टाइगर अब जिंदा नहीं है. . . दोस्तों ने दी बद्दुआएं, फिर भी नहीं खोले सीने में छुपे राज, पंचतत्व में विलीन हुए राजनीति के पुरोधा राज्यसभा सांसद ठाकुर अमर सिंह, बेटियों ने दी मुखाग्नि

विजय मिश्र
उदय भूमि ब्यूरो
नई दिल्ली। टाइगर अब जिंदा नहीं है। दोस्तों के मददगार, दोस्ती के राजदार और वचन के पक्के ठाकुर अमर सिंह वादा निभाते हुए सीने में कई गहरे राज छिपाये इस दुनिया से रुखस्त कर गये। दिल्ली के छतरपुर स्थित श्मशान घाट में सोमवार को उनका अंतिम संस्कार हुआ। दोनों बेटियों ने उन्हें मुखाग्नि दी और वह पंच तत्व में विलीन हो गये। विरोधी चाहे जो कहें लेकिन अमर सिंह सौ आने सच्चे थे। भले ही उनका राजनैतिक जीवन में विवाद रहा। लेकिन इस सच्चाई की अनदेखी नहीं की जा सकती कि उन्होंने अपनों को बचाने की खातिर खुद को आगे झोंक दिया और विवादों की परवाह नहीं की। आज यदि सदी के महानायक अमिताभ बच्चन और खांटी समाजवादी कहे जाने वाले मुलायम सिंह यादव पाक साफ हैं तो वह सिर्फ अमर सिंह की बदौलत। दोनों के गहरे राज अमर सिंह के पास थे। सिर्फ यही दोनों ही क्यों राजनीति से लेकर बॉलीवुड और उद्योग जगत के दर्जनों लोगों के राज अमर सिंह के पास थे। लेकिन उन्होंने अपना वादा निभाया और सभी राज सीने में दफन कर दुनिया को अलविदा कह गये। अमर सिंह को घर से लेकर बाहर तक अपनों ने खूब ठगा फिर भी उन्होंने अपनों को बेआबरू नहीं होने दिया और जब जरूरत पड़ी उनकी मदद अवश्य की। अमर सिंह जानते थे कि उनके दोस्त सगे नहीं हैं। जब वह बीमार होते हैं तो यही दोस्त उनकी मौत की दुआएं मांगते हैं फिर भी वह दोस्तों को माफ कर देते थे। अमर सिंह के निधन पर भले ही वो दोस्त आज अपनी दुआ कबूल होने पर खुश होंगे। लेकिन बहुत ऐसे अंजान लोग आज उनके निधन से आहत हैं। सोशल मीडिया सहित अन्य प्लेटफार्म पर काफी संख्या में लोग लखनऊ से दिल्ली और मुंबई की राजनीति करने वाले टाइगर अमर सिंह के निधन पर शोक जता रहे हैं। अमर सिंह की पत्नी पंकजा सिंह और दोनों बेटियां को आज जो कष्ट हो रहा होगा उसे तो कम नहीं किया जा सकता। लेकिन इन संदेशों से उन्हें सांत्वना जरूर मिलेगी।
इसी साल मार्च महीने में कुछ लोगों ने अमर सिंह के मौत की अफवाह उड़ा दी। इस पर सिंगापुर के अस्पताल से ही वीडियो जारी कर अपने चिर परिचित अंदाज में जवाब देते हुए कहा था कि चिंता ना करें, अभी टाइगर जिंदा है और मैं लौटकर आऊंगा। उनके इस वीडियों से समझा जा सकता है कि वह कितने स्पष्टवादी थे और दोस्तों से कितने व्यथित थे। उन्होंने कहा था कि हमारे मित्र जो हमारी मृत्यु की कामना कर रहे हैं, वह यह कामना छोड़ दें। मैं रुग्ण (बीमार) हूं, त्रस्त हूं व्याधि (दिक्कतों) से लेकिन संत्रस्त (डरा) नहीं हूं। हिम्मत बाकी है, जोश बाकी है, होश भी बाकी है। हमारे अपने शुभचिंतक और मित्रों ने अफवाह फैलाई कि मेरी मौत हो गई है। इलाज कराकर ठीक होकर वापस आऊंगा। जैसा भी हूं, जो भी हूं आपका हूं। बुरा हूं तो अच्छा हूं तो। अपनी चिरपरिचित शैली, प्रथा और परंपरा के अनुकूल जैसे अबतक जीवन जिया है, वैसे आगे भी जीता रहूंगा। सिंगापुर में इलाज के दौरान बीते 1 अगस्त को उनका निधन हो गया था। 2 अगस्त को उनका पार्थिव शरीर दिल्ली लाया गया और 3 अगस्त को छतरपुर स्थित शमशान घाट में उनका अंतिम संस्कार हुआ। दोनों बेटियों ने उन्हें मुखाग्नि दी। कोरोना संक्रमण के कारण अंतिम संस्कार में चुनिंदा लोग ही मौजूद रहे। अंतिम संस्कार में अभिनेत्री जया प्रदा पहुंची। इससे पहले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह दिल्ली में अमर सिंह के घर पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि दी। राजनाथ सिंह के अलावा बीजेपी के राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया, शिवपाल यादव ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी।
दिल्ली से लेकर लखनऊ और मुंबई से लेकर सैफई तक में अपना सिक्का चलाने वाले यूपी की राजनीति के चाणक्य अमर सिंह की चर्चा दोस्तों और दुश्मनों में समान रूप से होती थी। राजनीति, फिल्मी दुनिया से लेकर क्रिकेट, कारपोरेट सेक्टर के कई रहस्यों को जानते थे। उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में जन्मे कोलकाता के बड़ाबजार स्थित मुंशी छत्ता के 54 नंबर बिल्डिंग में पले बढ़े अमर सिंह ने कांग्रेस के छात्र परिषद से राजनैतिक सफर की शुरूआत की। गांव में जन्में और सामान्य परिवार में पले अमर सिंह ने लुटियंस दिल्ली की राजनीति में अपना दबदबा दिखाया। अमर सिंह का 2011 में किडनी ट्रांसप्लांट हुआ और वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उपचार के दौरान शनिवार को निधन हो गया। दोस्तों में सिर्फ जयप्रदा ही ऐसी थी जिसने उनसे दोस्ती निभाई और हर मौके पर साथ खड़ी रही।