देश की राजधानी तक पहुंची हिंसा की आंच

देश की राजधानी में हनुमान जन्मोत्सव शोभा यात्रा के दरम्यान भड़की हिंसा के बाद गृह मंत्रालय बेहद गंभीर नजर आ रहा है। गृहमंत्री अमित शाह के हस्तक्षेप के उपरांत दिल्ली पुलिस हरकत में आ चुकी है। उपद्रवियों की गिरफ्तारी का सिलसिला तेज हो गया है। शोभा यात्रा पर पथराव के पीछे सुनियोजित साजिश की आशंका से इंकार नहीं किया गया है। साजिश में लिप्त कुछ उपद्रवी पुलिस के हत्थे चढ़ चुके हैं। दिल्ली का माहौल बिगाड़ने में किस-किस का हाथ रहा, यह जानने की कोशिश में एजेंसियां लगी हैं। देश के कुछ राज्यों में रामनवमी और हनुमान जन्मोत्सव पर जिस प्रकार से माहौल खराब करने का प्रयास किया गया, वह बेहद गंभीर कृत्य है।

केंद्र और राज्य सरकारों को इस मामले में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर दंगाइयों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि दोबारा ऐसी स्थिति-परिस्थिति पैदा न हो पाए। दिल्ली के जहांगीरपुरी क्षेत्र में हिंसा में शामिल दर्जनभर से ज्यादा आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। सभी आरोपी एक समुदाय विशेष से ताल्लुक रखते हैं। प्रत्यक्षदर्शियों ने पुलिस को बताया है कि जामा मस्जिद के पास से शोभा यात्रा निकलने पर एक मुस्लिम युवक ने कुछ साथियों के साथ मिलकर बेवजह बखेड़ा खड़ा कराया था। यानी माहौल खराब करने की तैयारी पहले से कर ली गई थी। जहांगीरपुरी में फिलहाल तनावपूर्ण शांति है। एहतियात के तौर पर भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है।

हिंसा प्रभावित क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनाए रखने को रैपिड एक्शन फोर्स भी तैनात की गई है। जहांगीरपुरी सी ब्लॉक में हनुमान जन्मोत्सव शोभा यात्रा पर पथराव किया गया था। आरोप है कि मकानों की छतों पर से भी र्इंट, पत्थर के अलावा कांच की बोतलों आदि से हमला किया गया था। कुछ हमलावरों ने वाहनों में तोड़फोड़ के अलावा उन्हें आग के हवाले कर पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल पैदा कर दिया। जहांगीरपुरी हिंसा के बाद केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस एक्शन में है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह खुद पूरे प्रकरण पर नजर रख रहे हैं।

देश के कुछ राज्यों में रामनवमी और हनुमान जन्मोत्सव पर एक समुदाय विशेष द्वारा अराजकता फैलाना किसी मायने में उचित नहीं है। रामनवमी एवं हनुमान जन्मोत्सव पर प्रतिवर्ष देशभर में भव्य शोभा यात्रा निकाली जाती रही हैं। ऐसा नहीं है कि इस बार किसी नए रूट से शोभा यात्रा निकाली गई हों। इसके बावजूद एक वर्ग विशेष द्वारा रंग में भंग डालना विकृत मानसिकता का परिचायक है। दिल्ली से पहले हरिद्वार (उत्तराखंड), बरेली (उत्तर प्रदेश), कुरनूल (आंध्र प्रदेश), हुबली (कर्नाटक) और रुड़की (उत्तराखंड) में भी सांप्रदायिक हिंसा सामने आई है।

अधिकांश स्थानों पर कमोवेश एक जैसी घटनाएं देखने को मिली हैं। जैसे ही जुलूस या शोभा यात्रा एक खास स्थान से गुजर रही थी, धर्म विशेष के व्यक्तियों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी। पत्थरबाजों ने पहले से तैयारी कर रखी थी। यानी यह सब साजिशन हिंसा भड़काने की कोशिश है। उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में भगवानपुर के डाड जलालपुर गांव के पास हनुमान जन्मोत्सव पर शोभायात्रा पर समुदाय विशेष के व्यक्तियों ने पथराव कर दिया था। इससे भगदड़ मच गई। इस दौरान 10 से अधिक व्यक्ति घायल हो गए थे। बरेली के धीमरी गांव में भगवान हनुमान की प्रतिमा खंडित कर दी गई। आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में दो समुदायों के बीच विवाद हो गया।

कुरनूल के अलूर में हनुमान जयंती के अवसर पर पथराव में दो समुदायों के कई व्यक्ति घायल हो गए। इन घटनाओं पर सियासत भी गरमा रही है। कुछ राजनेताओं की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने जहांगीरपुरी हिंसा पर बयान दिया है कि मुझे लगता है कि इस तरह की बातों का भी इसी तरह से जवाब दिया जाना चाहिए, नहीं तो वो लोग नहीं समझेंगे। ठाकरे ने कहा कि हम महाराष्ट्र में दंगे नहीं चाहते। नमाज अदा करने का किसी ने विरोध नहीं किया, मगर अगर आप (मुसलमान) लाउडस्पीकर पर करते हैं, तो हम लोग भी इसके लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करेंगे।

मुसलमानों को समझना चाहिए कि धर्म कानून से बड़ा नहीं है। तीन मई के बाद, मैं देखूंगा कि क्या करना है। जहांगीरपुरी हिंसा पर उत्तर-पश्चिम दिल्ली से भाजपा सांसद हंस राज हंस ने कहा कि ‘मैं सभी से शांति और भाईचारा बनाए रखने की अपील करता हूं। हर धर्म में कुछ बुरे तत्व हैं, वे ही ऐसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार होते हैं। इसके पीछे कुछ विदेशी ताकतें हो सकती हैं, जो भारत को कमजोर करना चाहती हैं। मध्य प्रदेश और गुजरात में भी पिछले दिनों हिंसा की खबरें सामने आई थीं।

जहां राज्य सरकारों ने उपद्रवियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई कर अह्म संदेश देने का प्रयास किया। मध्य प्रदेश और गुजरात में दंगाइयों के अस्थाई मकानों को बुलडोजर चलाकर ध्वस्त कर दिया गया। इसके अलावा सरकारी संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई भी दंगाइयों से करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। उपद्रवियों को सबक सिखाने की मुहिम सबसे पहले उत्तर प्रदेश में देखने को मिली थी। योगी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान कड़े कदम उठाकर उपद्रवियों की अक्ल ठिकाने लगा दी थी।