IIA के प्रयास से अब हादसे में मैनेजमेंट के खिलाफ नही लिखी जाएगी FIR डीजीपी ने सभी जिलों के पुलिस प्रभारी को जारी किया निर्देश

IIA के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज सिंघल ने सरकार के वरिष्ठ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष उद्यमियों की प्रताड़ना का मामला उठाते हुए कहा था कि फैक्ट्री में होने वाले हादसों में कसूरवार नहीं होने के बावजूद मैनेजमेंट और उद्यमियों के खिलाफ गलत मंशा से तत्काल एफआईआर दर्ज कराई जाती है। नीरज सिंघल की बातों को गंभीरता से लेते हुए डीजीपी ने औद्योगिक हादसों में एफआईआर दर्ज करने से पहले पुलिस को जांच करने को लेकर निर्देश जारी किया है। डीजीपी द्वारा सभी जिलों के पुलिस प्रभारी को निर्देशों से अवगत करा दिया गया है।

उदय भूमि ब्यूरो
लखनऊ। फैक्टरी में हादसा होने पर अब मालिक के खिलाफ सीधे मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई नहीं होगी। अब पहले यह देखा जाएगा कि मालिक इसमें जिम्मेदार है या नहीं। उद्यमियों को पुलिस प्रताड़ना से बचाने के लिए उत्तर प्रदेश के डीजीपी ने यह निर्देश जारी किया है। छोटे, लघु, लघु मध्यम एवं मध्यम श्रेणी के उद्यमियों (एमएसएमई) के सबसे बड़े संगठन इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आईआईए) की पहल पर शासन द्वारा यह निर्णय लिया गया है। IIA के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज सिंघल ने सरकार के वरिष्ठ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष उद्यमियों की प्रताड़ना का मामला उठाते हुए कहा था कि फैक्ट्री में होने वाले हादसों में कसूरवार नहीं होने के बावजूद मैनेजमेंट और उद्यमियों के खिलाफ गलत मंशा से तत्काल एफआईआर दर्ज कराई जाती है। नीरज सिंघल की बातों को गंभीरता से लेते हुए डीजीपी ने औद्योगिक हादसों में एफआईआर दर्ज करने से पहले पुलिस को जांच करने को लेकर निर्देश जारी किया है। डीजीपी द्वारा सभी जिलों के पुलिस प्रभारी को निर्देशों से अवगत करा दिया गया है।
IIA के महासचिव आलोक अग्रवाल ने बताया राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज सिंघल ने हाल ही में पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश एवं प्रमुख सचिव गृह उत्तर प्रदेश को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि उद्योगों में दुर्घटना होने की दशा में पुलिस, मैनेजमेंट के विरुद्ध एफआईआर बिना किसी जांच के दर्ज कर लेती है। इस परिस्थिति में दुर्घटनाग्रस्त कर्मचारी की मैनेजमेंट चाहकर भी सहायता नहीं कर पाता है, क्योंकि उसे अपने विरुद्ध लिखी गई एफआईआर से बचने की कार्यवाही मे लगना पड़ता है। अब डीजीपी यूपी के अनुमोदन पर प्रदेश के सभी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को पत्र जारी किया गया है। उद्योगों में दुर्घटना के होने पर यदि मैनेजमेंट की सीधी कोई भूमिका ना हो तो उनके खिलाफ एफआईआर ना लिखने के निर्देश जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा ज्यादातर मामलों में पुलिस बिना जांच करे ही मैनेजमेंट के खिलाफ एफआईआर लिख देती है। जिस कारण मैनेजमेंट की बदनामी तो होती ही है, साथ ही पीड़ित की मदद करने में भी असक्षम हो जाता है। IIA के इस प्रयास से सभी उद्यमियों को राहत मिली है। अब बिना जांए किए एफआईआर दर्ज नहीं होगी। अगर किसी हादसे में किसी मैनेजमेंट का हाथ है तो आईआईए खुद पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए प्रयास करेगा।