गाजियाबाद के एसपी सिटी अभिषेक वर्मा ने कहा बदमाश नहीं सुधरे तो सुधार देंगे

– साइबर क्राइम और महिला अपराध रोकना है प्राथमिकता
– अपराधियों के गैंग पर रहेगी नजर, खंगाली जा रही कुंडली
– वसुंधरा में हुए एटीएम चोरी मामले का जल्द होगा खुलासा
– पीड़ितों को लेकर संवेदनशील रहेगा पुलिस का रवैया
– नाइट पुलिसिंग पर रहेगा जोर, बॉर्डर को किया जाएगा सिक्योर
– साइबर क्रिमिनल के नेटवर्क को तोड़ेगी पुलिस

पुलिस जब सख्त होती है तो बदमाश पस्त होते हैं। दिल्ली से सटा गाजियाबाद प्रमुख औद्योगिक शहर होने के साथ-साथ उत्तर प्रदेश का प्रवेश द्वार भी है। गाजियाबाद का पुराना आपराधिक इतिहास रहा है। यही वजह है कि दिल्ली-एनसीआर के अन्य शहरों ने जो तरक्की हासिल की वह गाजियाबाद को नसीब नहीं हो सकी है। वर्ष-2000 के बाद से गाजियाबाद ने भी बदलाव का दौर देखा, पुलिस सख्त हुई और अपराधों में कमी आई। लेकिन अब तक कभी आदर्श स्थिति नहीं बनी। जब भी हम आपराधिक आंकड़ों में आस-पास के शहरों से तुलना करते हैं तो गाजियाबाद का ग्राफ हमेशा हाई रहता है। गाजियाबाद में क्राइम का तरीका बदल गया है। नये-नये गिरोह बन रहे हैं। युवा अपराधी बनकर पुलिस को चुनौती दे रहे हैं। पत्रकार हत्याकांड ने गाजियाबाद की छवि को और दागदार किया। साइबर क्राइम बढ़ रहे हैं। दो दिन पूर्व गाजियाबाद के एक चौकी इंचार्ज के साथ साइबर क्राइम की घटना घटी। यहां वाईट कॉलर क्राइम भी बढ़ रहा है। ऐसे में पुलिस के समक्ष अपराधों को रोक कर शहरवासियों में विश्वास बढ़ाना और गाजियाबाद की छवि को सुधारना चुनौती है। इन चुनौतियों से पुलिस किस तरह निपटेगी और शहर में अपराधों का ग्राफ कैसे कम होगा। इसको लेकर उदय भूमि के ब्यूरो चीफ विजय मिश्र ने गाजियाबाद के एसपी सिटी अभिषेक वर्मा से विस्तृत बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश।

प्रश्न: अपराधों की रोकथाम को लेकर आपकी प्राथमिकता क्या है?
उत्तर: मेरा काम अपराध को रोकना और अपराधियों को उनके सही स्थान पर भेजना है। जहां तक प्राथमिकता की बात है तो कोई भी अपराध हो उसे रोका जाएगा। अपराधियों को मनमानी करने की कतई छूट नहीं होगी। प्रदेश सरकार की मंशा स्पष्ट है कि अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाएगी। अपराधों पर अंकुश के लिए पुलिस अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेगी। पुलिस को पता है कि उसे किस तरह से अपराधियों पर नकेल कसनी है। बदमाशों को सुधारने का तरीका पुलिस जानती है।
प्रश्न: आपने कहा बदमाशों को सुधार देंगे। लेकिन कैसे। बदमाश आए दिन घटना चुनौती दे रहे हैं?
उत्तर: मैं पहले ही स्पष्ट कर चुका हूं कि कानून के साथ खिलवाड़ करने की इजाजत किसी को नहीं है। जनता के साथ समन्वय को बढ़ाकर अपराध रोकने की कोशिश की जाएगी। अपराध नियंत्रण में आम जनता का सहयोग बेहद जरूरी है। गाजियाबाद में पश्चिमी यूपी के अलावा दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान तक के बदमाश वारदात करते रहे हैं। क्राइम का ट्रेंड भी पुराने क्राइम जैसा देखने को मिला है। रात में ज्यादातर आपराधिक घटनाएं हो रही हैं। ऐसे में गाजियाबाद के बॉर्डर को सिक्योर किया जाएगा और नाइट पुलिसिंग बढ़ाई जाएगी।
प्रश्न: दिल्ली एनसीआर का हिस्सा होने के बावजूद गाजियाबाद की आपराधिक छवि है। इसे कैसे दूर करेंगे?
उत्तर: ऐसा नहीं है। मैंने नोएडा और दिल्ली में पढ़ाई की है। मैं गाजियाबाद भी आता रहा हूं। आपकी यह बात तो सही हो सकती है कि गाजियाबाद में क्राइम का ग्राफ ज्यादा है। लेकिन इससे सहमत नहीं हूं कि गाजियाबाद क्राइम सिटी है। पिछले दिनों साइबर क्राइम में बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। इसे रोका जाएगा।
प्रश्न: साइबर क्राइम बड़ी चुनौती है। आम आदमी की कौन कहे पुलिसकर्मी भी इसके शिकार हो रहे हैं। इसको लेकर क्या कहेंगे?
उत्तर: साइबर क्राइम समय के साथ बढ़ा है। साइबर अपराधी पढ़े-लिखे हैं और टेक्नोफ्रेंडली हैं, जो नये-नये तरीके इजाद करते हैं। साइबर क्राइम को लेकर जानकारी मिली है कि लोकल क्रिमिनल ने जामताड़ा कनेक्शन तैयार किया है। सबसे पहले लोकल क्रिमिनल के जामताड़ा कनेक्शन को तोड़ा जाएगा। साइबर क्राइम रोकने के लिए लोगों को भी जागरूक होना पड़ेगा और उन्हें अपने बैंक एकाउंट सहित सोशल मीडिया, आॅनलाइन खरीदारी के मामले में सजग रहना होगा।
प्रश्न: वसुंधरा में एटीएम चोरी करके ले जाना अपराधियों के बुलंद हौसलों की कहनी कह रहा है। क्या कहेंगे?
उत्तर: जो क्राइम कहीं और होता है उसे गाजियाबाद में रिपीट करने की परंपरा देखने को मिल रही है। चोरों ने 17 से 18 मिनट में पूरी वारदात को अंजाम दे दिया। इस घटना को किसी प्रोफेशनल गैंग ने अंजाम दिया है। जो पहले भी इस तरह की कई घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं। हम जल्द ही इस मामले का खुलासा कर देंगे और बदमाश हमारी पकड़ में होगा।
प्रश्न: फरियादियों के साथ व्यवहार को लेकर पुलिस बदनाम है।
उत्तर: पुलिस पीड़ितों एवं फरियादियों को लेकर सहानुभूति रखे। सभी थानों एवं चौकियों में इस बाबत हिदायत दी गई है। इस पर निगरानी भी रखी जाएगी। अगर कोई पीड़ित आता है तो उसे डांट-डपट के भगा देना बिल्कुल गलत है। जहां सख्त होना चाहिए, पुलिस वहीं पर सख्ती बरतेगी।
प्रश्न: आप पुलिस में नहीं होते तो क्या करते?
उत्तर: मेरे पापा पुलिस अधिकारी हैं। मैंने नोएडा में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। दिल्ली में मैंने जर्नलिज्म की पढ़ाई शुरू की। इसी दौरान आईपीएस के लिए मेरा सलेक्शन हो गया। यानि यदि मैं पुलिस अधिकारी नहीं बनता तो आपकी तरह पत्रकारिता कर रहा होता।

परिचय: भारतीय पुलिस सेवा के 2016 बैच के अधिकारी अभिषेक वर्मा मूल रूप से चित्रकुट के रहने वाले हैं। गाजियाबाद में तैनाती से पहले वह जनपद बरेली में तैनात थे। इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में डिग्री लेने के बाद 2016 में संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की। उनके पिता भी उत्तर प्रदेश पुलिस में उच्च पद पर कार्यरत हैं। स्कूली शिक्षा कानपुर में हुई। दिल्ली में सिविल सर्विसेज की तैयारी के दौरान इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ मास कम्युनिकेशन में जर्नलिज्म में एडमिशन लिया। इसी दौरान सिविल सर्विसेज में आईपीएस के लिए चयन हुआ। इलाहाबाद में ट्रेनिंग के बाद उन्हें पहली पोस्टिंग लखनऊ में मिली। इसके बाद बरेली तबादला हुआ।