भवन-भूखंड, दुकानें एवं व्यावसायिक भूखंड खरीदने वालों के लिए सुनहरा मौका

-अगस्त में जीडीए करेगा खुली बोली के तहत संपत्तियों की निलामी

गाजियाबाद। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) के भवन-भूखंड, दुकानें एवं व्यावसायिक भूखंड आदि संपत्तियों को खरीदने वालों के लिए यह अच्छी खबर है। लंबे इंतजार के बाद आखिरकार जीडीए अब अगस्त से संपत्तियों को खुली बोली के तहत नीलामी में बेचने के लिए नीलामी का आयोजन शुरू करेगा। इस नीलामी में इंदिरापुरम योजना में खोजे गए व्यावसायिक भूखंडों को भी बेचने के लिए रखा जाएगा। जिलाधिकारी एवं जीडीए उपाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह के आदेश पर अब जीडीए ने संपत्तियों को नीलामी में बेचने के लिए इसकी तैयारी शुरू कर दी है। जीडीए के अपर सचिव सीपी त्रिपाठी का कहना है कि उम्मीद है कि 15 अगस्त के बाद जीडीए सभागार में पूर्व की तरह प्रत्येक शुक्रवार को नीलामी का आयोजन शुरू कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि जीडीए की संपत्तियों के रेट रिवाइज करने संबंधी प्रस्ताव जीडीए बोर्ड बैठक में रखा जाना है।बोर्ड बैठक से पहले इसकी अनुमति मंडलायुक्त से लेकर नीलामी का आयोजन शुरू कर दिया जाएगा। अपर सचिव का कहना है कि इस साल संपत्तियोंं के रेट फ्रीज नहीं किए जाएंगे।

इंदिरापुरम योजना में खोजे गए 36 व्यावसायिक भूखंडों को भी नीलामी में बेचा जाएगा। इन भूखंडों की अभियंत्रण अनुभाग से सर्वे रिपोर्ट मांगी गई है। यह रिपोर्ट आज शुक्रवार तक देने के लिए कहा गया हैं। जीडीए उपाध्यक्ष के निर्देश पर जीडीए द्वारा संपत्ति खोजने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। संपत्ति अनुभाग द्वारा इंदिरापुरम योजना के रिकॉर्ड खंगालने के बाद यहां पर जमीन होने की जानकारी मिली। इस जमीन पर लोगों ने अतिक्रमण कर रखा था। जीडीए ने इसके बाद इस जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराया।

नियोजन और अभियंत्रण अनुभाग ने इसकाा साइट प्लान बनाकर इस जमीन पर भूखंड सृजित किए हैं। इसकी रिपोर्ट मांगी गई है। इन 36 व्यावसायिक भूखंडों में पेट्रोल पंप का भूखंड के अलावा दो पार्किंग भूखंड भी अलग से सृजित किए गए है। इन सभी भूखंडों को अगस्त में शुरू होने वाली नीलामी में बेचने के लिए रखा जाएगा। जीडीए की इंदिरापुरम के अलावा कौशांबी, वैशाली, इंद्रप्रस्थ, कोयल एन्क्लेव योजना, मधुबन-बापूधाम, स्वर्णजयंतीपुरम, कर्पूरीपुरम, गोविंदपुरम समेत अन्य कॉलोनियों में रिक्त संपत्तियों को नीलामी में बेचने के लिए रखा जाएगा। इन रिक्त संपत्तियों को बेचेने के लिए जीडीए को करोड़ों रुपए राजस्व के रूप में मिल सकेगा।