शुरुआत : औद्योगिक भूखंड योजना में कीजिए ऑनलाइन आवेदन

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के प्रयासों से उत्पन्न होगे रोजगार के डेढ़ हजार नए अवसर

ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। इसके तहत लॉन्च औद्योगिक भूखंड योजना में सोमवार से आवेदन प्रक्रिया की शुरुआत हो गई है। इस योजना के 2 अह्म लाभ मिलेंगे। पहला निवेश आएगा और दूसरा रोजगार के नए अवसर पैदा हो सकेंगे। नई योजना में 17 भूखंडों का आवंटन किया जाएगा। आवेदन करने की अंतिम तिथि 8 जनवरी निर्धारित की गई है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की औद्योगिक भूखंड योजना को अच्छा रिस्पांस मिलने की उम्मीद है। चूंकि इस क्षेत्र में उद्योग लगाने को उद्यमी हमेशा लालायित रहते हैं।

उद्योग स्थापित करने को उद्यमी अक्सर भूखंड की डिमांड करते हैं। इसके मद्देनजर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने 17 औद्योगिक भूखंडों की योजना निकाली है। इन भूखंडों के लिए सोमवार से ऑनलाइन आवेदन की शुरुआत हो गई है। आॅनलाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि 8 जनवरी है। 17 भूखंड आवंटित होने से लगभग 1200 से 1500 करोड़ रुपए का निवेश और 1500 से 2000 जरूरतमंदों को रोजगार मिलने की संभावना जाहिर की गई है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने पिछले कुछ साल में औद्योगिक निवेशकों को बेहतर माहौल दिया है। नतीजन ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की दृष्टि से ग्रेटर नोएडा देश के कुछ चुनिंदा शहरों में शुमार हो चुका है। ग्रेटर नोएडा में उद्योग स्थापित करने को निवेशक भूमि की मांग लगातार कर रहे हैं। इसके मद्देनजर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) नरेंद्र भूषण के निर्देश पर उद्योग सेल ने 17 भूखंडों की औद्योगिक योजना लॉन्च की है। ये भूखंड सेक्टर ईकोटेक-10, ईकोटेक वन एक्सटेंशन वन, इकोटेक वन एक्सटेंशन, उद्योग केंद्र इकोटेक थ्री और उद्योग केंद्र वन ईकोटेक-3 में हैं। इस योजना में 1000 वर्ग मीटर से लेकर 13 एकड़ तक के भूखंड शामिल किए गए हैं।

इन भूखंडों पर ग्रीन कैटेगरी (नॉन पोल्यूटिंग कैटेगरी) के सभी तरह के उद्योग स्थापित किए जा सकते हैं। इस योजना से जुड़ी विस्तृत जानकारी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की वेबसाइट और निवेश मित्रा पोर्टल पर भी उपलब्ध कराई गई है। बता दें कि ग्रेनो प्राधिकरण औद्योगिक सेक्टरों के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उद्यमियों को किसी प्रकार की परेशानी न हो, इसका ख्याल रखा गया है। विभागीय अधिकारी समय-समय पर औद्योगिक सेक्टरों का दौरा कर वहां की समस्याओं का जायजा लेते हैं। प्रकाश में आई समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर दूर किया जाता है।