सहायक अभियंताओं को अधिशासी अभियंता सिविल के पदो पर पदोन्नति को लेकर अभियंताओं में आक्रोश

-डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ ने दी आन्दोलन की धमकी

उदय भूमि ब्यूरो
लखनऊ। ग्रामीण अभियंत्रण विभाग में प्रमुख सचिव को गुमराह कर विद्युत यांत्रिक संवर्ग के सहायक अभियंताओं को अधिशासी अभियंता सिविल के पदो पर नियमविरूद्ध पदोन्नति दिये जाने से सिविल संवर्ग के अभियंताओं में भारी आक्रोश व्याप्त है। डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ के अध्यक्ष इंजीनियर साहब लाल सोनकर और महासचिव इंजीनियर नरपत सिंह चन्द्रौल ने मंगलवार को प्रेसवार्ता करते हुए बताया कि अगर इस तरह के असंवैधानिक एवं नियम विरूद्ध पदोन्नति की जाएगी तो सिविल संवर्ग आन्दोलन के लिए बाध्य होगा।

उन्होंने कहा कि सिविल संवर्ग के अभियंता उक्त प्रमोशन पाने वाले विघुत यांत्रिक संवर्ग के अधिशासी अभियंताओं कें अधिनस्थ काम न करके सामूहिक इस्तीफा देना पसंद करेगें। महासंघ के पदाधिकारी राजर्षि त्रिपाठी और राजकरन पटेल ने बताया कि इस तरह की कुव्यवस्था प्रदेश के किसी अन्य अभियंत्रण विभाग में नही है। संघ द्वारा इस असंवैधानिक पदोन्नति के खिलाफ किये जाने वाले आन्दोलन का समर्थन एवं पूरी भागीदारी करेगा।

डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ के अध्यक्ष इंजीनियर साहब लाल सोनकर और महासचिव इंजीनियर नरपत सिंह चन्द्रौल ने बताया कि इस राजकीय इंजीनियरिंग विभाग में इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल और सिविल कैडर के अवर अभियन्ता और सहायक अभियन्ता कार्यरत हैं। प्रत्येक वर्ग का जाब चार्ट (ड्यूटीज) उनका कार्यक्षेत्र, सर्विस रूल्स, सीनियारिटी लिस्ट और प्रमोशन की नियमावलियां स्पष्ट रूप से परिभाषित और स्थापित है। परन्तु इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल कैडर के सहायक अभियन्ता अपना प्रमोशन सिविल कैडर के अधिशाशी अभियन्ता के पदों पर चाहते हैं जिनको विभागीय प्रशासन बैकडोर और फ्रन्टडोर दोनों तरीकों से मद्द कर रहा है। जबकि इस विषय पर पहले भी अनेक प्रयास किये जाते रहे, जिसका पटाक्षेप योगी सरकार-1 में किया जा चुका है।

इससे सम्बन्धित अनेक वाद न्यायालय में अभी विचाराधीन हैं। जिनमें विभाग और शासन ने इस आशय के प्रतिशपथ दे चुका है कि तकनीकी योग्यता के अनुसार ही अभियन्ताओं से कार्य लिया जा रहा है और एक संवर्ग की ड्यूटी दूसरे संवर्गों को नहीं दी जाएगी। न्यायालय में शपथपत्र देने, जाब चार्ट सम्बन्धी कार्यकारी आदेश निर्गत करने, पृथक सीनियारिटी प्रख्यापित करने तथा इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल के इंजीनियरों से सिविल इंजीनियरिंग का निर्माण कार्य न कराये जाने का प्रमाण-पत्र पूरे प्रदेश के अधीक्षण अभियन्ताओं से लिये जाने के बावजूद नीति विरूद्ध, नियम विरूद्ध, न्याय विरूद्ध कार्यवाही पर शासन क्यूं आमादा है, यह एक रहस्य है। जिसका विरोध यह संगठन कर रहा है। उन्होंने बताया कि शासन ने पहले सिविल संवर्ग की डीपीसी बुलाई थी लेकिन उसे स्थगित कर इस तरह के नियम विरूद्ध पदोन्नति के लिए अनानफानन में डीपीसी 19 अक्टूबर को सम्पन्न कराने की तैयारी की है।

उन्होंने बताया कि इस पूरे अनैतिक कार्य के लिए शासन में बैठे राजेन्द्र सिंह मौर्या विशेष सचिव जो कि समन्वय विभाग में स्थानान्तरित एवं 8 सितम्बर कार्यमुक्त हो चुके है और राजीव दुबे जो वर्ष 2018 से इसी विभाग में समीक्षा अधिकारी थे। आज सेक्शन अफसर के रूप में कार्यरत है। इनकी इस असंवेधानिक पदोन्नति में महत्वपूर्ण भूमिका है। पदाधिकारियों ने मुख्य रूप से अपनी मांगों में कहा कि इस अनैतिक और नियम विरूद्ध पदोन्नति को तत्काल प्रभाव से रोका जाय। इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल संवर्ग के पदों का सृजन करके उसके अनुरूप पदोन्नतियां नियमानुसार की जाय। अधिशाशी अभियन्ता का पद ड्राइंग डिस्वर्सिंग के अधिकार से सम्पन्न निर्माण कार्यों के तकनीकी ज्ञान और कौशल वाला महत्वपूर्ण पद है।

कार्यों की गुणवत्ता और मात्रा का दायित्व इस अधिकारी में निहित है चूंकि कार्यों के मल्यांकन के आधार पर इनके द्वारा ही पेमेन्ट किया जाता है। अत: सिविल निर्माण कार्यों पर सिविल इंजीनियरिंग की तकनीकी योग्यता वाला अधिशाषी अभियन्ता होना अपरिहार्य है। सिविल संवर्ग के अवर अभियन्ता और सहायक अभियन्ताओं को निर्माण कार्यों की गुणवत्ता, फील्ड के फिजिकल गाइडेन्स, स्ट्रक्चरल डिजाइन और किन्ही विपरीत परिस्थितियों में फील्ड में सुधार आदि करने में भयंकर असहजता का सामना करना पड़ेगा। जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।