हृदय रोग पीडि़त मरीज के लिए यशोदा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के डॉक्टर बने मसीहा

डॉक्टरों ने दिखाई मानवता, इलाज में मरीज को दी लाखों रुपए की रियायत
हृदय रोग के उपचार के लिए एक दुर्लभ प्रोसिजर को किया सफलतापूर्वक
जांघ के रास्ते तार से छतरीनुमा उपकरण को खराब वॉल्व के स्थान पर सफलतापूर्वक किया प्रतिस्थापित

गाजियाबाद। कौशाम्बी स्थित यशोदा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में हृदय रोग के उपचार के लिए एक दुर्लभ प्रोसिजर को सफलतापूर्वक किया गया। साहिबाबाद श्याम पार्क एक्सटेंशन निवासी 65 वर्षीय मरीज का एओर्टिक वॉल्व सिकुड़ गया था, जिसकी वजह से उनकी सांस काफी फूलती थी और छाती में हमेशा भारीपन रहता था। विभिन्न अस्पतालों में एवं डॉक्टरों को दिखाने के बाद भी कोई आराम नही मिला। क्योंकि उनके हृदय की कार्य गति मात्र 19 प्रतिशत रह गयी थी। जिस कारण कोई भी अस्पताल उनका प्रोसिजर करने के लिए तैयार नहीं हुआ। काफी जगह भटकने के बाद उन्हें जब यशोदा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल कौशांबी के बारे में पता चला तो बिना देरी किए उन्होंने हृदय रोग टीम के विशेषज्ञ डॉ. असित खन्ना एवं डॉ. आयुष गोयल से परामर्श किया। परामर्श के पश्चात् यशोदा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल की हृदय रोग टीम ने इस प्रोसिजर को एक ओपन हार्ट सर्जरी के वैकल्पिक प्रक्रिया ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वॉल्व रिप्लेसमेंट विधि द्वारा करने की सहमति प्रदान की। चूंकि यह प्रोसीजर काफी महंगा है इसलिए उन्होंने हॉस्पिटल प्रबन्धन एवं वॉल्व बनाने वाली कंपनी से बात कर मरीज को काफी रियायत दिलाई। इस प्रोसिजर की कीमत करीब 25 लाख रुपए है।

डॉक्टरों ने भी मानवता दिखाते हुए मरीज को राहत दिलाने के उद्देश्य से करीब 7 लाख रुपए की रियायत दिलाई। जबकि ऐसे हालात में अन्य अस्पताल रुपये वसूलने से कभी नहीं चूकता। मरीज के लिए यह प्रोसिजर बहुत जरूरी था एवं जीवन रक्षक था इसलिए उसने प्रोसिजर कराने का निर्णय लिया। 28 फरवरी को यशोदा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में भर्ती हुआ। चूंकि मरीज का हृदय काफी कमजोर था इसलिए पूरी तैयारी के साथ प्रोसिजर को 6 मार्च को डॉक्टरों की टीम ने जांघ के रास्ते से तार से छतरीनुमा उपकरण को खराब वॉल्व के स्थान पर सफलतापूर्वक प्रतिस्थापित कर दिया। इस प्रोसिजर में किसी भी तरह की बड़ी चीर-फाड़ नहीं की गई और ओपन हार्ट सर्जरी की अपेक्षा मात्र डेढ़ घण्टे में इस प्रोसिजर को कर दिया गया। इसमे मरीज को बेहोश भी नही किया गया, जबकि ओपन हार्ट सर्जरी में सात से आठ घण्टे लगते हैं और पूरे समय मरीज को बेहोश रखा जाता है।

डॉक्टरों की टीम में वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. असित खन्ना, डॉ. धीरेन्द्र सिंघानिया, कन्सलटेन्ट हृदय रोग एवं एओर्टिक सर्जन डॉ. आयुष गोयल तथा कार्डियक एनेस्थेटिस्ट डॉ. गौरव कनवर शामिल थे।
मंगलवार को यशोदा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान डॉ. असित खन्ना ने बताया की प्रोसिजर के दूसरे दिन ही मरीज चलने-फिरने लगा था और 9 मार्च 2023 को मरीज की अस्पताल से छुट्टी कर दी गई। छुट्टी के पश्चात् भी फोन द्वारा मरीज की शारीरिक स्थिति की पूर्ण जानकारी यशोदा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल द्वारा अपडेट की जाती रही और छुट्टी के चौथे दिन जब मरीज ओपीडी में फोलोअप के लिए आया तो उसके हृदय की कार्यक्षमता 50 प्रतिशत पायी गई। मरीज अब अपनी सामान्य दिनचर्या और आराम से जीवन यापन कर पा रहा है। डॉ. आयुष गोयल ने बताया कि इस प्रोसिजर में हार्ट या चेस्ट कैविटी को खोलने की जरूरत नहीं होती और जिस तरह से कॉर्डियक स्टेन्ट लगाया जाता है उसी प्रकार वॉल्व का प्रतिस्थापन कर दिया जाता है। यशोदा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में इससे पूर्व भी सफल टीएवीआई प्रोसिजर एवं जटिल हृदय रोग  ऑपरेशन किया जा चुके हैं। भारत में अभी तक कुछ अस्पतालों में ही इस प्रकार की सुविधा होने के कारण, कुछ ही हजार टीएवीआई प्रोसिजर्स किये गये हैं।