अपने ही पदाधिकारियों की अनदेखी भाजपा महानगर अध्यक्ष को पड़ सकती है भारी

-देश की पहली रैपिड रेल के उद्घाटन करने पहुंचे पीएम मोदी के स्वागत की सूची से काटा नाम

गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश में मिशन 2024 के लिए जहां बीजेपी लगातार अपने कार्यक्रम के जरिए जीत की रणनीति तैयार कर रही है। वहीं गाजियाबाद में इसके बीच महानगर संगठन में पदाधिकारियों के बीच जंग छिड़ी हुई है, जो रुकने का नाम नहीं ले रही है। महानगर कमेटी अपने ही पदाधिकारियों की अवहेलना कर नए को तरजीह दे रही है। जिससे पुराने पदाधिकारियों  में रोष है। जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण नमो भारत ट्रेन के उद्घाटन में पीएम मोदी के स्वागत में देखने को मिला। जिसमें प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए पदाधिकारियों की टीम बनाई गई और पुराने पदाधिकारियों को इन सबसे दूर रखा गया। इसे आपसी मतभेद कहो या फिर अहंकार के चलते गाजियाबाद के कई पुराने पदाधिकारी का नाम लिस्ट से काट दिया गया। हालांकि कैमरे पर आकर वह अपनी नाराजगी जाहिर नहीं कर रहे हैं, लेकिन उनका साफ कहना है कि भाजपा महानगर अध्यक्ष के इस फैसले से सहमत नहीं है। अगर इस तरह से कार्यकर्ताओं के प्रति महानगर अध्यक्ष का रवैया रहा तो भाजपा के लिए सही संकेत नहीं है। क्योंकि कार्यकर्ता ही पार्टी की रीढ होते है, उस रीढ़ को तोड़ने का काम कही न कहीं महानगर अध्यक्ष करते नजर आ रहे है। महानगर अध्यक्ष के इस रवैये से परेशान होकर कुछ कार्यकर्ता एकजुट होकर मोर्चा खोल दिया है।

महानगर मंत्री गुंजन शर्मा (एडवोकेट) है और शुरू से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद भाजपा युवा मोर्चा आदि संगठनों में कई पदों पर रहकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर चुके है। पूर्व में हुए  लोकसभा, विधानसभा और नगर निकाय चुनाव में जो भी उन्हें दायित्व दिया गया, उसे बखूबी अंजाम दिया। उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश (जेपी) नड्डा को पत्र जारी करते हुए गाजियाबाद महानगर में चल रहे विवादों से अवगत कराते हुए बताया कि 20 अक्टूबर को गाजियाबाद में देश की पहली रैपिड रेल का उद्घाटन करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आगमन हुआ था। उनके स्वागत के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं की सूची तैयार की गई। मगर उस सूची में गुंजन शर्मा समेत कई ऐसे कार्यकर्ता जो पिछले काफी वर्षों से भाजपा के साथ अपने कर्तव्यों को अंजाम दे रहे है। उनका नाम पीएम मोदी के स्वागत सूची से कटवा दिया गया। महानगर अध्यक्ष के इस कार्य से कार्यकर्ता में रोष है। जिस कारण वह अपने आपको को ठगा सा महसूस कर रहे है। शहर के सभी कार्यकर्ताओं में प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए काफी जोश था। मगर महानगर अध्यक्ष के इस कृत्य से कई कार्यकर्ता गौरवपूर्ण क्षणों से वंचित रह गए। इस तरह से कार्यकर्ताओं का अपमान महानगर अध्यक्ष द्वारा किया जा रहा है। अगर यही रवैया महानगर अध्यक्ष द्वारा किया जाता रहा तो इसका संदेश अच्छा नहीं जाएगा। यह इस तरह का कोई पहला मामला नहीं है, नगर निकाय चुनाव में भी टिकट को लेकर महानगर अध्यक्ष के खिलाफ महिला कार्यकर्ताओं ने एकजुट होकर दिल्ली में प्रदर्शन किया था। इसके बाद पार्षद के टिकट को लेकर भी काफी विवाद हुआ था।
महापौर के टिकट को लेकर जहां चुनाव से पहले महानगर अध्यक्ष ने विधायकों के साथ बैठक कर टिकट का बंटवारा तय किया था। जिसकी शिकायत पूर्व भी में एमएलसी द्वारा संगठन को की गई थी। महानगर के इस कार्य से कहीं न कहीं उन कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है, जो केन्द्रीय राज्य मंत्री एवं स्थानीय सांसद के साथ खड़े हुए है। जो केन्द्रीय मंत्री के साथ नहीं है, वहीं इनका हितैषी भी है और जो हैं, वहीं उनके सबसे बड़े दुश्मन के रुप में नजर आ रहे है। कुछ भी कहा यह सब सिर्फ केन्द्रीय मंत्री को निशाना बनाने के लिए उनके कार्यकर्ताओं की ही टारगेट कर नीचे गिराने का काम किया जा रहा है। देखना अब यह है कि संगठन इस शिकायत पर क्या कार्रवाई करता है या फिर पूर्व की तरह हुई शिकायत को भी सुनकर अनसुना कर देता है। जिसमें आरोप लगे थे कि अपने चहेतो को ही पार्षद का टिकट दिया गया था। जिस तरह से महानगर अध्यक्ष अपने चहेते कार्यकर्ताओं को आगे और पुराने कर्मठ कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा रहे है। इससे कार्यकर्ताओं में फूट पडऩी शुरु हो गई है।