर स्थानीय उद्योग बंद न हो।