आनवार: शब्दों की चेतना व अंतर्मन की वेदना धर्मजीत त्रिपाठी द्वारा लिखित पुस्तक आनलाइन उपलब्ध

-सरकारी कामकाज के बीच अपर मुख्य अधिकारी ने बनाई लेखक के रूप में अनोखी पहचान

बुलंदशहर। आनवार: शब्दों की चेतना व अंतर्मन की वेदना लेखक धर्मजीत त्रिपाठी द्वारा लिखित एक कविता संग्रह है।
इस बारे में बुलंदशहर जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी धर्मजीत त्रिपाठी कहते हैं कि इस संग्रह में हम मानवीय भावनाओं और अनुभवों के विभिन्न आयामों की खोज करते हैं। पंक्तियों की एक टेपेस्ट्री बनाते हैं जो जीवन की जटिलताओं को उजागर करते हैं। कविताएं आधुनिक भाषाओं में हैं जो प्रेम, संघर्ष, दुख,सुख, अलगाव, जीवन और मृत्यु के चक्र जैसे विषयों पर भावनाओं और विचारों को व्यक्त करती हैं। भाषा का कुशल उपयोग, व्यक्तिगत और सामाजिक दृष्टिकोण के मिश्रण के साथ आनवार को एक सम्मोहक पाठ बनाता है। यह काव्य संग्रह न केवल पाठक की भावनाओं को प्रतिबिंबित करता है बल्कि अस्तित्व के विभिन्न पहलुओं पर चिंतन को भी प्रोत्साहित करता है।

यह पुस्तक प्रमुख बुकस्टोर्स और आनलाइन प्लेटफार्म जैसे अमेजन और फ्लिपकार्ट में उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा साहित्य वही श्रेष्ठ है, जो लोक-कल्याणकारी हो, जिसमें बहुजन हिताय, बहुजन हिताय का भाव हो। साहित्य कभी जनजीवन से दूर नहीं हुआ। लेखक समाज में रहकर जो देखता है, अनुभव करता है, वही शब्दों में ढालता है। हर लेखक को रचनात्मकता का बीज, खाद, पानी अपने आसपास के वातावरण से ही मिलता है। हिंदी साहित्य के इतिहास पर दृष्टि डालें तो यही देखा है कि उस समय में जैसी सामाजिक- राजनीतिक परिस्थिति थी, वही साहित्य में उभर कर आई। लेखक राजनेता या समाज सुधारक तो नहीं होता, लेकिन अपने लेखन के माध्यम से लोगों से जुडऩा चाहता है। आज का साहित्य भी जनजीवन का ही प्रतिबिंब है।
1. यह पुस्तक मानवीय संवेदनाओं की एक व्यापक श्रृंखला को कवर करती है।
2. कविताएं सरल और सुगम भाषा में लिखी गई हैं।
3. कविताएं पाठकों को अपने जीवन के संघर्षों और अनुभवों से जोडऩे में सक्षम हैं।