खतरनाक श्रेणी का किशोरों से काम कराने पर 6 माह की हो सकती सजा: राकेश सिंह

बाल श्रम उन्मूलन समिति की बैठक में डीएम ने दिए निर्देश

गाजियाबाद। खतरनाक श्रेणी का किशोरों से काम कराने पर नियोजक को 6 माह से दो साल तक की सजा हो सकती है। ऐसे में बालकों से श्रम कराने वालों पर कड़ी नजर रखी जाए। यह बातें जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने बाल श्रम उन्मूलन समिति की बैठक के दौरान अधिकारियों के समक्ष कहीं।
सोमवार को कलेक्ट्रेट स्थित सभागार में जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने सीडीओ अभिनव गोपाल, उप श्रमायुक्त अनुराग मिश्रा, सीएमओ डॉ. भवतोष शंखधर,जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ओपी यादव,उप आयुक्त जिला उद्योग केंद्र श्रीनाथ पासवान, एडीसीपी प्रोटोकॉल वीरेंद्र कुमार, मुख्य कोषाधिकारी पुष्पांजलि,वित्त लेखाधिकारी मनप्रीत कौर, श्रम प्रवर्तन अधिकारी संदीप कुमार सिंह आदि अधिकारियों के साथ बैठक की।

इस दौरान उद्यमी आदि मौजूद रहे। जिलाधिकारी ने बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए कि सरकार की विभिन्न योजनाओं से बाल श्रमिकों को लाभान्वित किया जाए।बैठक में उप श्रमायुक्त अनुराग मिश्रा ने अवगत कराया कि बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम-1986 यथा संशोधित अधिनियम-2016 के तहत वर्तमान में 14 साल से कम उम्र के बालकों से काम कराना पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है। जबकि 14 वर्ष से 18 वर्ष की उम्र के किशोर का नियोजन विनियमन की श्रेणी में आता है।जो गैर-खतरनाक माना गया है। कुछ विशेष श्रेणी के कार्यों को 14 से 18 वर्ष के किशोरों से भी कराना प्रतिषेध किया गया है। बाल श्रमिकों की उम्र प्रमाणित करने का अंतिम अधिकार मुख्य चिकित्सा अधिकारी को है।इसके लिए समुचित चिकित्सा परीक्षण के बाद ही प्रमाण पत्र जारी किया जाता हैं। खतरनाक श्रेणी के बाल श्रमिकों से काम कराने पर 6माह से लेकर दो साल तक की सजा एवं 20 हजार से 50 हजार रुपए तक का जुर्माना या दोनों से दंडनीय है। 14 वर्ष से 18 वर्ष के बीच किशोर वैसे कार्य कराने,विनियमन प्रावधानों का पालन न करने पर एक माह का कारवास या 10 हजार रुपए तक जुर्माने की सजा हो सकती है।किसी भी किशोर से 6 घंटे से अधिक कार्य लिया जाना।

ओवरटाईम शाम 7 से सुबह 8 बजे तक रात्रि ड्यूटी कराया जाना वर्जित है। ऐसे किशोर श्रमिकों के संबंध में प्रतिष्ठान पर रजिस्टर रखा जाना और उसकी उम्र का प्रमाण पत्र रखा जाना,क्षेत्र के श्रम प्रवर्तन अधिकारी को लिखित सूचना दिया जाना अनिवार्य है।जिलाधिकारी ने बैठक में बाल श्रमिकों के शैक्षिक पुर्नवासन के संबंध में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ओपी यादव को निर्देश दिए कि एक प्रकरण में विद्यालय में प्रवेश के लिए लंबित है,उसे तत्काल पूर्ण कराकर श्रम कार्यालय को उसकी सूचना उपलब्ध कराएं। बाल श्रमिका तथा 64 किशोर श्रमिकों के संबंध में सोशल प्रोफाइलिंग कराने और विभिन्न सरकार की योजनाओं से इन श्रमिकों को लाभान्वित कराने के निर्देश दिए। इन बाल श्रमिकों के परिवार नियमानुसार मकान,शौचालय,राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड बीमा योजना,जनधन योजना,बाल सेवायोजना आदि से पात्र होने पर लाभान्वित किया जा सकें। उप श्रमायुक्त ने अवगत कराया कि इन श्रमिकों की सूची बना ली गई है। सोशल प्रोफाइल कराकर संबंधित संबंधित विभागों को सूची भेजी जाएगी। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग नई दिल्ली के आदेश पर सघन अभियान चलाकर बाल श्रमिकों के चिन्हांकन व उनके पुर्नवासन के निर्देश दिए।