बिल्डरों पर चलेगा सरकार का हंटर ACS मनोज सिंह ने तीनों विकास प्राधिकरण को जारी किया निर्देश

अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त मनोज कुमार सिंह ने गौतमबुद्ध नगर के तीन औद्योगिक विकास प्राधिकरण को पत्र जारी किया है। नोएडा प्राधिकरण, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और यमुना प्राधिकरण को भेजे गए पत्र में औद्योगिक विकास आयुक्त ने 60 दिनों के भीतर कुल देनदारी का 25 प्रतिशत जमा नहीं कराने वाले बिल्डरों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है। बकाया का भुगतान नहीं करने पर बिल्डरों का प्लाट आवंटन निरस्त किया जा सकता है।

विजय मिश्रा (उदय भूमि)
ग्रेटर नोएडा। बकाया जमा नहीं करने वाले बिल्डरों को लेकर सरकार का रुख सख्त हो गया है। सरकार द्वारा अब ऐसे बिल्डरों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया गया है। अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त मनोज कुमार सिंह ने गौतमबुद्ध नगर के तीन औद्योगिक विकास प्राधिकरण को इस बाबत पत्र जारी किया है। नोएडा प्राधिकरण, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और यमुना प्राधिकरण को भेजे गए पत्र में औद्योगिक विकास आयुक्त ने 60 दिनों के भीतर कुल देनदारी का 25 प्रतिशत जमा नहीं कराने वाले बिल्डरों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है। बकाया का भुगतान नहीं करने पर बिल्डरों का प्लाट आवंटन निरस्त किया जा सकता है। बिल्डरों द्वारा बिना कोई बकाया जमा कराए जीरो पीरियड का लाभ दिए जाने की मांग की जा रही है। ऐसे में बिल्डरों को बिना बकाया जमा कराए कोई लाभ नही मिल सकता है।

उत्तर प्रदेश के अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त मनोज कुमार सिंह ने नोएडा प्राधिकरण, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और यमुना प्राधिकरण को पत्र जारी करते हुए कहा है कि जनपद में जितने भी नेट ड्यूटी बकायेदार बिल्डर हैं, उनसे आगामी 60 दिनों के भीतर 25 प्रतिशत की धनराशि जमा कराई जाए और इनके अलावा जिन बिल्डरों ने 25 प्रतिशत धनराशि जमा कर दी है, उनकी सूची भी जारी की जाए। मनोज कुमार सिंह ने बताया कि 60 दिनों के अंदर नेट ड्यूटी की 25 प्रतिशत धनराशि बिल्डर द्वारा जमा की जानी है।

जिनके द्वारा यह धनराशि जमा कर दी गई है, उनकी सूचना उपलब्ध करवाई जाए। 60 दिन के अंदर नेट ड्यूटी की 25 प्रतिशत धनराशि जमा नहीं करने वाले बिल्डरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जिन्होंने जमा नहीं किया है, उन्हें दोबारा नोटिस भेजा जाए। जिसमें उल्लेख हो कि नेट ड्यूटी की 25  धनराशि जमा करने के लिए 60 दिन की अवधि समाप्त हो रही है। इसके बाद शासन आदेश में प्राविधिक कोविड-19 के ध्यान में रखते हुए रिफिल की गई अनुमान्यता समाप्त हो जाती है।