लेखक- राकेश कुमार भट्ट
(लेखक सामाजिक विश्लेषक है। डेढ दशक से प्रकृति, पर्यावरण और मानव संसाधन प्रबंधन क्षेत्र से जुड़े हुए है और कई शोध पत्र तैयार किया है। इन विषयों पर अक्सर लिखते रहते है। यह लेख उदय भूमि के लिए लिखा है)
हमारी पृथ्वी पर आए दिन कोई ना कोई प्राकुतिक घटनाएँ घटती रहती है जिसमे सुनामी, बाढ़, सुखा, बिजली गिरना, भूकंप, तूफान आदि शामिल है. यह सभी प्राकृतिक घटनाए जानलेवा ही है लेकिन इनमें से भूकंप सबसे ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि भूकंप के बारे में कोई भी सटीक जानकारी नहीं दे सकता है की कब भूकंप आने वाला है। भूकंप के साथ कुछ प्राकृतिक आपदाएं भी होती हैं, जैसे -तेज तूफान चलना, बाढ़ का आना ये सभी प्राकृतिक आपदाएं है। धरती के अचानक हिलने से एक कंपन उत्पन्न होती है, इस घटना को भूकंप कहा जाता है। जब हमारी पृथ्वी की आंतरिक सतह अधिक गर्म हो जाती है, तो एक हलचल सी उत्पन्न होती है। आज से लाखों वर्षों पहले पृथ्वी का निर्माण हुआ था। उस समय पृथ्वी एक जलता हुआ आग का पिंड या सबसे गर्म ग्रह होता था। समय के साथ पृथ्वी की सतह ठंडी हो गई और पृथ्वी का आंतरिक भाग तरल है, जिसके कारण पृथ्वी की आंतरिक सतह का तापमान बढ़ने लगता है। पृथ्वी की सतह का तापमान विभिन्न स्तरों में बदलता रहता है, पृथ्वी की सतह में गड़बड़ी की वजह से ही पृथ्वी की सतह गर्म हो जाती है और भूकंप आने का खतरा महसूस होने लगता है। पृथ्वी में कई छोटे-बड़े टेक्निकल प्लेट्स होते हैं। जिनके कारण भूकंप विवर्तनिक प्लेट् से टकराकर ब्लेट में आ जाती है। ये प्लेट एक -दूसरे के दूर रहकर गति करती है, तो कभी एक – दूसरे के पास रहकर गति करती है। जिसके कारण यह आपस में टकराती है और झटके के साथ ऊर्जा के रूप में बाहर निकलती है और भूकंपी तरंगे उत्पन्न करती हैं।
भूकंप कभी – कभी बहुत ही धीमी गति से आता है, जिसका सिर्फ हमें आभास होता है कि भूकंप की कम्पन सी उत्पन होती है। कभी -कभी भूकंप अचानक बहुत तेजी से आता है, जिससे काफ़ी मात्रा में नुकसान होता है। भूचालआने से हमारे जीवन मे बहुत अधिक दुष्प्रभाव पड़ता है। भूकंप आने से हमारा जीवन अस्त – व्यस्त हो जाता है।अभी कुछ सालों पहले गढ़वाल और महाराष्ट्र मे भूकंप आने से लोगों के पर जीवन बहुत गहरा प्रभाव पड़ा था। भूकंप के कम्पन उत्पन्न होने से लोगों के मकान गिर गये। कच्चे और कमजोर मकान ढह जाते हैं, चल-अचल संपत्ति का भारी नुकसान होता है । सैकड़ों मनुष्य मकान के मलबे में दबकर मर जाते हैं । हजारों घायल हो जाते हैं । लोग बेघर-बार होकर अस्थायी निवास में रहने के लिए विवश होते हैं । परिस्थितियों के सामान्य बनाने में कई महीने या कई वर्ष लग जाते हैं ।
भूकंप को रोका नहीं जा सकता परंतु सावधानियाँ बरतने से इससे होने वाली क्षति जरूर कम की जा सकती है। भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है, इसका मिल-जुलकर मुकाबला करना चाहिए। यह बात तो हमको पता ही है की हमारी धरती चार परतों से बनी हुई है जो इस तरह से है, इनर कोर, आउटर कोर, मेंटल और क्रस्ट. जिनमे से क्रस्ट और मेंटल को लिथोस्फेयर कहाँ जाता है. यह 50 किलोमीटर की मोटी परत होती है जो अलग-अलग वर्गों में बटी हुई होती है, जिसको टेक्टोनिक प्लेट्स कहा जाता है, जब यह प्लेट्स हिलती है तो भूकंप आता है। इसके अलावा ज्वालामुखी विस्फोट, उल्कापात, माईन टेस्टिंग और न्युक्लियर टेस्टिंग की वजह से भी भूकंप आते है।
वैसे तो भूकंप के कारण हमेशा नुकसान ही होता है, पर कुछ भूकंप ऐसे होते है जिनके कारण हम इंसानों को फायदा भी होता है। भूकंप के कारण कई बार प्राकृतिक झीलों का निर्माण हो जाता है । जो मनुष्यों के लिए बेहद ही उपयोगी है। समुद्र तट के धसनें से अच्छी खाड़ी तथा बन्दरगाह बन जाते हैं । भूकंप के कारण धरातल पर कई नवीन भू आकारों जैसे द्वीप, झीलें तथा बंदरगाह भी बन जाते हैं, जो कि मानव के लिए कभी कभी बड़े उपयोगी सिद्ध होते हैं। भूकंप के कारण कभी-कभी कई सारे प्राकुतिक बदलाव भी होते है जिसके चलते पर्वत, घाटी या पठार का निर्माण हो जाता है. बहुत लोगो शायद यह बात मालूम नहीं होंगी की हमारा हिमालय भी इसी तरह से बना है। इसके अलावा ज़मीन के अन्दर कई सरे खनिज तत्व ऐसे है जिसके बारे में विज्ञान तक को नहीं पता होता है जो भूकंप के कारण सामने आते है।
पृथ्वी पर हर साल 5 लाख से भी ज्यादा भूकंप आते है इनमें से सिर्फ 1 लाख भूकंप को ही हम महसूस कर सकते है. उनमें से भी करीब 100 भूकंप ही नुकसान करते है. बाकी के भूकंप इतने छोटे होते है जिसके बारे में हमको पता तक नहीं चलता । दुनिया में सबसे ज्यादा भूकंप जापान में आता है, यहाँ पर हर साल करीब 1000 भूकंप आते है. इसके बाद न्यूजीलैंड, अलास्का, उत्तर अमेरिका में भी बहुत ही मात्रा में भूकंप आते है। पृथ्वी पर अब तक का सबसे खतरनाक भूकंप सन 1960 में चिली देश में आया था जिसकी तीव्रता 9.5 दर्ज की गई थी. लेकिन यदि जनहानी के मामले में बात करे तो सबसे भयंकर भूकंप सन 1556 में चीन में आया था जिसमे करीब 8 लाख 30 हजार लोग मर गए थे। भारत के गुजरात राज्य के भुज इलाके में आए 26 जनवरी 2001 के भूकंप को कौन भूल सकता है। यह 7.9 की तीव्रता का था जिसके कारण करीब 1 लाख लोगो ने अपनी जान गँवाई थी. इस भूकंप के झटके भारत, पाकिस्तान और नेपाल में भी महसूस किए गए थे। भूकंप के कारण कई बार पर्वतीय क्षेत्र में भू-स्खलन भी होते है जिसके कारण बहुत सारा नुकसान होता है।
जैसे ही भूकंप के झटके आने का खतरा महसूस होने लगे तो खुद के बचाव के लिए मजबूत टेबल, कुर्सी को पकड़कर बैठ जाये।भूचाल के झटके आने पर हमें एक ही जगह पर रह कर स्वयं का बचाव करना चाहिये, और खिड़की और अलमारियों से दूर रहना चाहिए, ताकि वह हम पर झटके के कारण गिरे नहीं। यदि आप ऊंची बिल्डिंग में रहते है और भूकंप के झटके आने लगते हैं, तो ऐसे में ऊंची बिल्डिंग का गिरना स्वाभाविक होता है, तो हमें नीचे उतर कर किसी सुरक्षित जगह पर बैठ जाना चाहिए, जब तक भूकंप के झटके आना खत्म नहीं हो जाते है।अगर आप कही है और कार चलाते है, तो उस समय आपको भूकंप के झटके आने मासूस होने लगते है, तो ऐसे में हमको एक जगह गाड़ी खड़ी करके तुरंत किसी खुले मैदान में बैठे जाना चाहिये, तब तक भूकंप के झटके आना बंद नहीं हो जाते है। और ऐसे में हमें लिफ्ट से ऊपर बिल्डिंग में जाने नहीं सोचना चाहिये, क्योंकि ऐसे में आप को झटके से आपको चोट भी आ सकती है। अगर आप बाजार, स्कूल के बीच मे फंस गये है तो ऐसे में खुले स्थान पर बैठे और बिजली के तार से दूर हो कर बैठे जब तक भूकंप के झटके आने खत्म नहीं हो जाते।
भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के उपरान्त सभी सरकारे तत्काल राहत व सहायता उपलब्ध करवाती है. भारत जैसे देश में जहाँ जनसंख्या घनत्व अधिक है जनहानि अधिक होती है. अतः आवश्यक है कि देश में भूकंप लेखन एवं मापन यंत्रो का जाल बिछा दिया जाए ताकि भूगर्भ में होने वाली हलचलों का ज्ञान होता रहे. जब कभी तीव्र गति से भूकंप आने की संभावना बने तो क्षेत्र विशेष के लोगों को प्रचार माध्यमों के द्वारा सजग कर दिया जाए। संकट की घड़ी में व्यक्ति को एकता का परिचय देना आवश्यक हो जाता है, जाति, धर्म व सम्प्रदाय के बन्धनों से मुक्त होकर मानवीय सवेदना के कारण मुक्त हस्त से तन मन धन से सहायता करनी चाहिए. इससे मानवीय सम्बन्ध और प्रगाढ़ होते है। भारत में लोगों ने मिलकर हमेशा पीड़ितो की सहायता करने के अनुपम उदहारण प्रस्तुत किये है।