लुढ़क-लुढ़क कर संभलेगी भारतीय अर्थव्यवस्था

– चालू वित्त वर्ष में 10.5 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान
– फिच रेंटिंग्स की रिपोर्ट ने बढ़ाई सरकार की टेंशन

उदय भूमि ब्यूरो
नई दिल्ली। कोविड-19 (कोरोना वायरस) का शिकार भारत की माली हालत निरंतर बेपटरी हो रही है। ऐसे में केंद्र सरकार को विपक्ष की तोहमत झेलनी पड़ रही है। कुछ अर्थशास्त्री जरूरी सुझाव भी दे रहे हैं। इसी क्रम में अब फिच रेटिंग्स की रिपोर्ट ने चिंताएं और ज्यादा बढ़ा दी है। फिंच रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष 2020-21 में देश की अर्थव्यवस्था में 10.5 प्रतिशत की भारी गिरावट का अंदेशा जाहिर किया है। बता दें कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 23.9 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है। पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट .23.9 प्रतिशत दर्ज की गई। जानकारों की मानें तो भारतीय अर्थव्यवस्था में पिछले 40 साल में पहली बार इतनी बड़ी गिरावट देखी गई है। कोविड-19 (कोरोना वायरस) के कारण देशभर में 2 माह तक संपूर्ण लॉकडाउन रहा। नतीजन आर्थिक गतिविधियों का पहिया रूक गया था। ऐसे में जीडीपी में गिरावट आने की संभावना पहले से जाहिर की जा रही थी। राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 5.2 प्रतिशत रही थी। अधिकांश रेटिंग एजेंसियों ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही की जीडीपी में गिरावट का अंदेशा जताया था। अर्थव्यवस्था में गिरावट के लिए लॉक डाउन को भी मुख्य कारण माना जा रहा है। फिच रेटिंग्स ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी यानी अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में जीडीपी में सुधार देखने को मिल सकता है। हालांकि अर्थव्यवस्था में सुधार की गति सुस्त और असमान रहेगी। फिच ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी के अपने अनुमान को संशोधित कर .10.5 प्रतिशत कर दिया है। फिच रेटिंग की इस रिपोर्ट ने केंद्र सरकार की चिंताएं और बढ़ा दी हैं। सनद रहे कि सरकार ने 20 अप्रैल के बाद कुछ निश्चित आर्थिक गतिविधियों में लॉक डाउन से ढील देने की शुरुआत की थी।