लोगों की आस्था का केंद्र है झारखंड में बना राम मंदिर

झारखंड पश्चिम बंगाल बार्डर स्थित मिर्धा गांव में 7 दिनों तक होती है राजा राम की पूजा

उदय भूमि संवाददाता
रांची। राम हमारे मन में गढ़े हुए हैं, हमारे भीतर घुल-मिल गए हैं। आप भगवान राम की अद्भुत शक्ति देखिए, इमारतें नष्ट हो गईं। क्या कुछ नहीं हुआ, अस्तित्व मिटाने का हर प्रयास हुआ, लेकिन राम आज भी हमारे मन में बसे हैं, हमारी संस्कृति के आधार हैं। झारखंड स्थित मिर्धा गांव में स्थापित भगवान राम का मंदिर लोगों की आस्था और सनातन धर्म का केंद्र हैं। यह मंदिर भगवान राम का एक मात्र ऐसा मंदिर हैं जहां भगवान राम के अयोध्या में राज्याभिषेक के दिन बड़े मेले का आयोजन होता है। यहां 7 दिनों का मेला लगता है और सातों दिन भगवान राम की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। मान्यता है कि भगवान राम की इस पूजा अर्चना में शामिल होने पर भक्तों पर प्रभू श्री राम की विशेष कृपा होती है। इस मंदिर में सामान्य दिनों में भी श्रद्धालु पहुंचते रहते हैं लेकिन मेले के दौरान प्रतिदिन हजारों की संख्या में झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल से श्रद्धालु यहां पूजा अर्चना के लिए पहुंचते हैं।
झारखंड और पश्चिम बंगाल के बॉर्डर पर बसे मिर्धा गांव में भगवान के मंदिर की स्थापना को लेकर कई कथाएं स्थानीय लोगों द्वारा सुनाई जाती है। राम भक्त और मंदिर से विशेष जुड़ाव रखने वाले केके झा बताते हैं कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम को राजगद्दी मिलने की खुशी में यहां स्थापित मंदिर में विशेष पूजा की जाती है। हर साल माघी पूर्णिमा के दिन से लेकर अगले 7 दिनों तक यहां राजाराम की मूर्ति की पूजा होती है और मेला लगता है। सात दिनों के इस कार्यक्रम में आसपास के हजारों लोग यहां पूजा अर्चना करते हैं और मेले में रात में भी रौनक बनी रहती है। संजय कुमार झा बताते हंै कि लगभग 300 साल पहले यहां के एक राम भक्त निलोमनी झा अयोध्या को गए थे और रामभक्त में वहीं जाकर रम गये। गांव के लोग जब उनके पास पहुंचे और उन्हें वापस लाने की कोशिश की गई तो उन्होंने शर्त रखी कि मैं अपने गांव तभी वापस आऊंगा जब वहां भगवान राम का मंदिर बनेगा। उनकी भगवान राम के प्रति आस्था और जिद को देखते हुए ग्राम मिर्धा के लोगों ने गांव में मंदिर की स्थापना की। जगन्नाथ महतो ने बताया कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी यहां राम राजा और राज सिंहासन सहित दरबारी का पूजा और मेला का आयोजन किया गया है। पूजा के संचालन में झा समाज और गांव के सभी लोगों का विशेष योगदान रहता है। सत्यनारायण झा, अर्जुन चौधरी, अश्विनी घटवार, रंजीत सेन ने बताया कि यह एक प्राचीन मंदिर है और लाखों राम भक्तों की आस्था का केंद्र है।