डीपीएस स्कूल ने शिक्षा मंत्री को बताई औकात, फीस मैं देरी होने पर काटा बच्चे का नाम, दंडवत हुए मंत्री

– फीस नहीं जमा होने पर डीपीएस स्कूल ने झारखंड के शिक्षा मंत्री की नातिन का काटा नाम, फीस जमा कराने दौड़े एजुकेशन मिनिस्टर, गर्मायी राजनीति

बोकारो/रांची। कोरोना काल में भी पब्लिक स्कूलों की मनमानी किसी से छुपी नहीं है। ताजा उदाहरण झारखंड के बोकारो का सामने आया है। जहां दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) ने कमाल कर दिया। डीपीएस प्रबंधन ने समय पर फीस जमा न करने पर सूबे के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की नातिन तक का नाम काट दिया। ऐसे में मंत्री को खुद स्कूल जाकर बकाया फीस का भुगतान करना पड़ा तब जाकर उनकी नातिन का नाम स्कूल की ऑनलाइन क्लास में पुन: जुड़ पाया। इस मुद्दे पर सियासत भी शुरू हो गई है। भाजपा ने इस प्रकरण के बहाने सरकार की बेबसी पर सवाल खड़े किए हैं। भाजपा का कहना है कि जब मंत्री के परिवार तक को पब्लिक स्कूल नहीं बख्श रहे तो आम अभिभावकों पर क्या बीत रही होगी, समझना आसान है। नातिन का नाम काटे जाने के सवाल पर शिक्षा मंत्री महतो ने कहा कि वह बोकारो के चास में डीपीएस गए थे। उन्होंने नियमों के अनुसार अपनी नातिन की फीस जमा की। उन्होंने कहा कि इस दरम्यान पब्लिक स्कूलों की स्थिति का भी जायजा लिया। वहीं, मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने इस घटना पर तंज कसा है। भाजपा का कहना है कि यह घटना राज्य में पब्लिक स्कूलों की मनमानी का आलम सरकार को आईना दिखाने के लिए पर्याप्त है।  भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि डीपीएस की यह घटना महज उदाहरण मात्र है। चूंकि यह मामला सूबे के शिक्षा मंत्री के घर से संबंधित था, इसलिए मंत्री आनन-फानन में स्कूल पहुंच गए। षाडंग़ी ने कहा कि प्रतिदिन राज्य के सैकड़ों-हजारों अभिभावक पब्लिक स्कूलों की मनमानी से परेशान हैं, मगर प्रदेश का शिक्षा मंत्रालय और राज्य सरकार इन स्कूलों के सामने बेबस हैं। बता दें कि देश के विभिन्न राज्यों में काफी समय से स्कूल फीस माफ कराने के लिए अभिभावक संघर्ष कर रहे हैं, मगर एक-दो राज्यों को छोड़ किसी भी राज्य सरकार ने अभिभावकों के हित में कदम नहीं उठाया है।