शराब माफिया के लिए खौफ का पर्याय है आबकारी अधिकारी आरके सिंह

माफिया के नेटवर्क को किया ध्वस्त राजस्व वसूली का बनाया रिकार्ड, आरके सिंह का गाजियाबाद से तबादला हो गया है लेकिन शराब के अवैध कारोबार से जुड़े लोगों में खौफ पैदा करने के लिए उनका नाम ही काफी है। गाजियाबाद में तैनाती के दौरान आरके सिंह ने जिस तरह से शराब माफियाओं की रीढ़ की हड्डी तोड़ी और उनके संगठित नेटवर्क को छिन्न-भिन्न किया उसका असर आने वाले लंबे समय तक दिखाई देगा। आरके सिंह ने शराब माफिया के तंत्र को खत्म करने और अवैध शराब की बिक्री पर लगाम लगाने के साथ ही राजस्व वसूली का भी रिकार्ड बनाया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के खत्म होने में अभी दो महीना शेष है लेकिन अब तक 1460 करोड़ रुपये की राजस्व वसूली हुई है। यानी वित्तीय वर्ष के अंत तक यह आंकड़ा 1900 करोड़ को छू लेगा। आबकारी विभाग के लिए राजस्व वसूली का यह जिला स्तरीय रिकार्ड बनेगा।  
उदय भूमि ब्यूरो
गाजियाबाद। माफिया को खत्म करना है तो उसके नेटवर्क को ध्वस्त कर दो। कार्रवाई ऐसा हो कि माफिया फिर कभी उठकर खड़ा ना हो पाये। यदि उसके जेहन में फिर से सक्रिय होने का विचार भी आये तो उसका मन खौफ से भर जाये। कुछ यही अंदाज और कार्यशैली है गाजियाबाद के जिला आबकारी अधिकारी आरके सिंह का। आरके सिंह के कामों को देखते हुए शासन ने उन्हें सूबे की राजधानी लखनऊ की कमान सौंपी। आरके सिंह का गाजियाबाद से तबादला हो गया है लेकिन शराब के अवैध कारोबार से जुड़े लोगों में खौफ पैदा करने के लिए उनका नाम ही काफी है। गाजियाबाद में तैनाती के दौरान आरके सिंह ने जिस तरह से शराब माफियाओं की रीढ़ की हड्डी तोड़ी और उनके संगठित नेटवर्क को छिन्न-भिन्न किया उसका असर आने वाले लंबे समय तक दिखाई देगा। आरके सिंह ने शराब माफिया के तंत्र को खत्म करने और अवैध शराब की बिक्री पर लगाम लगाने के साथ ही राजस्व वसूली का भी रिकार्ड बनाया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के खत्म होने में अभी दो महीना शेष है लेकिन अब तक 1460 करोड़ रुपये की राजस्व वसूली हुई है। यानी वित्तीय वर्ष के अंत तक यह आंकड़ा 1900 करोड़ को छू लेगा। आबकारी विभाग के लिए राजस्व वसूली का यह जिला स्तरीय रिकार्ड बनेगा। गाजियाबाद में अपने कार्यकाल के दौरान आरके सिंह ने  लगभग 4500 करोड़ की राजस्व वसूली की और शराब के अवैध धंधे में लिप्त 871 अपराधियों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया। यह रिकार्ड आरके सिंह की कार्यशैली बताने के लिए काफी है।
तीन साल पहले गाजियाबाद शराब तस्करी के लिए बदनाम था। जनपद का लोनी और खोड़ा क्षेत्र में अवैध शराब के कारोबार का गढ़ बन गया था। हालात इस कदर हो गये थे कि जहरीली शराब पीने से कई लोगों की जान जाने की खबरें मीडिया में सुर्खियां बटोरने लगी। जनपद में सिर्फ शराब माफिया का बोलबाला था। अवैध शराब के कारोबार और माफिया के खिलाफ कार्रवाई पूर्व में भी हुई लेकिन माफियाओं का कुछ नहीं बिगड़ा। इस दौरान आबकारी विभाग की बदनामी भी खूब होती थी। कभी मिलीभगत के आरोप तो कभी कार्यवाही करने का दिखावा करने का आरोप अधिकारियों पर लगता रहता था। गाजियाबाद शहर के बीचों बीच स्थित कोटगांव में शराब माफिया हरबीर सिंह का सिक्का चलता था। सिक्का ऐसा कि आबकारी विभाग क्या पुलिस भी कार्यवाही करने से गुरेज करती थी। यह सिक्का कोई एक दो माह नहीं, बल्कि करीब एक दशक तक लंबा चला। बिना किसी खौफ के वह गाजियाबाद में बाहरी राज्यों की शराब तस्करी करता था। लेकिन विगत तीन साल में लगातार अभियान चलाकर तेज-तर्रार जिला आबकारी अधिकारी राकेश कुमार सिंह ने हरबीर सहित सभी बड़े शराब माफिया की कमर तोड़ दी। कभी गाजियाबाद में सिक्का जमाने वाला माफिया हरबीर सिंह जेल जाने के बाद अपने धंधे को छोड़कर गाजियाबाद से ही फरार हो गया।
शुरूआत में आबकारी अधिकारी को भी दबाव में लेने के लिए माफियाओं ने राजनीति संरक्षणदाताओं का भी सहारा लिया, मगर उसकी एक न चली। राजनीति में अच्छी पकड़ रखने वाले व्यापारी कुनाल चावला का भी गाजियाबाद में बोलबाला था। जहां पिछले करीब 10 सालों तक अधिकारी भी कार्यवाही करने से बचते रहे। दरअसल कुणाल चावला के कुछ राजनीतिज्ञों से भी अच्छे संबंध हैं। उसके पिता भी व्यापारी नेता होने के कारण राजनीति में अच्छी पकड़ रखते हैं, मगर जिला आबकारी अधिकारी के अड़ जाने की वजह से कुणाल चावला अपने मंसूबों में सफल नहीं हो पाया था। मेरठ रोड़ स्थित गोदाम में आबकारी विभाग की टीम छापेमारी कर करीब 10 करोड़ की विभिन्न ब्रांड की लगभग 5240 पेटी शराब पकड़ी गई। आबकारी विभाग की कार्रवाई के बाद गाजियाबाद से लेकर दिल्ली तक के नेताओं ने दबाव बनाने का प्रयास किया। मगर इन सबके बीच आबकारी विभाग ने कार्रवाई कर सफलता हासिल की। जिसके बाद गाजियाबाद आबकारी अधिकारी की कार्रवाई का डंका लखनऊ तक गूंजा। कुणाल चावला की बजरिया और लोहिया नगर स्थित बीयर शॉप का लाइसेंस भी निलंबित कर दिया गया। कुनाल चावला कस्टम विभाग से कम मूल्य पर इम्पोर्टेड शराब की खरीदारी करता थे। बाद में आरोपी आबकारी विभाग से लाइसेंस लिए बगैर महंगे रेट पर इस शराब को बेचता था। इन सबके बीच में मोदीनगर का शराब माफिया रवि उर्फ अविनाश जो बाहरी राज्यों शराब लाकर मोदीनगर व आसपास के जिलों में खपाता था।
जिस पर आबकारी विभाग की टीम ने कार्रवाई करते हुए उसे भी सलाखों के पीछे भेज दिया। सलाखों के पीछे भेजने के साथ अवैध शराब के कारोबार से अर्जित की गई संपत्ति फार्म हाउस, जिम, शराब तस्करी में प्रयुक्त वाहन आयसर कैंटर, इको कार को भी जब्त किया गया। जिनकी कीमत करीब ढाई करोड़ से भी अधिक है। आबकारी विभाग ने सिर्फ शराब तस्करों को जनपद से खदेडऩे का काम नहीं किया, बल्कि अवैध शराब के धंधे से कमाए गए काले धन को भी जब्त करवाया। शराब माफिया रवि उर्फ अविनाश से करीब 1887 बल्क लीटर शराब बरामद किया गया। जिसके खिलाफ गैंगस्टर तक की कार्रवाई की गई। गाजियाबाद में आबकारी अधिकारी राकेश कुमार सिंह ने अपने तीन वर्ष के कार्यकाल में जो कार्यवाही की है, उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है। अवैध शराब के कारोबार में कोई भी रसूखदार क्यों न हो, कार्यवाही तय है। वहीं आबकारी विभाग की टीम ने भाजपा नेता संयम कोहली को भी नहीं बख्शा। भाजपा नेता संयम कोहली अपने पद की आड़ में रेस्टोरेंट पर बिना लाइसेंस के शराब का सेवन और रसियन डांस करवाता था। गाजियाबाद में शराब माफियाओं का जड़ से सफाया करने के साथ-साथ ओवर रेटिंग करने वाले शराब विक्रेताओं के खिलाफ कार्रवाई में भी कोई ढिलाई नहीं बरती गई।
कच्ची शराब के धंधे से मशहूर हिंडन खादर क्षेत्र की सूरत भी अब पहले से बदली हुई नजर आती है। जहां पहले आबकारी विभाग की कार्रवाई में हर सप्ताह हजारों लीटर की शराब बरामद होती थी। तो वहीं आज हिंडन खादर क्षेत्र में कार्रवाई के दौरान सिर्फ 15, 20 लीटर ही शराब बरामद होती है। वह भी धीरे-धीरे समाप्ति की ओर बढ़ रहा है। आबकारी अधिकारी ने अपने अधिनस्थ अधिकारियों की एक टीम तैयार की। आबकारी निरीक्षक अखिलेश बिहारी वर्मा, हिम्मत सिंह, राकेश त्रिपाठी, मनोज शर्मा, त्रिवेणी प्रसाद मौर्य, अनुज वर्मा, अभय दीप सिंह की टीम की कई बड़ी जिम्मेदारी सौंपी और इन अधिकारियों ने उसे पूरा किया। बिना किसी दबाव के काम और शराब तस्करों पर कैसे कार्रवाई की जा सकती है, इन सबमें सभी आबकारी निरीक्षकों ने महारथ हासिल कर ली। शराब माफिया तस्करी के लिए अब भी नए-नए उपाय खोजते रहते हैं लेकिन आबकारी विभाग इन तमाम उपायों को नाकाम करने में काई कसर नहीं छोड़ती। एक तरह से कहें तो आबकारी विभाग अब तक यह संकेत दे चुका है कि शराब माफिया डाल-डाल तो हम हैं पात-पात है। आबकारी अधिकारी आरके सिंह ने गाजियाबाद से अवैध शराब का सफाया करने के लिए उस हर रणनीति पर काम किया, जो शायद किसी ने नहीं किया। जागरुकता बढ़ाने के साथ-साथ लोगों को आबकारी विभाग के साथ जोड़कर रखना। शासन के साथ-साथ गाजियाबाद में आबकारी कंट्रोल रुम का गठन, पार्षद, प्रधान, सभासद के साथ मिलकर जमीनी स्तर पर काम किया। यह नहीं है कि सिर्फ अवैध शराब पर आबकारी विभाग ने पिछले तीन साल में सफलता हासिल की है।
अवैध शराब के धंधे में 871 माफिया पहुंचे जेल
आंकड़े बताते हैं कि आबकारी विभाग की टीम ने अवैध शराब की बरामदगी और तस्करों की गिरफ्तारी के मामले में तीन साल में अवैध शराब के कारोबार में लिप्त 871 माफिया को जेल भेजने का काम किया है। साथ ही शराब तस्करी में प्रयुक्त लग्जरी कार, ट्रक, बाइक, स्कूटी समेत 231 वाहनों को भी सीज किया है। वर्ष 2020-2021 में पूर्व आबकारी अधिकारी विभाग की टीम ने 459 शराब तस्करी के मुकदमे दर्ज किए। जिसमें 14 हजार 818 बल्क लीटर शराब बरामद करते हुए 116 तस्करों को जेल भेजने का काम किया। साथ ही शराब तस्करी में प्रयुक्त 32 वाहनों को सीज किया। जिसके बाद वर्तमान आबकारी अधिकारी ने कार्रवाई का दायरा बढ़ाते हुए और शराब तस्करी पर सख्ती करते हुए वर्ष 2021-22 में 706 मुकदमे दर्ज किए और 209 शराब तस्करों को जेल भेजते हुए उनसे 73 हजार 558 बल्क लीटर शराब बरामद करते हुए 34 वाहनों को सीज किया। इसके बाद वर्ष 2022-23 में 1006 मुकदमें दर्ज कर 43 हजार 770 बल्क लीटर शराब बरामद करते हुए 499 तस्करों को जेल भेजने का काम किया। साथ ही शराब तस्करी में प्रयुक्त 171 वाहनों को सीज किया। इस वर्ष शराब भले ही कम बरामद हुई मगर शराब तस्करों की संख्या अधिक रहीं। क्योंकि दिल्ली की शराब के चलते तस्करी में सबसे अधिक तस्कर पकड़े गए। बाहरी राज्यों की शराब तस्करी रोकने के लिए आबकारी विभाग की टीम दिन-रात चेकिंग एवं शराब तस्करों के ठिकानों पर दबिश दी। वहीं वर्ष 2023-24 में 812 मुकदमा दर्ज करते हुए 35 हजार 833 बल्क लीटर शराब बरामद कर 163 तस्करों को जेल भेजते हुए 26 वाहनों को सीज किया। जेल भेजे गए शराब तस्कर को जल्द जमानत न मिले, इसके लिए आबकारी विभाग ने खुद पैरवी भी की। बरामद 231 वाहन, दुपहिया वाहन से लेकर लग्जरी कार और बड़े वाहन शामिल है। बरामद वाहनों की कीमत करीब करोड़ो रुपए से कम नहीं है, जो थाने में धूल फांक रही है।
तीन साल के कार्यकाल में हुई 4512 करोड़ की राजस्व वसूली
आबकारी अधिकारी राकेश कुमार सिंह ने अपने तीन साल के कार्यकाल में न सिर्फ गाजियाबाद में शराब तस्करों पर कार्रवाई की है, बल्कि सरकार के राजस्व को भरने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी है। आबकारी अधिकारी के कार्यकाल में गाजियाबाद से करीब 4511.76 करोड़ रुपए की राजस्व वसूली हुई। गाजियाबाद से इतना राजस्व पूर्व में कभी सरकार को नहीं मिला था। आबकारी अधिकारी राकेश कुमार सिंह ने अपनी ठोस रणनीति पर काम करते हुए पूर्व के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए पहले वर्ष 2021-22 में 1474.14 करोड़ का राजस्व सरकार को दिया। उसके बाद दुसरे वर्ष 2022-23 में 1577.55 करोड़ का राजस्व दिया। उक्त वर्ष पिछले वर्ष से अधिक राजस्व सरकारी खजाने को भरने में अपनी अहम भूमिका निभाई।
उसके बाद वर्ष 2023-24 में अप्रैल से जनवरी तक 1460 करोड़ का राजस्व गाजियाबाद से सरकार को दिया है। गाजियाबाद से लखनऊ स्थानांतरण होने के उपरांत गाजियाबाद से अभी तक 1460 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ है। अगर यह स्थानांतरण मार्च के उपरांत होता तो करीब 200 से 250 करोड़ का राजस्व बढऩे की और संभावना थी। आबकारी अधिकारी ने अपने कार्यकाल में अपनी मंशा साफ कर दी थी कि राजस्व वसूली को बढ़ाने के साथ-साथ शराब तस्करों को जेल भेजने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। आबकारी अधिकारी की सख्ती का असर है कि गाजियाबाद में शराब माफिया चुनाव हो या त्योहारी सीजन में अपना अवैध शराब का धंधा करने से अब डरते हैं। शराब माफिया पर शिकंजा कसने के साथ-साथ लाइसेंसशुदा शराब विक्रेताओं को भी समय-समय पर नियम-कानून का पाठ पढ़ाने से भी नहीं चूके हैं।
परिचय
जिला आबकारी अधिकारी राकेश कुमार सिंह मूल रूप से गाजीपुर के रहने वाले हैं। वह पढ़े-लिखे एवं शिक्षक परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता शिक्षक थे। माता-पिता का देहांत हो चुका है। उनके दो भाई हैं। दोनों सरकारी शिक्षक हैं। उन्हें 1997 में आबकारी विभाग में ज्वाइनिंग मिली थी। पिछले 25 साल के सेवाकाल में वह उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में अहम जिम्मेदारी निभा चुके हैं। जनपद हमीरपुर, लखीमपुर खीरी, बदायूं और प्रयागराज में वह आबकारी इंस्पेक्टर के पद पर तैनात रहे थे। प्रयागराज, गोरखपुर में उन्होंने सहायक आबकारी आयुक्त की जिम्मेदारी भी संभाली थी। प्रयागराज के बाद वह गौतमबुद्ध नगर और महाराजगंज में तैनात रहे। महाराजगंज से 2021 में तबादला होने के बाद 12 जनवरी 2021 को जनपद गाजियाबाद की कमान संभाली। बतौर जिला आबकारी अधिकारी के तौर पर वह बेहद सफल अधिकारी साबित हुए हैं। आबकारी विभाग का काम-काज पटरी पर लाने, मातहतों को टीम वर्क से काम करने के लिए प्रेरित करने और शराब तस्करों से निपटने की सफल रणनीति बनाकर वह आज प्रदेशभर के आबकारी अधिकारियों को सकारात्मक संदेश देते नजर आते हैं। राकेश कुमार सिंह का काम के प्रति लगाव और मृदुल व्यवहार उन्हें दूसरे अधिकारियों से अलग करता है। अपने व्यवहार के कारण वह मातहतों के बीच भी लोकप्रिय रहते हैं। जिले में पूर्व में चिन्हित शराब माफिया का सूपड़ा भी साफ किया जा चुका है।
देश की राजधानी से सटा होने के कारण सक्रिय रहते है माफिया
देश की राजधानी से सटे जनपद गाजियाबाद में माफिया हमेशा सक्रिय रहते हैं। भू-माफिया, पानी माफिया, सेल्स टैक्स माफिया के अलावा शराब माफिया भी सरकारी तंत्र के लिए परेशानी का सबब रहे हैं। माफिया के खिलाफ सरकारी मशीनरी कभी छोटे स्तर पर तो कभी बड़े स्तर पर अभियान भी चलाती है, मगर समस्या का जड़ से निदान नहीं हो पाता है। सरकारी सख्ती के बाद माफिया कुछ दिन तक भूमिगत हो जाते हैं। बाद में मौका पाकर वह फिर सक्रिय होने लगते हैं। यही हाल गाजियाबाद में शराब माफिया का भी है। गाजियाबाद में शराब की खपत काफी ज्यादा है। इसके मद्देनजर शराब तस्कर कमाई के चक्कर में नियम-कानूनों से खिलवाड़ करने से बाज नहीं आते हैं। गैर राज्यों से शराब की तस्करी का मामला हो या जनपद के भीतर अवैध शराब का निर्माण एवं बिक्री रोकने के लिए आबकारी विभाग को दिन-रात सतर्क रहना पड़ता है।
पिछले तीन वर्षों में अगर आबकारी विभाग की कार्रवाई को देखा जाए तो जिस प्रकार से शराब माफिया और तस्करों की कमर तोड़ने हर संभव कोशिश की है और जिसमें सफलता भी प्राप्त की है। जनपद में चाहे अवैध शराब की बिक्री पर अंकुश लगाने की बात हो या लाइसेंसशुदा शराब विक्रेताओं को नियमों के अनुसार कारोबार कराने का मामला, आबकारी विभाग आजकल सभी पहलुओं पर गंभीरता से काम करने में जुटा है। इसका श्रेय जिला आबकारी अधिकारी राकेश कुमार सिंह को दिया जाता है। बेहद ईमानदार छवि और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी के तौर पर उन्होंने गाजियाबाद जनपद में अपने तीन साल के कार्यकाल में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। आबकारी अधिकारी के नेतृत्व में शराब तस्करों के खिलाफ की गई कार्रवाई ने लखनऊ तक चर्चाएं बटोरी हैं। जनपद गाजियाबाद में अवैध शराब के निर्माण, परिवहन एवं बिक्री रोकने के लिए जारी प्रयासों के विषय में उदय भूमि संवाददाता ने जिला आबकारी अधिकारी राकेश कुमार सिंह ने विस्तृत बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कई सवालों का पूरी ईमानदारी से जवाब दिया।