30 लाख रुपए के लिए बच्ची का किया था अपहरण, पुलिस के डर से कर दी हत्या, तीन अपहरणकर्ता गिरफ्तार

गाजियाबाद। नंदग्राम थाना क्षेत्र निवासी 11 वर्षीय मासूम बच्ची का अपहरण कर हत्या करने वाले तीन आरोपियों को नंदग्राम पुलिस ने घटना के 48 घंटे बाद गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने 30 लाख रुपए के लिए बच्ची का अपहरण किया था। लेकिन अपहरण और फिरौती को लेकर पुलिस अलर्ट हो गई और चारों तरफ घेराबंदी कर चेकिंग शुरु कर दी। पुलिस की सक्रियता को देख आरोपी डर गए और जान चुके थे कि बच्ची उन्हें पहचान चुकी है रुपए तो इसकी मौत के बाद भी मिल जाएंगे। जिसके बाद आरोपियों ने बच्ची को गाजियाबाद से करीब 65 किलोमीटर दूर ले जाकर उसकी गमछे से गला घोंट कर हत्या कर दी और शव को गन्ने के खेत में फेंक कर फरार हो गए।

अपने कार्यालय में बुधवार को एसएसपी मुनीराज जी. ने एसपी सिटी प्रथम निपुण अग्रवाल एवं सीओ प्रथम आलोक दुबे की मौजूदगी में घटना का खुलासा करते हुए बताया कि नंदग्राम थाना प्रभारी प्रदीप कुमार त्रिपाठी, इंस्पेक्टर इशरार अहमद, एसआई पवेन्द्र सिंह, विशाल सिंह, संजय कुमार शर्मा, बोबी सिंह की टीम ने अमित पुत्र नरेशपाल निवासी निलाया ग्रीन्स सोसायटी मोरट, बब्लू उर्फ प्रदीप पुत्र ओम प्रकाश निवासी नई बस्ती नंदग्राम, गंभीर सिंह पुत्र लीला सिंह निवासी ग्राम बंगला पुठरी बुलंदशहर को बुलंदशहर जनपद से गिरफ्तार किया है। रविवार को नंदग्राम क्षेत्र की नई बस्ती नंद ग्राम से 11 वर्षीय बच्ची खुशी का बदमाशों ने अपहरण कर लिया था और उसे छोडऩे की एवज मेंं बच्ची के घरवालों से 30 लाख रूपए की फिरौती भी मांगी गई थी। जिसकी सूचना सोनू पुत्र जयवीर मूल निवासी टोकी मनौली सोनीपत हरियाणा ने नंदग्राम थाने में दी। शिकायत पर बच्ची को बरामद करने के उद्देश्य से विशेष टीम का गठन किया गया।

उन्होंने बताया कि मृतक बच्ची के पिता मोनू की 2015 में सड़क हादसे के दौरान मृत्यु हो गई थी उसके बाद बच्ची की मां की शादी उसके चाचा से ही करा दी गई। बच्ची के मृतक पिता के इंश्योरेंस का करीब 26 लाख रुपया आना था। जिसका जिक्र बच्ची के दादा ने पड़ोसी निवासी बब्लू से किया। उन्होंने बबलू से कहा कि कोई ठीक सा मकान हो तो बताना। 26 लाख रुपए सुनकर बब्लू के मन में लालच आ गया और उसने उन रुपयों को लेने के लिए अपने साथियों के साथ मिलकर बच्ची के अपहरण की योजना बनाई। योजनानुसार बबलू ने बच्ची का अपहरण कर योजना के तहत अपने अन्य साथियों को सौंप दिया। इधर, नाना-नानी ने तय कर लिया था कि रकम मिलते ही वो एक प्लॉट खुशी के नाम पर खरीद लेंगे। इसके लिए उन्होंने नजदीक में एक जमीन भी देख ली थी।

बच्ची को मेला दिखाने के बहाने बबलू और प्रदीप ने बच्ची का अपहरण कर अपने साथी अमित पुत्र नरेश पाल को सौंप दिया। अमित ने बच्ची को गंभीर पुत्र लीला सिंह को दिया और गंभीर ने अन्य अभियुक्त के साथ मिलकर बच्ची का गला दबाकर हत्या कर उसके शव को जंगल में इसलिए फेंक दिया कि वह उन्हें पहचानती थी। आरोपियों ने बताया कि उनका मानना था कि फिरौती तो उन्हें हत्या के बाद भी मिल ही जाएगी। लेकिन पुलिस के अथक प्रयास के बाद 48 घंटे के अंदर इस पूरे मामले का खुलासा करते हुए बच्ची के शव को भी बुलंदशहर इलाके से बरामद कर तीनों आरोपियों को भी गिरफ्तार कर लिया गया। इस मामले में अभी अन्य लोगों की भी भूमिका नजर आई है जिनकी तलाश जारी है।