डिजिटलाइजेशन से अर्थव्यवस्था को मिली ऑक्सीजन

लेखक-मनोज तायल
चार्टड एकाउंटेड
( लेखक आर्थिक मामलों के जानकार हैं। लायंस क्लब सहित विभिन्न प्रतिष्ठित सामाजिक संगठनों से जुड़े हुए हैं। आर्थिक विषयों पर अक्सर लिखते रहते हैं। यह लेख उदय भूमि में प्रकाशन के लिए लिखा है। यह लेखक के निजी विचार हैं। )

देश की अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है। यह बेहद अच्छे संकेत हैं। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि हो रही है। निकट भविष्य में और बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे। जीडीपी को रफ्तार देने में डिजिटलाइजेशन की भी अह्म भूमिका है। डिजिटलाइजेशन होने से फेक पेमेंट का प्रचलन रूक रहा है। पहले फेक पेमेंट ज्यादा होती थी। यानी कागजों में भुगतान हो जाता था, मगर सरकारी खजाने को पैसा नहीं मिलता था। ऑनलाइन पेमेंट का प्रचलन बढऩे से जीएसटी कलेक्शन में बढ़ोत्तरी हो रही है। इसके अलावा चीन से भारत का विवाद चल रहा है। चीन पर अपनी निर्भरता को करने में भारत लगा है। इस बीच कुछ विदेशी कंपनियों ने भारत में कारोबार करने में दिलचस्पी दिखाई है। इससे रोजगार बढ़ेगा और निवेश आएगा। शेयर मार्किट में घरेलू और विदेशी निवेशकों का निवेश बढ़ रहा है। जिसके कारण शेयर मार्किट में भी बढ़ोत्तरी हो रही है। जो कि अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संकेत होते है। केंद्र सरकार ने क्रिटो करेंसी को वैध कर टैक्स लगा दिया है। पहले क्रिप्टो करेंसी का गलत तरीके से इस्तेमाल हो रहा था। वित्तीय वर्ष 2022-23 का बजट भी बेहतर है। सरकार ने चुनावों को ध्यान में रखकर बजट नहीं बनाया है बल्कि दूरदर्शी सोच को आगे रखा गया है। भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर बजट लाया गया है। इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आएंगे।

देश की अर्थव्यवस्था 2021-22 की दूसरी तिमाही में 8.4 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी। हालांकि जीडीपी वृद्धि दर जुलाई-सितंबर में इससे पिछली तिमाही के 20.1 प्रतिशत वृद्धि के मुकाबले कम थी। घरेलू आर्थिक गतिविधियों में सुधार का आधार अभी व्यापक होना बाकी है, क्योंकि निजी खपत महामारी से पहले के स्तर के मुकाबले कम है। भारत उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना का फायदा उठाकर अगर चीन से होने वाले आयात पर अपनी निर्भरता को 50 प्रतिशत तक कम करने में सफल रहता है, तो उसके सकल घरेलू उत्पाद में बीस अरब डॉलर की बढ़ोतरी हो सकती है। भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा वित्त 2020- 2021 में कम हुआ है। लेकिन हमारे कुल मर्चेंडाइज आयात में चीन का हिस्सा फिलहाल 16.5 प्रतिशत का है। वित्त वर्ष 2021-2022 में पर्सनल कंप्यूटर, टेलिफोन के पार्ट और टेलीग्राफ के उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक इंटीग्रेटिड सर्किट, सोलर सेल, यूरिया और माइक्रो अलेंबलीज लीथियम आयन और डायमोनियम फॉस्फेट जैसे सामानों का इंपोर्ट अधिक हुआ। इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक इंपोर्ट पर के मामले में चीन पर निर्भरता बहुत अधिक है। विश्व बैंक नरेंद्र मोदी सरकार की प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना की भी तारीफ कर चुका है। विश्व बैंक के मुताबिक इस योजना की मदद से भारत की अर्थव्यवस्था 8.7 फीसदी की दर से बढ़ सकती है। भारत इस बढ़ोतरी के साथ चीन जैसे देशों को भी पछाड़ सकता है। दरअसल कोविड महामारी के दौरान केंद्र सरकार ने प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना की शुरूआत की थी। इसके तहत घरेलू स्तर पर उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देने की योजना है।

सरकार ने इस स्कीम में पांच साल की अवधि के लिए तेरह प्रमुख क्षेत्र को शामिल किया है। इसमें दूरसंचार, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो पार्ट्स जैसे क्षेत्रों के लिए योजना शुरू की है। इन सेक्टर्स के लिए योजना कई लाख करोड़ रुपये की है। इस प्रोत्साहन योजना से अगले पांच साल में देश के उत्पादन में 520 अरब डॉलर की वृद्धि होने की उम्मीद है। किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की ताकत उसके निर्यात से बढ़ती है। यानी आप विदेशों में अपना सामान ज्यादा बेचते हैं और कम खरीदते हैं तो यह अर्थव्यवस्था की मजबूती के संकेत हैं। इससे देश में विदेश मुद्रा भंडार बढ़ेगा और आयात बिल कम होगा। इसके साथ ही विदेशों में भारतीय उत्पाद की मांग बढ़ेगी तो रोजगार भी पैदा होगा। जिस प्रकार मानव शरीर के लिए भोजन, पाचन प्रक्रिया तथा परिश्रम आवश्यक होता है, ठीक उसी प्रकार अर्थव्यवस्था को सुचारू रूप से चलायमान रखने के लिए उत्पादन, उपभोग, विनियोग एवं वितरण जैसी प्रक्रियाएं आवश्यक होती हैं। सीधी भाषा में कहें तो अर्थव्यवस्था उत्पादन, वितरण एवं खपत संबंधी एक सामाजिक व्यवस्था है।

अर्थव्यवस्था एक ऐसी प्रणाली है जो लोगों को जीविका प्रदान करती है। अर्थव्यवस्था में उत्पादन, विनिमय, वितरण आदि क्रियाओं के सम्मिलित होने के कारण लोगों की आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायता मिलती है। इन्हीं उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन किया जाता है ताकि लोगों की अधिकतम आवश्यकता को संतुष्ट किया जा सके। इस प्रकार अर्थव्यवस्था के अंतर्गत उन सभी इकाइयों को शामिल किया जाता है जो विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन में सहायक होती है। चाहे वे इकाइयां बड़े पैमाने की हों अथवा छोटे स्तर की। ग्रामीण क्षेत्रों में हों या शहरी क्षेत्रों में, निजी क्षेत्र की हों या सार्वजनिक क्षेत्र की। दूसरे शब्दों में अर्थव्यवस्था उत्पादन इकाइयों का समूह होती है जो कि एक निर्धारित भौगोलिक क्षेत्र में स्थित है। एक देश की अर्थव्यवस्था में कृषि, उद्योग, व्यापार, सेवा आदि क्षेत्र मिलकर राष्ट्रीय उत्पादन का निर्माण करते हैं। अर्थव्यवस्था को ऊंचा उठाने के लिए मोदी सरकार के प्रयास रंग ला रहे हैं। कोरोना काल में अर्थव्यवस्था को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है। इसके बावजूद अब स्थिति में अच्छा सुधार हो रहा है। रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं। अर्थव्यवस्था को सुधारने में मोदी सरकार की नीतियां सफल होती नजर आ रही हैं।