विकास कार्य का नहीं नामोनिशान, कैसा स्मार्ट सिटी का ईनाम

शहर के दर्जनों मुहल्ला और कालोनियों के लोग जल निकासी की समस्या से त्रस्त

शहर में सड़कों में गहरे गड्ढे और पानी में डूबी सड़कें स्मार्ट सिटी की दिखाती हैं सच्ची तस्वीर

उदय भूमि ब्यूरो
अश्वनी शर्मा, बरेली। कहने को तो इंडियन स्मार्ट सिटी अवार्ड के लिए बरेली का चयन हुआ है। देश भर से इस अवार्ड के लिए चुने गए 100 स्मार्ट सिटी में बरेली को 66वां स्थान मिला है। इससे इतर, बरेली स्मार्ट सिटी की जमीनी हकीकत कुछ और ही है। सच तो यह है कि शहर के दर्जनों मुहल्ला और कालोनियों के लोग जल निकासी की समस्या से आज भी जूझ रहे हैं। यही नहीं शहर की मुख्य सड़कों के गहरे गड्ढे स्मार्ट सिटी की सच्ची तस्वीर दिखातीं यकायक दिख ही जाती हैं। अब भले ही जन प्रतिनिधियों ने उन गड्ढों से सजी मुख्य सड़कों से गुजरना बंद कर दिया हो या संबंधित विभाग के अधिकारियों की धीमी चाल ने अपनी चाल बदल ली हो।

लेकिन आम जनता आज भी उन गड्ढों से सजी या पानी में डूबी मुख्य सड़कों से आती जाती नजर आ ही जाती है। इसका कारण अकारण नहीं है। कहीं नगर निगम की लापरवाही तो कहीं ठेकेदार की मनमानी। कहीं जन प्रतिनिधियों की जनता के हितों के प्रति उदासीनता विकास कार्य में रोड़ा बनती नजर आ ही जाती है। सच तो यह है कि जनता की परेशानी पर ना तो नगर निगम तरस खाता है और ना ही जन प्रतिनिधि। ऐसे में आम जनता आखिर किसका दरवाजा खटखटाए। आखिर किसकी चौखट पर जाकर धक्का खाए। आखिर कोई तो बताए। इसी कशमकश में जनता त्रस्त रहती है और जन प्रतिनिधि व जनता की बेसिक समस्याओं के लिए जिम्मेदार विभाग एवं अधिकारी इंडियन स्मार्ट सिटी अवार्ड का जश्न मनाते हैं।
हकीकत तो यह भी है कि शहर के एबीडी एरिया में अब तक स्मार्ट सिटी का कोई काम शुरू नहीं हो पाया है। सिर्फ टेंडर और वर्क ऑर्डर जारी करने पर बरेली को इस अवार्ड का हकदार माना गया है। इंडियन स्मार्ट सिटी अवार्ड के लिए बरेली का चयन उस स्थिति के बावजूद हुआ है जबकि यहां अब तक स्मार्ट सिटी का कोई काम तक शुरू नहीं हुआ है। ऊपर से सेतु निगम की परियोजनाओं के बेतरतीब निर्माण और सीवर लाइन के लिए सड़कों की खुदाई से पूरे शहर का हुलिया बिगड़ा हुआ है। स्मार्ट सिटी के टेंडरों पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। शनिवार को कई पार्षदों की प्रतिक्रिया थी कि बदतर हालत होने के बावजूद जब बरेली को अवार्ड दिया जा रहा है।
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स्मार्ट सिटी और सुरेश शर्मा नगर
पिछले पांच साल से पानी निकासी की समस्या से कालोनी के लोग त्रस्त हैं, जबकि नगर निगम अधिकारी व जन प्रतिनिधि मस्त हैं। स्थानीय लोगों ने दबंगों द्वारा नाली पाटे जाने की शिकायत कई बार लिखित रूप से  म्युनिसिपल कमिश्नर, बरेली और शहर विधायक व मेयर से की। लेकिन मजाल है कि कानों पर जूं रेंगी हो। लाख कोशिशों के बाद भी लोग बदबूदार पानी से भरी नालियों की बदबू से परेशान हैं। यही नहीं, पानी में पनपने वाले मच्छरों के प्रकोप से भी लोग जूझ रहे हैं। बता दें पीलीभीत रोड स्थित सुरेश शर्मा नगर एक्सटेंशन पार्ट थर्ड में 2015 में होली चौराहे से अरोड़ा के घर तक सड़क निर्माण हुआ। जिसमें नगर निगम के मानचित्र में होली चौराहे पर पुलिया और पानी निकासी के लिए सड़क के दोनों तरफ नाली निर्माण होना साफ साफ दर्शाया गया था। वहीं मानचित्र में एसएसबी इंटर कालेज की तरफ जाने वाली नाली में उस नाली को जोडऩा भी दर्शाया गया था। लेकिन कालोनी में रहने वाले कुछ दबंगों लोगों और ठेकेदार ने मिलकर होली चौराहे से एसएसबी इंटर कालेज की ओर नाली नहीं जुडऩे दी और  ना ही होली चौराहे पर पुलिया निर्माण होने दिया। लोगों द्वारा बार बार शिकायत करने पर नगर निगम अधिकारी तो आते थे, लेकिन उन दबंग लोगों के घर चाय पीकर वहीं से वापस लौट जाते थे। लाख कोशिशों के बाद भी पानी की समस्या दूर नहीं हुई। सरकारी तंत्र और दबंगों के आगे जनता की आवाज दबा दी गई। इस बीच कई मयुनिसिपल कमिश्नर की अदलाबदली हो गई, लेकिन पानी निकासी की समस्या जस की तस बनी रही। जब पानी निकासी की समस्या ज्यादा बढ़ गई तो एक बार फिर तीन महीने पहले आक्रोशित स्थानीय लोगों ने म्युनिसिपल कमिश्नर अभिषेक आनंद को पानी निकासी, नई चौड़ी नाली का निर्माण और नाली खुलवाने को लेकर प्राथना पत्र दिया। भले ही अब तीन महीने बीतने के बाद मेयर उमेश गौतम के आदेश पर सुरेश शर्मा नगर एक्सटेंशन में सड़क के दोनों तरफ नाली निर्माण शुरु हो रहा है। लेकिन जल निकासी की समस्या जैसी की तैसी ही रहेगी। क्योंकि जब तक पानी का निकास नहीं होगा तो नाली निर्माण कार्य का क्या फायदा है। पानी तो फिर भी नालियों में रहेगा या नालियों से पानी सड़क पर बहेगा।
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पानी निकासी की ही समस्या से जूझ रहे गांधीपुरम वार्ड-46 के कालोनी वासी-
डेढ़ महीने पहले सिद्धार्थ नगर निकट हार्टमैन कालेज के पास में पानी निकासी के लिए नाली का निमार्ण कार्य शुरू हुआ। लोगों ने नाली में ठेकेदार द्वारा पीला ईंट लगाने की शिकायत नगर निगम और जनप्रतिनिधि से की। लेकिन कहीं से कोई उचित जवाब नहीं मिला। जिस पर स्थानीय निवासियों का कहना है कि ठेकेदार द्वारा मुख्य सड़क तो बना दी गई। लेकिन गलियों में काम अधूरा छोड़कर चला गया।

अधूरा निर्माण कार्य छोडऩे को लेकर क्षेत्रवासियों ने सभासद से शिकायत की तो उन्होंने कहा ठेकेदार मिल नहीं रहा। जब मिलेगा तब कार्य शुरू हो जायेगा।आप लोग परेशान न हो। रोज सुबह गली में पानी भर जाता है।कभी भी कोई हादसा हो सकता है। नाली का पानी सड़क पर भरने से निकलने में भी परेशानी होने लगी है। लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। पिछले डेढ़ महीने से क्षेत्र के लोग परेशान हैं।
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जल निकासी ना होने से परेशान श्री नगर कालोनी निवासी-
जोगी नवादा के रामलीला ग्राउंड के पास श्री नगर कालोनी के लोग सालों से जल निकासी की समस्या से जूझ रहे हैं। लेकिन मजाल है कि जन प्रतिनिधि या जिम्मेदार अधिकारी गंभीर हों। हालांकि मयुनिसिपल कमिश्नर ने निरीक्षण भी किया और समस्या दूर करने के आदेश भी दिए। लेकिन सात- आठ दिन बीत जाने के बाद भी जनता बेहाल है और जनप्रतिनिधि और जिम्मेदार अधिकारी इंडियन स्मार्ट सिटी अवार्ड की खुशी मनाने में तल्लीन हैं। साहिब यह तो बस बानगी है। इसमें अगर सैटेलाइट से बरेली कालेज तक का सफर कर लो तो स्मार्ट सिटी का असली चेहरा सामने आ ही जाएगा।